सदस्य वार्ता:Munita Prasad/पुरालेख 03
पुरालेख |
---|
Request for help
संपादित करेंPlease help me translate Phong Nha-Ke Bang into Hindi language. Thank you very much.Genghiskhan ०४:१०, १४ अप्रैल २००९ (UTC)
दिल्ली
संपादित करेंठीक है, में दिल्ली नामक लेख के अनुभागों में अपनी समझ के अनुसार बदलाव कर दूँगा।--रोहित रावतसंदेश ११:०२ १५ अप्रैल, २००९ (IST)
Airport
संपादित करेंAirport के सन्दर्भ में आशीष जी की वार्ता देखिये --गुंजन वर्मासंदेश ११:०५, १५ अप्रैल २००९ (UTC)
उपरोक्त पेज देखें। वहां पर दिल्ली के लिए एक नया ज्ञानसन्दूक लगा है। उसे पसंद करें, व बताएं। सही है, तो पुराना हटा कर नया लगा दूं। इसके सारे लिंक्स नीले हैं। सभी पेज बने हैं। मानचित्र आपकी पसंद का है, ना कि वही पुराना भारत के नक्शे पर एक डॉट। बताएं।--आशीष भटनागरसंदेश १७:५०, १७ अप्रैल २००९ (UTC)
- आप नाराज ना हों। उससे पहले कृपया दिल्ली को संपादन कर के देख लें, कि वहां पर पुराना वाला ज्ञानसन्दूक भी नीचे ही सुरक्षित रखा है। पहले मैंने सोचा था, कि वार्ता पर लगा दूं, किंतु बाद में मुख्य लेख में सही स्थान पर लगा कर, पुराने वाले को कमेंट में डाल कर छिपाना ही उचित लगा।
यदि प्रतीक्षा ही ना करनी होती तो संदेश ही क्यों देता। आपको शायद पता ना हो, कि सांचे में कुछ गलतियां थीं, जो कि वार्ता पृष्ठ पर नहीं दिखाई देतीं, जबकि मुख्य लेख में दिखाई देती हैं, क्योंकि वह एक लेख है, ना कि non-operational page जो कि वार्ता है। इसीलिए उसे वहां लगा कर देकना ही बेहतर होगा। इससे अधिक कुछ नहीं कह सकता हूं। अधिक चर्चा चैट पर कर सकते हैं। पसंद आने का धन्यवाद।--आशीष भटनागरसंदेश ०७:१७, १८ अप्रैल २००९ (UTC)
कृपया उपरोक्त लेख को विकिपीडिया से हटाएं। मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि इसके लिए कहां पर निवेदन किया जात है, इसलिए सोचा कि आप से सहायता लूं। -- प्रियंका १६:५७, १८ अप्रैल २००९ (UTC)
इस लेख का नाम कराही चिकन के सही वर्तनी में कड़ाही चिकन होना चाहिए। सही लगे तो बदल दीजिए। कराही कोई शब्द नहीं होता, हिन्दी में।--आशीष भटनागरसंदेश ०५:१३, २९ अप्रैल २००९ (UTC)
- चन्द्रशेखर वेङ्कट रामन् की सही नाम वर्तनी चंद्रशेखर वेंकटरमण है।--आशीष भटनागरसंदेश १५:५१, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- मेरी वार्ता पर देखें।--आशीष भटनागरसंदेश १६:०६, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
चन्द्रशेखर वेङ्कट रामन्
संपादित करेंचन्द्रशेखर वेङ्कट रामन् की सही नाम वर्तनी चंद्रशेखर वेंकटरमण है।--आशीष भटनागरसंदेश १५:५१, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- चन्द्रशेखर वेङ्कट रामन् लेख पहले से था। मैं जब इसमें संपादन कर रही थी तो मुझे भी इस पर थोड़ा संदेह हुआ। परन्तु चन्द्रशेखर वेङ्कट रामन् की वर्तनी विभिन्न जगहों पर भिन्न भिन्न थी, मैं समझ नहीं पाई कि सही वर्तनी क्या है। इस लेख पर कई जानकार लोगों ने कार्य किया है इसलिए मैने बदलना उचित नहीं समझा। यदि आपके पास कुछ ठोस वजह है तो आप निःसंकोच शीर्षक बदल सकत हैं।--Munita Prasadवार्ता १५:५९, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- ठोस वजह के लिए यह कहूंगा।
- रामन् कोई शब्द नहीं होता, सही शब्द रमण होता है, जो कि अंग्रेज़ों से बोला नहीं जाता था, ण के कारण।तो रामन हुआ, और english में Raman को रामन और रमन और रमण कुछ भी पढ़ा जा सकता है।
- वेङ्कट को सरल रूप में अं की मात्रा के संग लिखा जा सकता है, अन्यथा गङ्गा लिखा जाता। जो वजह गंगा के लिए है, वही वेंकट का भी समर्थन करेगी।
- शेष जैसा आप चाहें। मैंने वहां बेहतर सांचा तो लगा दिया है।--आशीष भटनागरसंदेश १६:०४, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- आप कृपया संदेश मेरी वार्ता पर ही दें मैने आपसे कोई प्रश्न नहीं पूछा है जिसका उत्तर मुझे आपकी वार्ता पर जाकर देखना होगा। --Munita Prasadवार्ता १६:०९, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- मैंने अपनी वार्ता पर संदेश इसलिए लिखा था, कि सारी वार्ता एक साथ रहे। इसमें किसका प्रश्न है, से कोई तातपर्य नहीं था। इससे फर्क ही क्या पड़ता है। जबकि हस्ताक्षर में वार्ता का लिंक दिया हुआ है। किंतु आपकी इच्छा अनुसार सारी वार्तालाप यहां कर दी। --आशीष भटनागरसंदेश १६:१४, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- उस लेख की वार्ता के संदेश लिखने वाले ने कोई संदर्भ, कारण न सुझाव ही दिया है। बस लिखा है, कि दोनो ही अशिद्ध हैं, तो शुद्ध क्या है, ये भि तो बताए। खैर इसे चौपाल पर या पूर्णिमा जी से भी पूछ लीजिएगा। और फिर उचित निर्णय लिया जा सकता है।