सप्त चिरन्जीवि
हनुमान, विभीषण, व्यास महर्षी, कृपाचार्य, अश्वत्थामा, परशुराम, राजा बली ये सातों चिरन्जीवि है. ये इस कल्प के अंत तक इस पृथ्वी पर विद्यमान रहेंगे ऐसी हिंदू धर्म में मान्यता है. [1]
प्रातःस्मरण के लिए एक श्लोक
संपादित करेंहिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि हर रोज सुबह सप्तचिरंजीवियों के नाम वाला श्लोक पठन करने पर निरोगी दीर्घायु की प्राप्ति होती है-
“ | अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च बिभीषणः। कृपः परशुरामश्चैव सप्तैते चिरंजीविनः॥ |
” |
मार्कण्डेय ऋषि सप्तचिरंजीवियों में से एक तो नहीं, पर दीर्घायु ऋषि थे. अतः उनके नाम के साथ भी एक श्लोक आता है[2]-
- अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः।
- कृपः परशुरामश्चैव सप्तैते चिरंजीविनः॥
- सप्तैतान् स्मरेन्नित्यम् मार्कंडेयम् तथाष्टमम्।
- जीवेद्वर्षशतं सोऽपि सर्वव्याधिविवर्जितः॥
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "'सहस्रों वर्ष से जीवित हैं' "सप्त चिरंजीव"". अभिगमन तिथि 2021-02-02.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "शतायु होना है तो स्मरण करें इन 7 चिरंजीवियों का..." अभिगमन तिथि 2021-02-02.