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दर्शन संपादित करें
मैं लिखना चाहता हूं 2401:4900:362E:B6CC:2:2:8F18:F154 (वार्ता) 16:42, 15 जून 2023 (UTC)
दर्शनशास्त्र के रूप में हमारे समक्ष हमारे जीवन के ही प्रतिछाया एक अमूर्त रूप में दिखती है। दर्शनशास्त्र का अभिप्राय है किसी वृहद स्वरूप को दर्शन मात्र से पहचानने हेतु किया गया है, इन सब में सबसे महत्वपूर्ण आत्म दर्शन है।कहने का साधारण आशय यह है कि दर्शनशास्त्र में दर्शन वही है, जो हम अपने जीवन में देखने का प्रयास करता है परंतु कई बार आत्मसातीकरण और आत्ममंथन के बिना उसे पहचान नहीं पाते, परंतु जब हम इन दोनों तत्वों को अपने जीवन में लाते हैं तो हमें संपूर्णता का दर्शन होता है यह संपूर्णता प्रत्येक वस्तु को देखने की सबसे सूक्ष्मदर्शी इकाई है।
मनीष कुमार गुप्ता साहब (pgdav)
दर्शन संपादित करें
द्रशन 2401:4900:362E:B6CC:2:2:8F18:F154 (वार्ता) 16:44, 15 जून 2023 (UTC)
दर्शन संपादित करें
want to write 2401:4900:362E:B6CC:2:2:8F18:F154 (वार्ता) 17:16, 15 जून 2023 (UTC)
मनीष कुमार संपादित करें
मनीष 2401:4900:362E:B6CC:2:2:8F18:F154 (वार्ता) 17:20, 15 जून 2023 (UTC)
दर्शनशास्त्र संपादित करें
दर्शन 2401:4900:362E:B6CC:2:2:8F18:F154 (वार्ता) 17:27, 15 जून 2023 (UTC)
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