--आशीष भटनागरसंदेश १६:१८, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- यदि मैं उत्तर आपकी वार्ता पर दूंगा, तो आप मुझे उत्तर वहीं (अपनी) ही वार्ता पर दें, जिससे कि वार्ता में तारतम्य बना रहे। हां उत्तर के साथ ही आपको मेरी वार्ता पर संदेश देखें, लिखना होगा।यही मुझे भी हर बार करना होगा--आशीष भटनागरसंदेश १६:२३, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- उस लेख की वार्ता के संदेश लिखने वाले ने कोई संदर्भ, कारण न सुझाव ही दिया है। बस लिखा है, कि दोनो ही अशिद्ध हैं, तो शुद्ध क्या है, ये भि तो बताए। खैर इसे चौपाल पर या पूर्णिमा जी से भी पूछ लीजिएगा। और फिर उचित निर्णय लिया जा सकता है।--आशीष भटनागरसंदेश १६:१८, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- मैंने अपनी वार्ता पर संदेश इसलिए लिखा था, कि सारी वार्ता एक साथ रहे। इसमें किसका प्रश्न है, से कोई तातपर्य नहीं था। इससे फर्क ही क्या पड़ता है। जबकि हस्ताक्षर में वार्ता का लिंक दिया हुआ है। किंतु आपकी इच्छा अनुसार सारी वार्तालाप यहां कर दी। --आशीष भटनागरसंदेश १६:१४, ३० अप्रैल २००९ (UTC)
- ठोस वजह के लिए यह कहूंगा।
- आपको सोचना है कि आपको सबसे प्रचलित वर्तनी चाहिये या फिर "सही" । चंद्रशेखर’ में तो कोई शक की बात नहीं है । ’वेंकट’ पूरी तरह सही तो नहीं है पर देवनागरी में इसको लिखना ही मुमकिन नहीं है - नहीं तो फिर आप अंग्रेज़ी के ’ऍ’ स्वर का इस्तेमाल करें (जैसे ’बॅल’ "Bell" या घंटी) । लेकिन फिर आप अनुस्वार बिन्दु कहाँ लगाएंगे, क्योंकि वो तो फिर चन्द्रबिन्दु बन जायेगा । और ’रमण’ बिल्कुल गलत है । ’रमण’ आता है ’रमण महर्षि’ के नाम में । यहाँ ’रामन्’ है । परन्तु अधिकतर आपको ये गलत वर्तनी ही दिखेगी अन्तर्जाल पर । Maquahuitl ०४:४३, ३ जून २००९ (UTC)
- मैं पूरी कोशिश करूंगा । मैं कुछ लेखों पर काम भी कर रहा था, पर कुछ निजी व्यस्तता के कारण बीच में ही छोड़ना पड़ा । पर मैं अपना खाता देखता रहता हूँ, इसलिये आप जब चाहें, हिन्दी भाषा, और आम तौर पर किसी भी भाषिकी/भाषा-विज्ञान के विषय के बारे में मेरी राय ले सकती हैं । Maquahuitl १६:२०, ७ जून २००९ (UTC)
बिना योगदान के सदस्य की वार्ता
संपादित करेंआप किन सदस्यों के वार्ता पृष्ठों पर सांचा:स्वागत लगाए जा रही हैं। कृपया देखें, कि क्या उनका कुछ योगदान भी है, या नहीं। उदाहरण के लिए सदस्य:Rohit25, सदस्य:Dr.vivek bhardwaj, और ऐसे अनेक अन्य सदस्य। कृपया इस सांचे को सावधानी से लगाएं। लगाने से पूर्व देख लें कि सदस्य ने कुछ considerable योगदान किया हो। अन्यथा, फालतू के सदयों की सूची और पृष्ठों की सूची बढ़ती जाएगी। आपके संदर्भ के लिए एक १०७ सदस्यों की वार्ताओं की सूची नीचे दे रहा हूं। कृपया देखें, और बिना योगदानकर्ताओं की वार्ता को मिटा दें। -
--आशीष भटनागरसंदेश ०३:१०, ३ मई २००९ (UTC)
- नमस्कार! आपके कहे अनुसार मैंने देखा, सच में वार्ता पृष्ठ बनाने से गैर-लेख संख्या में वर्धन हुआ। तभी आज सुबह मैंने कई नए सदस्य देखे। उनके बारे में अन्वेषण तो पता चला कि ये खाते के वैश्वीकरण के कारण यहां नाम जुड़े हैं। तब मैंने भी कई वार्ता शीर्षक बनाए हैं। --आशीष भटनागरसंदेश ००:४३, ९ मई २००९ (UTC)
चित्र
संपादित करेंमैं कोई भी चित्र अपलोड करने के लिए गूगल छवि खोजक (इमेज सर्च) का उपयोग करता हूँ, या जिस विकिपीडिया पर उस से संबंधित चित्र अच्छा होता है वहाँ से करता हूँ। ताइपे १०१ भी मैने गूगल पर सर्च करके अपलोड किया था।--रोहित रावतसंदेश १६:१२ ०९ मई, २००९ (IST)
तरबूज
संपादित करेंनमस्कार! आज के आलेख के लिए तरबूज को देख लें। सुधार कर अच्छा आलेख बन सकता है। इसके साथ ही चित्र:File-Watermelons.jpg को निर्वाचित चित्र में दाल सकते हैं? --आशीष भटनागरसंदेश ०३:१९, ११ मई २००९ (UTC)
प्रमुख चित्र
संपादित करेंमुनिता जी प्रमुख चित्र के लिए मैंने एक चित्र प्रस्तावित किया कृपया देख लीजिये. यह चित्र राष्ट्रीय पशु बाघ का है और हिंदी विकी पर बाघ पर बहुत अच्छा लेख भी उपलब्ध है --गुंजन वर्मासंदेश ०९:२८, १२ मई २००९ (UTC)
टैक्सोबॉक्स
संपादित करेंनमस्कार! आप कब मेरे सदस्य पृष्ठ पर Taxobox लगा रही हैं। आपको एक विचित्र किस्म का प्राणी मिल गया है, फौरन Taxonomy classification कर के लगाइए ना। उत्सुकता हो रही है। -- आशीष भटनागरसंदेश १४:४२, १२ मई २००९ (UTC)
हिन्दी विकिपीडिया
संपादित करेंआपका हार्दिक धन्यवाद। लेकिन यदि ये भी पता चल जाता की इन स्थानों पर कौनसा लेख लिखा गया था तो जैसे १,००० लेख कौनसा था, ५,००० कौनसा इत्यादि, यानी लेख का शीर्षक क्या था। रोहित रावत ०३:१८, १३ मई २००९ (UTC)
- १०० लेख पूरे होने पर बधाई आपके पन्ने पर आपका नया बार्न स्टार हाजिर है।--पूर्णिमा वर्मन ०७:२८, १४ मई २००९ (UTC)
