मे रुपल आज कल वीकीपीडिया पर ओखहरन की कथा का सम्पादन् कर रही हु । जो मैने महाकवी प्रेमनन्द की रचनाओ मे से पढी है । महाकावी प्रेमानंद जी ने इस कथा को काव्या के रूप मे लिखा है । जिसको मै कहानी के रूप मे प्रस्तुत कर रही हू. ।