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[[File:Wani shyamrao.jpg|thumb|Wani shyamrao]]== मै और मेरा दोस्त ==

सचमूच मै काफ़ी अकेला हूँ लेकिन अकेला काफ़ी हूँ क्योंकि मै सच हूँ

मै और मेरा दोस्त

मेरे दोस्त को पता नहीं

उसके अपने कितने है

उसके सपने जितने

उसके खिलाफ उतने है

दोस्त को मैने मेहमान कहा

दोस्त ने खूद बलवान कहा

पत्थर के भगवान को महान कहा

बेइमान को इमान कहा

अपमान को गुलाम कहा

गुलाम की जंजीर खींचकर

गुलामगीरी को महान कहा

दोस्त तेरा मेरा रिश्ता खतम

तरी आस्था  तेरा रास्ता

पत्थर दिल तेरा भगवान रहा

भूख प्यास की आग मे

शमशान मे जलता इंसान रहा

तेरा वास्ता तेरे राम से

मै यहॉ मेरे इमान से

मैंने चाँद को चाँद कहा

चाँदनी दिखती है जहॉ

सूरज को अभिमान से कहा

तेरे बिना जिंदगी नहीं

इस धरती का तू भगवान रहा

तूने ना किया कोई भेद

ना धर्म जाति कोई वेद

तेरा इंसाफ हर जीव जंतू इंसान मे रहा

धरती के सूरज तू मेरा भगवान रहा

कवि लेखक शामराव वाणी Shyamrao Wani (वार्ता) 14:18, 1 फ़रवरी 2024 (UTC)उत्तर दें

shyamrao wani

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writer director creative mind 183.82.103.145 (वार्ता) 07:09, 23 फ़रवरी 2024 (UTC)उत्तर दें

मै डरकर जिना नही चाहता

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मै डर्डरकर जिना नहीं चाहता जहर जिंदगी का पीना नहीं चाहता कौन अमर है यहाँ ? धरती चाँद सूरज तारे प्यार मे इंसान जो दिल हारे मै किसिको मारना नहीं चाहता मै बैमौत मरना नहीं चाहता जिंदगी बनेगी बोझ ऐसा जीना नहीं चाहता अंधश्रधा पाखंडवाद वेद छुआछूत जाति धर्म भेद जहर जिंदगी का पीना नहीं चाहता chuvachhut 183.82.103.145 (वार्ता) 06:36, 29 फ़रवरी 2024 (UTC)उत्तर दें

मै सच हूँ

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सचमूच मै काफ़ी अकेला हूँ लेकिन अकेला काफ़ी हूँ मै सच हूँ Shyamrao Wani (वार्ता) 04:39, 1 मार्च 2024 (UTC)उत्तर दें

मुझे समझ कर देख लीजिए

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अपनी भावनाओं को बदलने का प्रयास करें। मैं कोई अनैतिक व्यक्ति नहीं हूं. मुझे लीलाओं में आनंद नहीं मिलता. मुझे दु:ख नहीं होता। मेरी इच्छा है कि मैं इसमें डूब जाऊं. सच का सामना करना जरूरी है. यह कोई याद नहीं, बल्कि हकीकत है।

कृपया एक अलग रास्ता अपनाने पर विचार करें। कृपया मेरी उपेक्षा करें.

अपनी भावनाओं को बदलने पर विचार करें.

अभी रात ख़त्म नहीं हुई है और न ही बातचीत ख़त्म हुई है, अभी-अभी तो तुमसे मुलाक़ात हुई है. मैं चाँद और सूरज से वादा करता हूँ कि तुम अपने प्रभु की परवाह करते हो। रास्ता बदलने और मेरी उपस्थिति की उपेक्षा करने पर विचार करें। तुम्हें राजतिलक दिया जाएगा और आज का दिन तुम्हारे अधिकार में रहेगा। हम बगावत करेंगे तो राज छिपा ही रहने दो. अगर हम ऐसा करेंगे तो भयावह परिणाम होंगे, इसलिए इसे समझें। कवि, लेखक और शिक्षक श्यामराव विष्णु वाणी द्वारा लिखित।

2. रहस्यों को रहस्य ही रहने दें...

                 

                                    मुझे नहीं पता कि इसे कैसे मोड़ना है

                     कृपया इसे ही समझें

                   नफरत का कालीन बिछाया गया है

                       मैं डुबकी लगाना चाहता हूँ.