नमस्कार
संपादित करेंसंदेश के लिए धन्यवाद। में अपने व्यवसायिक जीवन में थोडा व्यस्त हुं जिसके कारण से अभी समय निकाल पाना बहुत कठिन हो रहा है। परन्तु हिंदी विकिपीडिया को एक उद्दृतयोग्य डाउनलोड-युक्त ज्ञानकोष बनाने का सपना अभी भी मेरे मन में है। अतः, इस के लिए में समय निकालकर थोडा बहुत सम्पादन करता रहुंगा। नयें सदस्यौं का योगदान उदाहरणीय है। आप सभी सदस्यौं को में धन्यवाद व आभार व्यक्त करना चाहुंगा। धन्यवाद।--युकेश ०९:००, २२ मई २००९ (UTC)
उपरोक्त सांचे के बारे में चौपाल पर प्रश्न है। कृपया उस पर राय व सुझाव दें।--आशीष भटनागरसंदेश ०८:११, २३ मई २००९ (UTC)
पूर्ण विराम
संपादित करेंआपके बहुत से लेखों में वाक्यांत में एक बिन्दु (.) होती है। हिन्दी लेखन के अनुसार कृपया पूर्ण-विराम (।) प्रयोग किया करें, तो बेहतर होगा। ये मात्र एक सुझाव है, कृपया अन्यथा ना लें।--आशीष भटनागरसंदेश ०२:११, ३१ मई २००९ (UTC)
अति महत्वपूर्णः हिन्दी विकिपीडिया मुखपृष्ठ्
संपादित करेंआज के मुखपृष्ठ पर आज का आलेख वाले स्थान पर खाली स्थान आ रहा है, संपादक कृपया इसे देखें और शीघ्र सुधार करें। रोहित रावत ०७:२२, ३१ मई २००९ (UTC)
यहां पर नए चित्र हैं। कृपया टिप्पणी एवं नए सुझाव दें। स्वागत है। आपके सुझावों का खासकर। सच मानिए, निंदक नियरे राखिए....॥ --आशीष भटनागरसंदेश १५:४३, १ जून २००९ (UTC)
new section
संपादित करेंमुझे आपका संदेश ठीक से समज में नही आया, क्या आप थोड़ा विस्तार में बता सकतें हैं? --Rsrikanth05 १०:२३, ३ जून २००९ (UTC)
- स्वागत के लिए धन्यवाद। में हिन्दी विकी पर जितना अधिक योगदान कर सकता हूँ, करूँगा, और अधिकतर अपने अँग्रेज़ी योगडनों को हिन्दी में अनुवाद करने मे लगा रहूँगा। --Rsrikanth05 १५:५९, ३ जून २००९ (UTC)
नमस्कार! कृपया अकबर लेख को देखें। उसे निर्वाचन हेतु प्रताव किया गया है। आपके बहुमूल्य सुझाव एवं समर्थन अपेक्षित हैं। तो राय व सुझाव इत्यादि के साथ ही, उपयुक्त लगे तो समर्थन दें। सधन्यवाद। --आशीष भटनागरसंदेश ०२:५१, ११ जून २००९ (UTC)
एक नया विभाग जोड़ा है बाँध एवं नदी परियोजनाएं , चित्र दिर्घा मे कुछ चित्र और जोड़े है, कृपया देख ले। धन्यवाद --गुंजन वर्मासंदेश १३:३३, २० जून २००९ (UTC)
गंगा नदी
संपादित करेंनमस्कार! उपरोक्त लेख को आज का आलेख स्तंभ के लिए निर्वाचित किया गया है। यह सर्व विदित है। हालांकि विकिपीडिया मुक्त कोष है, किंतु आप थोड़ा ये ध्यान रख लेतीं, कि इसमें कुछ बड़ा परिवर्तन करने के लिए आलेख में आने की नियत तिथि तक रुक जाएं; तो बेहतर होता। जब मैंने इतना बड़ा लेख बनाया है, तो क्या निर्वाचित नहीं किया जा सकता था, किंतु इसीलिए रुका हुआ था, कि आलेख में प्रदर्शित हो जाए, तब देखेंगे। अब इसमें इतना बड़ा अनुभाग जोड़ा गया है, सहायक नदियां- जिसमें एक भी संदर्भ नहीं है। उसके अलावा कितने ही स्थानों पर अंग्रेज़ी के अंक लिखे गए हैं। क्या ये आलेख के लिए निर्वाचित लेख में अच्छे लगेंगे। कुछ सब्र करने पर तिथि भी आ जाती, और निर्वाचन भी हो जाता। बुरा लगा हो तो क्षमा, गुंजन जी की बात मैं नहीं करता, किंतु आपको तो एक प्रबंधक की तरह सोचना चाहिए ना। ये ध्यान दीजिएगा, कि मैंने संपादन करने को मना नहीं किया है, जिसका आरोप मुझपर पहले भी लगाया गया है, कि मैं अपने लेख से छेड़छाड़ करने पर झगड़ा करता हूं। हालांकी आपने ही इस बात को तुलसी के टैक्सोबॉक्स के संदर्भ में कहा था। मेरी कोई भावना किसी को बुरा भला कहने की नहीं है, संदेश को चाहें तो हटा दीजिएगा, और लोगों को देखने में अच्छा नहीं लगेगा। ये मात्र एक friendly suggestion है। Healthy discussion का सदा स्वागत है। धन्यवाद --आशीष भटनागरसंदेश १४:२२, २० जून २००९ (UTC)
नमस्कार
संपादित करेंनमस्कार! पूर्णिमा जी का संदेश पढ़ा था मैंने। उसमें उन्होंने उल्लेख किया था, कि आप की सहायता से आलेख को चलाए रखूं। मुझे नहीं पता था, कि आपका आलेख में किस श्रेणी का योगदान होता है। हां पीछे जो हुआ सो हुआ। आगे के लिए आप चाहें तो हम साथ चलकर आलेख को चला सकते हैं। यह ध्यान रखेंगे, कि पिछली भूलें ना दोहरायें। (कुछ नयी करें)। लंबी भातेर घूम के बाद वापस संध्या निकली है, तो कामपर चलें। उत्तर प्रतीक्षित।--आशीष भटनागरसंदेश १८:११, २० जून २००९ (UTC)
नमस्कार! उपरोक्त लेख को निर्वाचित लेख व आलेख के लिए चयन किया है। फिल्हाल आलेख व समय मिलने पर निर्वाचन के लिए देख लीजिएगा।--आशीष भटनागरसंदेश ०२:२०, २१ जून २००९ (UTC)
