वीर शिरोमणि अमर शहीद ठाकुर दरियाव सिंह जी क्षत्रिय समाज से थे । संपादित करें

वीर शिरोमणि अमर शहीद ठाकुर दरियाव सिंह का जन्म सन १७ ९५ ई० में गंगा यमुना पवित्र नदी के मध्य भूभाग में बसे खागा नगर में तालुकेदार ठा० मर्दन सिंह के पुत्र रत्न के रूप में हुआ| महापराक्रमी सूर्यवंश के वत्स गोत्रीय क्षत्रिय खड्ग सिंह चौहान ने इस भूभाग के राजा को परास्त करके उनके राज्य को अपने अधिकार में लेकर एक नये नगर का निर्माण कराया था, जो बाद में उन्ही के नाम पर खागा नाम से प्रसिद्ध हुआ, वर्तमान में यह उत्तरप्रदेश के फतेहपुर जनपद की एक तहसील है|

1857 की क्रांति में लहूलुहान किसी मुखबिर की सूचना पर अंग्रेजी सरकार ने इन्हे वा इनके परिवार के कई सदस्यों को फांसी दी थी 6मार्च 1857 का वाह काला दिन काफी विचलित कर देने वाला है ।


ठाकुर दरियाव सिंह खागा अगर इन्हें लोधी राजपुत या कुर्मी राजपूत कह रहे है तो एक प्रश्न का जवाब दीजीए क्या लोधियो/कुर्मियो  से क्षत्रिय वैवहिक संबंध स्थापित करते है अगर हा तो तो आप सबकी कहानी असली है।

मेरा मत तो ठाकुर दारियाव सिंह चौहान पे ही है पूरा खानदान जिन मुखबिरो के कारण मारा गया अंग्रेजो ने उन्हें ही गद्दी दे दी और वो आज क्षत्रिय बनना चाहते है ।

सिंगरौर कुर्मी खेतिहर जाति में आती है अवध के इतिहास में कई जगह इनका कभी कन्हवंसी, सोमवांसी, बैंस,बिसेन, इनसे टकराव रहा पर आज कुछ लोग इन्हें क्षत्रिय घोषित कर रहे जबकि इनके कोई भी वैवाहिक संबंध ठाकुरों में नही होते मेरे खुद के गांव में है मैं अधिक जनता हु इनके बारे में ।

अगर मान भी लें तो फतेहपुर जनपद में लोध जो अपने को राजपूत कहते है उनकी संख्या अधिक है तो उनका मत क्यों नही स्वीकार करते लोग जबकि लोधी लड़ाकू जाति है ।

जो भी हो पर एक बात है राजा के मरने के बाद किले में कुत्ते अगर मूत के कह दे ये तो मेरा किला है तो हसने के शिवा कोई और तथ्य बचेगा नही ।

वैसे इतिहासकार किसे कहा जाए अगर कल को मैं कोई पुस्तक लिख दू वह की जो कहानियां हमारे दादा नाना सुनाते थे वह ।

क्षत्रिय समाज आज इंटरनेट में जो पड़ा है उसे ही सही मान प्रचार प्रसार करने लगते गजेटियर या किसी अंग्रेज की पुस्तक में जो लिखा है उसे ही सही मान लेते है जबकि मेरा मत तो यही है की जमीनों से जुड़े लोगो वा बुजुर्गो से एक बार चर्चा जरूर करे कहानियों को मिलाएं जोड़े अंदेशा लगाए क्या सारे तथ्य मिलते है अगर हा तो सब सही है नही तो सब फर्जी है।

अपनी आहुति दे कुछ योद्धा चले गए उनकी लाश से कपड़े निकाल पहनकर कोई क्षत्रिय बन घूम रहा।

नोट: 1857 आप किस पहलू से पढ़ रहे है

1) बंगाल अवध दिल्ली के अखरी पडाव के खतम होते नवाबों की ओर से या तेजी से विकसित होते क्षत्रिय वीर धुरंधरों की ओर से ।

2) कन्ही आप 1857 सैनिक विद्रोह जिन्होंने अपने ही देश के लोगो से मात्र इस लिए लड़े की अंग्रेज उन्हे पैसा दे रहे थे पगारी सिपाही जिन्हे बाद में अंग्रजी सासन ने पगार वा भत्ता देने से मना किया तो विद्रोह कर दिया और इस सरकार ने भरसक प्रयास किया मराठों वा अंग्रेज सैनिकों का गुडगान गाने।

आप 1849 से पढ़ना चालू करे अगर मिले तो आपको सत्य क्या है पता चल जायेगा, पानीपत वा हल्दी घाटी से ज्यादा वीर तो इस लड़ाई में मारे गए थे बंगाल से लेके दिल्ली तक हर 50/100 किलोमीटर के दायरे में अंग्रेजो वा उनके भाड़े के टट्टू अपने देश के जमीदारों, तालुकेदार,राजा को तोप के गोलों से उड़ा रहे थे 2401:4900:1695:D97A:2:2:2514:4201 (वार्ता) 13:51, 17 जून 2023 (UTC)उत्तर दें