मैं झूठ बोलना नहीं जानता

सत्य को समझो

मैं कोई बुरा इंसान नहीं हूं

हमें हकीकत का सामना करना होगा.

                                    मुझे शौक पसंद नहीं है

                                    दुखी नहीं

                                    यह अतीत नहीं, हकीकत है

                                 अपनी भावनाओं को बदलने का प्रयास करें

न रात बीती है, न बातचीत ख़त्म हुई है। मुझे सिर्फ तुम मिले। मैं चाँद और सूरज से वादा करता हूँ कि तुम अपने प्रभु की परवाह करते हो। अपने तरीके बदलो. 183.82.103.145 (वार्ता) 05:12, 1 मार्च 2024 (UTC)उत्तर दें

swarg narak स्वर्ग नरक heaven and

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 स्वर्ग नरक

थोडा सा मातम होता है

और इंसान खतम होता है?

मरने के बाद क्या सितम होता है?

किस को पता क्या जुलुम होता है

ऐसी फालतू बाते करता क्यों है?

जो बोता है जीते जी वही होता है

स्वर्ग नरक की बाते करता क्यों है?

मरना है एक दिन सबको मगर

लालची इंसान डरता क्यों है?

मूर्दो इंसान बोलता नही

स्वर्ग नरक का राज खोलता नही

जब जीते जी स्वर्ग मिलता नही

तब स्वर्ग नरक बोलता क्यों है?

स्वर्ग अच्छा नरक गंदा

क्या यह काझी पंडित का धंदा ?

अंधश्रधा मे देश अंधा क्यों है ?

गले मे फांसी का फंदा क्यों है ?

मौत के फरिस्ते रिश्वत नहीं लेते

फिर धन दौलत और औरत

गलतफ़ैमियों मे बंदा बँधा क्यों है?@ 2409:4070:2D11:291:2C1A:9A85:B682:BCA9 (वार्ता) 17:30, 15 मार्च 2024 (UTC)उत्तर दें

DANGER DREAM SAPNO KA SHIKARI सपनों का शिकारी

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सपनों का शिकारी एक भिकारी ने सपना देखा सपने मे एक अपना देखा वाह! क्या भाषण था उसका जैसे जमीन से आसमान देखा जलता समशान तूफान देखा पाषाण से राशन तक तर्क-सतर्क उमीद जगाई उसके भाषण ने मेरा समाज मेरे अनुशासन मे सिर्फ मुझे साथ दो चैन की नींद दिन रात दो आँखे खोलो मुझे हात दो अपना बर्तन बिस्तर मुझे बाँट दो मैंने कहा मै तुझे मेरी खाट दु बर्तन बिस्तर सब बाँट दु जमीन बेचकर अपना जमीर छाट दु खुद को बचाना मेरी जिम्मेदारी है मै गरीब भिकारी तू सपनों का शिकारी है Shyamrao Wani (वार्ता) 17:56, 16 मार्च 2024 (UTC)उत्तर दें

आयना

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आयना कभी तू आगे मै पीछे कभी मै ऊपर तू नीचे अब कैसा लगता है ? झूठे पुलिस केस मे जब पैसा लगता है सारी सारी रात सताना झूठी मिठी बात बताना जालिम जैसा लगता है आज की रात खतम राज की बात खतम तुझे मेरी कसम मुझे तेरी कसम सुनने मे अच्छा लगता है तुम्हारा झुठ पर झूठ बोलना तुम्हें झूठ क्यों सच्चा लगता है ? जब सच पहले से ही मालूम है झूठ सुनने मे कितना अच्छा लगता है झूठी चोरी लूटा चोर जब चोर मचाए शोर पुलिस वकील झूठा हरामखोर लगता है जब रक्षक बन गया भक्षक कौन जीतेगा ? किसपर बीतेगा सौ झूठ एक सच जबरदस्त लगता है कभी तू आगे मै पीछे कभी मै ऊपर तू नीचे मस्त लगता है चाँद सूरज कभी छुपता नहीं सच चुभता है झुकता नहीं जब जब झुका है झूठ आगे पीछे नीचे सच जोर से लगता है कवि लेखक श्याम सुमन श्यामराव विष्णु वाणी 9552787478 Shyamrao Wani (वार्ता) 10:27, 21 मार्च 2024 (UTC)उत्तर दें

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