- मैंने डॉ॰व्योम के प्रबंधक प्रस्ताव को रोहित के नीचे काल-क्रम में लगाया था। इसके अलावा कई और भी गलतियां सुधारी थीं। आपने उसे वापस ऊपर लगा दिया है, इसका कोई खास कारण है क्या? साधारणतया प्रस्ताव समय के क्रम से सबसे नया सबसे नीचे लगाया जाता है। किंतु उसे डॉ॰ साहब ने उपशीर्षक के भी ऊपर लगा दिया था। अब आपने वापस रोहित के १३ जून वाले के ऊपर लगा दिया है, जबकि उनका प्रस्ताव १४ जून का है, व नियमानुसार उसे १३ जून के नीचे आना चाहिए था। सबसे ऊपर राजीव जी का आएगा।कृपया देख लें।--आशीष भटनागरसंदेश ०६:०८, २१ जून २००९ (UTC)
- आपका कहना सही है। मेरि नज़ार वहां नहीं पड़ी थी। अब देखा तो पता चला।तब तो अच्छा है, आपने सुधार दिया, आगे से ध्यान रखूंगा। धन्यवाद सहित --आशीष भटनागरसंदेश ०८:३१, २१ जून २००९ (UTC)
गंगा शुद्धिकरण
संपादित करेंनमस्कार! गंगा नदी लेख में कुछ ध्यान दिलाना था:
- सहायक नदियां अनुभाग में कोई चित्र नहीं है, नीचे से अलकनंदा का संगम, व कुछ अन्य नदियों के संगम के २-३ चित्र लगा सकते हैं। इतना बड़ा अनुभाग नीरस सा लग रहा है।
- यह भी देखें, में ३ यह भी देखें, सांचे सहित कट पेस्ट कर दिए हैं, जबकि ये सांचे अंबंधित अनुभागके नीचे लगें तो अधिक सुंदर व यथास्थान लगेंगे। ऐसे ही अन्य अच्छे लेखों में देखा गया है। यह भी देखें उपशीर्षक में तो सीधे लेखों के नम बुलेट के साथ देते हैं।
- निर्वाचित लेख उम्मीदवार सांचा, क्या सबसे नीचे ही लगेगा, अभी तक तो सभी लेखॊं में ऊपर देखा है। खैर, जैसा उचित समझें।
बाकी लेख अच्छा है।--आशीष भटनागरसंदेश १७:५४, २१ जून २००९ (UTC)
नमस्कार! उपरोक्त लेख को आलेख और फ़िर निर्वाचन के लिए सुधार/विकास कर रहा हूं। कुछ सहायता कर पाएं तो ....स्वागत है।--आशीष भटनागरसंदेश ०५:३८, २२ जून २००९ (UTC)
नमस्कार! आपको तरबूज के लिए बहुत पहले संदेश दिया था, आपने अब बताया है। और कोई कारण होता, तो कम से कम आगे ध्यान रखा जा सकता था। खैर मैं उसे हटा कर जुलाई के मासिक चित्र को डायवर्ट कर देता हूं।--आशीष भटनागरसंदेश ०२:३६, २४ जून २००९ (UTC)
कृपया उपरोक्त लेख को देख लें। इसका प्रथम अनुच्छेद, आलेख के लिए छोटा है। २७ जून के लिए इसे चयन कर सकते हैं।उसके बाद निर्वाचन के प्रत्याशी भी बन सकता है।--आशीष भटनागरसंदेश ०३:१३, २४ जून २००९ (UTC)
आवर्त सारणी के सभी तत्वों के लिए एक नया ज्ञान संदूक बनाया कृपया देख ले और अपने विचारों से अवगत कराएँ --गुंजन वर्मासंदेश १६:५६, २६ जून २००९ (UTC)
- अभी देख लेती हूँ मुनिता जी।--मुक्ता पाठक १८:०४, १ जुलाई २००९ (UTC)
कुछ वाक्य ठीक करने चाहिए वे मैं यहाँ लिख रही हूँ। लेख में सीधे संशोधन नहीं कर रही हूँ। इन्हें ठीक कर दें-
- जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है जो वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग बहुत अधिक होता है और प्रतिक्रिया बल भी बहुत अधिक होता है।
- यह वाक्य ठीक नहीं है। इसे इस प्रकार होना चाहिए- जलने से उत्पन्न गैस का दाब बहुत अधिक होता है। यह गैस वायु के साथ मिलकर पीछे की ओर के जेट से तीव्र वेग से बाहर निकलती है। यद्यपि गैस का द्रव्यमान बहुत कम होता है किन्तु तीव्र वेग के कारण संवेग और प्रतिक्रिया बल बहुत अधिक होता है।
- रॉकेट का इतिहास १३ वी शताब्दी से माना जाता है।
- के स्थान पर-- रॉकेट का इतिहास १३वी सदी से प्रारंभ होता है। --होना चाहिए।
- चीन मे रॉकेट विद्या बहुत विकसित हुई और रॉकेट एक प्रमुख शस्त्र बन गया।
- के स्थान पर-- चीन में राकेट विद्या का विकास बहुत तेज़ी से हुआ और जल्दी ही इसका प्रयोग शस्त्र के रूप में किया जाने लगा।-- होना चाहिए।
- सन १७९२ मे मैसुर के शासक टीपू सुल्तान ने लोहे के बने रॉकेट अंग्रेज सेना के विरुद्ध उपयोग किये थे। इस युद्ध के बाद अंग्रेज सेना ने रॉकेट के महत्व को समझा और इस तकनीक को विकसित कर विश्व भर मे प्रचार किया।
- के स्थान पर-- सन १७९२ में मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने अंग्रेज सेना के विरुद्ध लोहे के बने रॉकेटों का प्रयोग किया। इस युद्ध के बाद अंग्रेज सेना ने रॉकेट के महत्त्व को समझा और इसकी तकनीक को विकसित कर विश्व भर में इसका प्रचार किया।-- होना चाहिए।
इसके अतिरिक्त वर्तनी के दोषों को मैं सुधार देती हूँ। --मुक्ता पाठक १८:२३, १ जुलाई २००९ (UTC)
आलेख
संपादित करेंनमस्कार! आपने लिखा था, कि आप १ जुलाई से आलेख देख रही हैं। किंतु उसके कोई संकेत नहीं मिले। इस कारण से मैंने डोडो न नालंदा विश्वविद्यालय जो अतिरिक्त लेख तैयार किए थे, लगाए। कृपया आगे के विचार से अवगत कराएं। चाहें तो मैं आलेख के लिए लेख तैयार करता हूं, व आप संपादन कर मुखपृष्ठ प्रदर्शन लायक बनाकर उसमें लगाएं। मैं शेष लेख/संदर्भ/कड़ियां आदि तैयार कर देता हूं। इसका उत्तर कृपया जल्दी दें। क्योंकि फिल्हाल २ जुलाई के बाद रिक्त स्थान है। शायद आज ३ ता० का लेख भूमध्य रेखा तैयार हो जाए। धन्यवाद--आशीष भटनागर वार्ता ०२:४५, २ जुलाई २००९ (UTC)
- आपको पहले ही बताना चाहिए था। मैं तो कब से देख रहा था। आपने एक भी लेख प्रत्याशी में नहीं लिखा, वर्ना मैं रुक जाता। खैर फिल्हाल मैं ३ ता० को भूमध्य रेखा डाल चुका हूं, व कर्क रेखा तैयार कर रहा हूं। आप देख लें भूमध्य रेखा को। आवश्यक बदलाव कर लें। इसके अलावा एक और सुझाव है:-प्रत्याशी लेख में दो भाग कर सकते हैं। निचले भाग में विकास अधीन लेख, व ऊपरी भाग में तैयार लेख रख सकते हैं। फिर तैयार सूची में से एक एक चुन कर ४ जुलाई से आगे लगाती रहें। सही लगे तो देख लीजिएगा। --आशीष भटनागर वार्ता ०५:१८, २ जुलाई २००९ (UTC)
कृपया यह लेख देख ले, अभी सन्दर्भ जोड़ना बाकी है। --गुंजन वर्मासंदेश ०६:०९, ३ जुलाई २००९ (UTC)
आलेख
संपादित करेंनमस्कार! आपका ४ जुलाई का आलेख सांचा देखा। उसमें ६ - ६½ लाइनें डालें, वर्ना पाठ कम पड़ जाएगा। देखें साँचा:आज का आलेख ३ जुलाई २००९। --आशीष भटनागर वार्ता १४:२८, ३ जुलाई २००९ (UTC)
- मैंने आपको एक सीधा-सादा संदेश लिखा था, जिसमें एक सुझाव ही था, जो सांचे व मुखपृष्ठ को बेहतर बनाता। और उसका ये उत्तर दिय़ा है आपने। क्या सीधे उत्तर नहीं लिखे जा सकते हैं? यहां आप जो अधिकार जता रही हैं सुधार का- तब कहां थीं जब आलेख को अधर में छोड़कर भाग गईं थीं? यदि चित्र का सांचा बिगड़ा हुआ दिखा था, तो सीधे लिखा होता। या तो मैंने सुधारा होता, या कारण बताया होता। या आप स्वयं सुधार देतीं। दूसरा चित्र एकदम सही है। क्या आप... स्तंभ में ही अधिक (लंबाई के) तथ्य लिखे हैं अबकी बार। और ले-आउट के साथ तो आज का आलेख मैच हो ही रहा है।--आशीष भटनागर वार्ता १५:२१, ३ जुलाई २००९ (UTC)
- संदेश का धन्यवाद। मुझे इतनी औपचारिकताएं पसंद नहीं, किंतु कुछ महीनों से शायद आवश्यक हो गई हैं। इससे पूर्व शायद आपने इससे कहीं अधिक भी लिखा होता तो कोई बात नहीं थी। खैर बात को लंबा ना खींचते हुए समाप्त करता हूं। और फिर से कहूंगा, कि यदि आपको सांचे (चित्र) में या कभि किसी भि कार्य में गलती दिखे तो स्वागत है। उसे तभी या देखने पर अवश्य बताएं। ढेरों धन्यवाद--आशीष भटनागर वार्ता १५:४०, ३ जुलाई २००९ (UTC)
धन्यवाद
संपादित करेंमुनीता जी,स्वागत के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,बड़े दिनो से व्यस्त चल रहा था आज समय मिला तो सोचा कि विकि का चक्कर लगा लूं। --सुमित सिन्हावार्ता ०६:१८, ५ जुलाई २००९ (UTC)
- ख्याल तो अच्छा है ,परन्तु ऐसी कोई चीज लागू करना सम्भव शायद हो नही क्योकि विकिपीडिया किसी को भी कोई भी लेख सम्पादित करने कि छूट देता है। और वैसे भी यहां बहुत से लोग सम्पादन सिर्फ शौकिया रूप से करने आते हैं।--सुमित सिन्हावार्ता ०६:५१, ५ जुलाई २००९ (UTC)
- जी--सुमित सिन्हावार्ता ०६:५७, ५ जुलाई २००९ (UTC)
नमस्कार! आपके संदेश को पढ़ने में देरी हुई, क्षमा। किंतु मुझे विकि पर आने का समय ही नहीं मिला। अभी भी आधा-पौन घंटा है। पत्तदकल की लाल श्रेणियों को देखता हूं। वैसे वे श्रेणियां असल में ज्ञानसन्दूक के कारण आयी हैं। उन्हें ्ञानसन्दूक में फेरबदल कर हिन्दी में करने का प्रयास करता हूं। --आशीष भटनागर वार्ता १२:५८, ९ जुलाई २००९ (UTC)
- लीजिए पत्तदकल तैयार है, अपनी संभावित तिथि आंकड़ों वाली श्रेणियों सहित। --आशीष भटनागर वार्ता १३:३८, ९ जुलाई २००९ (UTC)
- मैंने तो पत्तदकल को अच्छा लंबा बनाया था, जैसा कि वह अंग्रेज़ी में है, किंतु पूर्णिमा जी ने जैसा सही समझा, उसे शहर व स्मारक, दो भागों में विभाजित कर दिय़ा है। वैसे तो ठीक ही है, इससे दो पृथक लेख बनेंगे। किंतु सामग्री कम हो गयी है। स्मारक का लेख तो ठीक लंबाई का है। खैर मैं देखता हूं...... लीजिए संदेश लिखते हुए ही, पाठ संदर्भों सहित ढूंढा और लेख बढ़ा दिया। अब तो लगभग ४०० शब्द हैं। सही है ना। बाद में कभी पत्तदकल स्मारक परिसर को भी आलेख के लिए देख लीजिएगा।--आशीष भटनागर वार्ता ०३:३४, १० जुलाई २००९ (UTC)
सहारा एवं इथियोपिया
संपादित करेंनमस्कार! उपरोक्त लेख शीघ्रातिशीघ्र मिलेंगे। और कोई सेवा हो तो बताएं।--आशीष भटनागर वार्ता ०३:०६, ११ जुलाई २००९ (UTC)
- इतनी औपचारिकता ना कीजिए, कि बार बार धन्यवाद देना पड़े। मैं वही पुराना वाला आशीष हूं। दूसरा मेरा कनेक्शन किसी कारण दोपहर ४ बजे तक लग नहीं पाया था। आशा है शाम तक सहारा मरुस्थल तैयार हो जाएगा। इथियोपिया पहले ही बना है। वहां स्पेलिंग गलत लिखी थी, जो मैच नहीं हुई। खैर मैं इथियोपिया लेख को कुछ बढ़ा कर नील नदी में स्पेलिंग सही कर देता हूं। कुछ और लिंक भी डाल देता हूं। --आशीष भटनागर वार्ता १०:३२, ११ जुलाई २००९ (UTC)
- नमस्कार! आज सुबह आलेख का खाली स्थान देखा तो मैंने कर्क रेखा एवं कल १३ जुलाई के लिए रांगेय राघव को सांचों में लगा दिया है। उम्मीदवार पृष्ठ में भी लिख दिए हैं। कुछ सुधार या फेरबदल की आवश्यकता लगे तो देख लीजिएगा। आगे के लिए बांद्रा-वर्ली समुद्रसेतु, सहारा मरुस्थल एवं नील नदी भी तैयार हैं। पहले सोचा कि १४, १५ एवं १६ के लिए उन्हें भी लगा दूं। किंतु फिर सोचा आप ही देख लीजिएगा। वैसे कुछ दिन एड्वांस में लग जाएं तो निश्चिंत होकर रह सकते हैं। --आशीष भटनागर वार्ता ०१:३६, १२ जुलाई २००९ (UTC)
- मुनिता जी ! आज का आलेख के अन्तर्गत १२ जुलाई के लिए कर्क रेखा और रांघेय राघव दोनों का नाम दिख रहा है। कृपया इसे सुधारें।
--आलोचक ०३:२३, १२ जुलाई २००९ (UTC)
- मुनिता जी ! आज का आलेख के अन्तर्गत १२ जुलाई के लिए कर्क रेखा और रांघेय राघव दोनों का नाम दिख रहा है। कृपया इसे सुधारें।
शुभ प्रभात! मैं अंग्रेज़ी के en:Africa#Territories and regions का अनुवाद कर रहा हूं। आप मत कीजिएगा। इसकी सारणी को सांचे के रूप में लगा दूंगा। इससे वह लेख में कम स्थान (बाइट्स) लेगी, किंतु दिखेगी पूरी वैसे ही।--आशीष भटनागर वार्ता ०२:२६, १५ जुलाई २००९ (UTC)
- आपके साथ पुराने समय की तरह काम करना अच्छा लग रहा है। हां मैंने बायोम वाला चित्र उस चित्र को हटा कर लगाया था, जो दोबारा लगा था। सच कहूं तो शब्दकोष में भी बायोम का अर्थ नहीं मिला, ना मुझे पता था। सोचा कि वेजिटेशन या भू प्रकृति से संबंधित होगा। आपका कहना सही है। फिल्हाल भू-प्रकृति के लिए कोई और चित्र लगा देता हूं। सांचा पूरा नीला हो गया है, वो सुबह बताया था ना, वही वाला। उस बहाने अफ्रीका की राजधानियों के पेज भी बन गये। ठीक है ये पुराना वाला चित्र आप वेजिटेशन के लिए सुरक्षित रख लीजिए। पर फिल्हाल यहीं कहीं रख लें, या एक उप-शीर्षक बना कर इतिहास की तरह लगा दें तो सही रहेगा। इतिहास वाला चित्र कैसा है?--आशीष भटनागर वार्ता १६:१४, १५ जुलाई २००९ (UTC)
- पर्वत का चित्र अब सही है? असल में पर्वत शीर्षक खाली था, तो लगा दिया था, किंतु बाद में देखा, कि ड्रेकेन्स्बर्ग वाला पाठ तो नीचे है, तब तक आपका संदेश आ गया। हां, मैंने ऊपरी ज्ञानसन्दूक भी बढ़ा दिया है।--आशीष भटनागर वार्ता १६:४२, १५ जुलाई २००९ (UTC)
आलेख
संपादित करेंनमस्कार! आज का आलेख का एक और प्रयोग आज किया है मैंने। उनके सांचे प्रवेशद्वारों में प्रयोग हो गए हैं। लेकिन एक विषय की कमी लगी। आलेख के लिए कुछ खाद्य पदार्थों के लेख भी चुनें। खासकर भारत के विभिन्न राज्यों के व्यंजन।--आशीष भटनागर वार्ता ०२:०१, १६ जुलाई २००९ (UTC)
- जो मेरे सांचे के बराबर में खाली स्थान है, वो स्थान अंग्रेज़ी में भी ऐसे ही खाली है। खैर हम उसे भर सकते हैं, और मैंने पहले भी चित्र एटलस:अफ्रीका से ही लिए थे, किंतु और कोई उस क्षेत्र के समर्थन वाला चित्र नहीं है। इतिहास के लिए बहुत चित्र हैं, बहुत सी सभ्यताओं के भी चित्र हैं। कहें तो वो लग सकते हैं। इसके अलावा अभी मैं घर पर हूं, तो चित्र आदि धीमी गति के कारण लगा पाना थोड़ा मुश्किल होगा, कल १३३० से ऑफिस में होऊंगा, तब देख लूंगा एक बार और। हां जलवायु में तो चित्र लगे हैं। और जगह नहीं है, हां मैं उन्हें व्यवस्थित कर देता हूं।वैसे मैं ऑनलाइन भी हूं, कुछ और चर्चा करनी हो तो।--आशीष भटनागर वार्ता ०८:५२, १६ जुलाई २००९ (UTC)
- मैं अफ्रीका का इतिहास अनुवाद कर रहा हूं। आप कर रही हों तो बता दीजिए, या शुरु ना किया हो, तो मत कीजियेगा।--आशीष भटनागर वार्ता १०:५३, १६ जुलाई २००९ (UTC)
- नमस्कार! वो अनुवाद मैंने ही किया था। कोई सॉफ्टवेयर नहीं था। वो पहले पहल का अनुवाद था, जिसे बाद में सरल भाषा और सही वाक्य रचना से सुधारना था। वो काम नहीं हो पाया है। यदि अंग्रेज़ी जितना लंबा इतिहास नहीं चाहिए तो छोटा हो जायेगा। अभी तो प्रागैताह ही हुआ है। अभी तो आगे का बाकी है। आप अंग्रेज़ी वाला देखियेगा, उसके वाक्य बहुत ही क्लिष्ट हैं। तभी पहले मात्र अनुवाद किया, वाक्य रचना बाद में देखूंगा।--आशीष भटनागर वार्ता १०:१३, १७ जुलाई २००९ (UTC)
- आलेख के लिए आर्मीनिया को देख लीजियेगा।--आशीष भटनागर वार्ता १३:५८, १७ जुलाई २००९ (UTC)
- नमस्कार! वो अनुवाद मैंने ही किया था। कोई सॉफ्टवेयर नहीं था। वो पहले पहल का अनुवाद था, जिसे बाद में सरल भाषा और सही वाक्य रचना से सुधारना था। वो काम नहीं हो पाया है। यदि अंग्रेज़ी जितना लंबा इतिहास नहीं चाहिए तो छोटा हो जायेगा। अभी तो प्रागैताह ही हुआ है। अभी तो आगे का बाकी है। आप अंग्रेज़ी वाला देखियेगा, उसके वाक्य बहुत ही क्लिष्ट हैं। तभी पहले मात्र अनुवाद किया, वाक्य रचना बाद में देखूंगा।--आशीष भटनागर वार्ता १०:१३, १७ जुलाई २००९ (UTC)
- मैं अफ्रीका का इतिहास अनुवाद कर रहा हूं। आप कर रही हों तो बता दीजिए, या शुरु ना किया हो, तो मत कीजियेगा।--आशीष भटनागर वार्ता १०:५३, १६ जुलाई २००९ (UTC)
अफ्रीका
संपादित करेंभूप्रकृति को इतिहास की तरह छोटा करने का विचार वैसे तो सही है। किंतु ये तब और अच्छा रहता यदि हम सभी विषयों के उपशीर्षक लिखें। अभी भी बहुत हैं, किंतु कुछ और विषय ढूंढ कर उठाएं, या बनाएं। जैसे कि इतिहास के तीन भाग करें, प्रागैतिहास, पूर्व-इतिहास, मध्य-कालीन एवं पूर्व-साम्राज्यवाद इतिहास, तथा साम्राज्यवाद का। फिर इनमें १-२ अनुच्छेद लिखें, व पूरा विवरण अलग लेख में दें। इस ही प्रकार भू-प्रकृति में भी लिखें। इस तरह लेख पढ़ने वाले को पता चलेगा, कि हमने सभी उप-भागों को भी उठाया है, किंतु लेख को अत्यधिक लंबा होने से बचाने हेतु इनका विवरण विस्तार से अलग लेख में दिया गया है। साथ ही इन सभी अनुच्छेदों के लिए चित्र भी मुख्य लेख में लग पाएंगे।वैसे भू-प्रकृति का अंग्रेज़ी अर्थ क्या है? इसलिए पूछा कि ऐसा कोई विषय अंग्रेज़ी लेख में नहीं है। भूगोल या जलवायु तो है नहीं। कोई नय शब्द है? जियोलॉजी? अफ़्रीका के इतिहास के लिए बहुत से चित्र हैं। जनसांख्यिकी भी बाकी है। उसमें कई चित्र लग जायेंगे। और वो इतिहास की भाषा देखनी है, क्योंकि आप अंग्रेज़ी में देखियेगा, उसकी भाषा बहुत ही उलझी हुई है। खैर मुख्य लेख में कोई खास फ़र्क नहीं पड़ेगा। किंतु उसके इतिहास में बहुत से संदर्भ हैं, जो वहां चले गए हैं।
हां आर्मेनिया में एक सारणी और लगा रहा हूं। --आशीष भटनागर वार्ता ०२:३२, १८ जुलाई २००९ (UTC)
- आर्मेनिया की नए अनुच्छेद की वर्तनी देख लेता हूं। आगे के लिए भीमबेटका तैयार कर रहा हूं। होने पर आलेख प्रत्याशी में लगा दूंगा। अफ्रीका का इतिहास अभि सही ही है। और कुछ के लिए मैंने लिखा था, कि मुख्य लेख में इतिहास अनुभाग में प्रागैतिहार, पूर्व-इतिहास, मध्य इतिहास और साम्राज्यवाद काल नाम से ४ उपशीर्षक बना कर १-१ पैरा डाल दें, व १-१ चित्र भी। पूरा डिटेल अफ्रीका का इतिहास में रहेगा।--आशीष भटनागर वार्ता ०५:१३, १८ जुलाई २००९ (UTC)
- माफ़ कीजिएगा, मैंने आपका श्रेणी वाला संदेश नहीं देखा था। और आपने शायद ये भी देखा ही होगा, कि मैंने शुरु से ही हर जगह अफ्रीका लिखा है, तो श्रेणी भी वही बन गई। आपको बहुत मेहनत करनी पड़ी। खैर अब जो बचा है, मैं बदल देता हूं।--आशीष भटनागर वार्ता १७:०४, १८ जुलाई २००९ (UTC)
- १९ जुलाई का आलेख नहीं तय हुआ क्या? बताइए, समय ना हो तो मैं कर दूं।--आशीष भटनागर वार्ता १७:०९, १८ जुलाई २००९ (UTC)
- हां तब ठीक है। कीजिए। मुझे लगा कि आप अभि हैं नहीं, तो कहीं कल का रह ना जाए। वैसे आपने ध्यान रखा ही होगा। हां श्रेणी:अफ्रीका खाली हो गई है। उसमें बस प्रवेशद्वार है, वो सांचे के कारण हट नहीम पाएगा, क्योंकि प्रवेशद्वार का नाम भी अफ्रीका है, प्रवेशद्वार का नाम बदलने पर बहुत सारे सांचे बदलने होंगे। इससे बेहतर था, कि प्रवेशद्वार को दोनो श्रेणियों में रहने दें।फिल्हाल।--आशीष भटनागर वार्ता १७:३१, १८ जुलाई २००९ (UTC)
- देरी के लिए क्षमा, असल में मैं कम्प्यूटर को ऑनलाइन छोड़कर कुछ अपलोड व कुछ डाउनलोड होते हुए, कहीं बाहर चले गए थे। अब आने के बाद देखा। हां अफ़्रीका के बदलाव एकदम सही हैं। यही तो मैं दो-तीन बार आपको इतिहास के लिए बता चुका था ना। आपकी समझ में नहीम आया था तब, पर चलो अब ही सही। इतिहास के २ या ३ अनु० कर के उनके अंदर ३-५ वाक्य प्रति अनु० डाल दें, जो प्राग, पूर्व एवं मध्य काल के अफ़्रीका का परिचय दें। दूसरा आपने बांद्रा-वर्ली समुद्र सेतु में वार्ता को नहीं पढा क्या? उसके बारे में भी तो कुछ सोचिए (इंग्लिश वाली)।--आशीष भटनागर वार्ता ११:५३, १९ जुलाई २००९ (UTC)
- हां तब ठीक है। कीजिए। मुझे लगा कि आप अभि हैं नहीं, तो कहीं कल का रह ना जाए। वैसे आपने ध्यान रखा ही होगा। हां श्रेणी:अफ्रीका खाली हो गई है। उसमें बस प्रवेशद्वार है, वो सांचे के कारण हट नहीम पाएगा, क्योंकि प्रवेशद्वार का नाम भी अफ्रीका है, प्रवेशद्वार का नाम बदलने पर बहुत सारे सांचे बदलने होंगे। इससे बेहतर था, कि प्रवेशद्वार को दोनो श्रेणियों में रहने दें।फिल्हाल।--आशीष भटनागर वार्ता १७:३१, १८ जुलाई २००९ (UTC)
- १९ जुलाई का आलेख नहीं तय हुआ क्या? बताइए, समय ना हो तो मैं कर दूं।--आशीष भटनागर वार्ता १७:०९, १८ जुलाई २००९ (UTC)
- माफ़ कीजिएगा, मैंने आपका श्रेणी वाला संदेश नहीं देखा था। और आपने शायद ये भी देखा ही होगा, कि मैंने शुरु से ही हर जगह अफ्रीका लिखा है, तो श्रेणी भी वही बन गई। आपको बहुत मेहनत करनी पड़ी। खैर अब जो बचा है, मैं बदल देता हूं।--आशीष भटनागर वार्ता १७:०४, १८ जुलाई २००९ (UTC)
मैंने ये नाम कहीं नेट पर ही देख था। वरना पहले गुफाचित्र आदि कुछ सोचा था। शायद किसी संदर्भ में से मिल भी जाएगा।
और बहुत सी जगह मिलेगा।--आशीष भटनागर वार्ता १८:११, १८ जुलाई २००९ (UTC)
- आपका भेजा संदेश ढूंढने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ी। हा हा हा। बहुत बेवकूफ़ बनाया, और था भी तो २ दिन पहले का उत्तर। खैर, यदि हो सके तो आप एक काम किया कीजिए, अपने हस्ताक्षर करने से पूर्व एंटर या ब्रेक ना दिया करें। इससे आपका संदेश लिस भी लेवल पर हो, किंतु हस्ताक्षर प्रथम लेवल पर आ जाता है, व कंटीन्युटी टूट जाती है। अब मेरी वार्ता मैंने ठीक की, आपके सभी हस्ताक्षरों के आगे से एंटर हटाये, अब ठीक लग रही है। यदि सही लगे तो एंटर ना लगाइएगा।--आशीष भटनागर वार्ता ०२:५८, १९ जुलाई २००९ (UTC)
- बहुत बढ़िया चित्र है। मजा आ गया। लेकिन चित्र दीर्घा में से चौथा चित्र अभी हटा या कमेंट में डाल दीजिए, वर्ना वो ज्ञानसन्दूक को ओवरलैप कर रहा है। या एक और अनुच्छेद बढाइये, जिससे कि चित्र दीर्घा ज्ञानसन्दूक के नीचे पहुंच जाये। हां एक और महत्वपूर्ण बात। आपने बांद्रा--.. की वार्ता देखी है क्या? उसका कुछ करना है? या ऑनलाइन आइए, वहीं बात करते हैं....... अरे ये तो बाद में देखा, चित्र बदलने लगे। वाह, ये मेरे अफ़्रिका वाले चित्र का जवाब है। excellent--आशीष भटनागर वार्ता ०३:४१, १९ जुलाई २००९ (UTC)
- हां कहा तो वही था। उसे हटा दें क्या? वैसे अभी मैं ऑफिस जा रहा हूं। ७:४५ तक ऑनलाइन होता हूं। तब बात करते हैं।--आशीष भटनागर वार्ता १३:२४, १९ जुलाई २००९ (UTC)
- आप हुकुम करें। हो जाता हूं। वैसे आज नाइट है।बताइये। आपके लिए नेल्सन मंडेला तैयार कर रहा हूं।अफ़्रीका में कहीं नाम डाल दीजिएगा।--आशीष भटनागर वार्ता १५:३६, १९ जुलाई २००९ (UTC)
- हां कहा तो वही था। उसे हटा दें क्या? वैसे अभी मैं ऑफिस जा रहा हूं। ७:४५ तक ऑनलाइन होता हूं। तब बात करते हैं।--आशीष भटनागर वार्ता १३:२४, १९ जुलाई २००९ (UTC)
- बहुत बढ़िया चित्र है। मजा आ गया। लेकिन चित्र दीर्घा में से चौथा चित्र अभी हटा या कमेंट में डाल दीजिए, वर्ना वो ज्ञानसन्दूक को ओवरलैप कर रहा है। या एक और अनुच्छेद बढाइये, जिससे कि चित्र दीर्घा ज्ञानसन्दूक के नीचे पहुंच जाये। हां एक और महत्वपूर्ण बात। आपने बांद्रा--.. की वार्ता देखी है क्या? उसका कुछ करना है? या ऑनलाइन आइए, वहीं बात करते हैं....... अरे ये तो बाद में देखा, चित्र बदलने लगे। वाह, ये मेरे अफ़्रिका वाले चित्र का जवाब है। excellent--आशीष भटनागर वार्ता ०३:४१, १९ जुलाई २००९ (UTC)
नई वार्ता
संपादित करेंबिल्कुल देखता हूं। हां एक बात सोची थी मैंने।हिन्दी विकि को भारत के लिए मुख्यतः देखते हुए, हम क्या भारत से संबंधित लेखों को ना उठाएं पहले। मतलब अभी तो हम दोनों ही दक्शःइण अमरीका और दक्षिण अफ़्रीका में बैठे हैं। किंतु इन चलते हुए विषयों को पूरा कर, वापस दिल्ली, भारत, ताजमहल, मुंबई, अन्य राजधानियां, राज्य और खास भारत संबंधी लेखों को आलेख या निर्वाचन के लिए उठायें तो कैसा रहे? कम से कम हम साल के ६ महीने में भारत के १०० आलेख तो तैयार कर ही लेंगे। मैंने भारत के ढेरों शहरों को बढ़ाया हुआ है। क्या कहती हैं?--आशीष भटनागर वार्ता १५:५३, १९ जुलाई २००९ (UTC)
- हां सही बात है। और अभी जो भी कर रहे हैं, वो अलग बात है। हां आगे के लिए अफ़्रीका के बाद, वापस दिल्ली को ले लेते हैं, निर्वाचन के लिए, और आलेख के लिए भारत के शहरों को उठाते हैं। पहले राजधानियां। मैं, आप और गुंजन; हम तीनों मिल कर आलेख को २५ राजधानियों से पूरा कर देते हैं पहले। फिर राज्यों से। बाद में हरेक राज्य के ३-५ शहर। इस तरह हर राज्य के ५+१=६ शहर यानि ६*२५=१५० शहर पूरे हो जायेंगे। किसी राज्य में कम शहर हैं, जैसे पूर्वोत्तर, तो उनके बदले बड़े राज्यों को अधिक शहर का मैका मिलेगा। बाकी जैसी बनाने वाले की इच्छा। हां सारे महाद्वीप भी पूरे करने होंगे, निर्वाचन ना सही आलेख के लिए ही सही।--आशीष भटनागर वार्ता १६:०२, १९ जुलाई २००९ (UTC)
- हां चिंता ना कीजिए। कल द.अमेरिका मुखपृष्ठ पर होगा। हां आलेख प्रत्याशी देख लीजिए जरा।--आशीष भटनागर वार्ता १८:०१, १९ जुलाई २००९ (UTC)
लीजिए तैयार है प्रवेशद्वार:अफ़्रीका। हां इसकी श्रेणी भी श्रेणी:अफ़्रीका ही है। और आलेख में दक्षिण अमरीका व कल के लिए नेल्सन मंडेला लगा दिए हैं। अब आपको प्रवेशद्वार:अफ़्रीका में क्या आप जानते हैं? में ३-४ पाइंट लगाने हैं। सांचे के लिए प्रवेशद्वार:अफ़्रीका/क्या आप जानते हैं क्लिक करें। मैं बाद में मिलता हूं।--आशीष भटनागर वार्ता ०२:१५, २० जुलाई २००९ (UTC)
- मुनिता जी नमस्कार !
नेलस्न मण्डेला लेख को मैंने देख लिया है और यथासम्भव वर्तनी की अशुद्धियों को ठीक कर दिया है।
--आलोचक ०३:०८, २० जुलाई २००९ (UTC)