सामाजिक प्रभाव

(समकक्ष दबाव से अनुप्रेषित)

समकक्ष दबाव, साथियों के एक समूह द्वारा किसी व्यक्ति पर समूह के आदर्शों के अनुरूप अपने तरीके, मूल्यों, या व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए डाले जाने वाले दबाव का संदर्भ देता है। प्रभावित सामाजिक समूहों में सदस्यता समूह भी शामिल हैं जहां व्यक्ति "औपचारिक रूप से" एक सदस्य (उदाहरण के लिए, राजनीतिक दल, ट्रेड यूनियन) या एक सामाजिक गुट होता है। समकक्ष दबाव से प्रभावित व्यक्ति इन समूहों में शामिल होने का इच्छुक हो भी सकता है और नहीं भी. वे उन अलगाववादी समूहों की पहचान भी कर सकते हैं जिनके साथ वे जुड़ना नहीं चाहते हैं और इसलिए वे उस समूह के संबंध में प्रतिकूल व्यवहार दर्शाते हैं।[तथ्य वांछित]

युवा लोगों में युवा समकक्ष दबाव को समकक्ष दबाव का सबसे आम प्रकार माना जाता है। यह विशेष रूप अधिक आम है क्योंकि अधिकांश युवा व्यक्ति अपना ज्यादातर समय कुछ निश्चित समूहों (स्कूल तथा उनके भीतर के उपसमूह) में ही बिताते हैं, भले ही उस समूह के बारे में उनकी राय कैसी भी हो. इसके अलावा, उनमें 'मित्रों' के दबाव को सँभालने के लिए आवश्यक परिपक्वता का अभाव भी हो सकता है। साथ ही, युवा व्यक्ति उन लोगों के प्रति नकारात्मक व्यवहार दर्शाने के लिए अधिक तत्पर रहते हैं जो उनके समूह के सदस्य नहीं हैं। हालांकि, युवा समकक्ष दबाव के सकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई किसी ऐसे समूह में शामिल है जिसके सदस्य महत्त्वाकांक्षी हैं और सफल होने के लिए मेहनत करते हैं, तो उसके ऊपर वैसा ही करने का दबाव पड़ सकता है, ताकि समूह से अलग होने की भावना से बचा जा सके. कई बार बच्चे खुद पर अधिक दबाव डाल लेते हैं। उन्हें लगता है कि उन्हें उस समूह में शामिल होना चाहिए ताकि वे "कूल (Cool)" तथा "शामिल" होने का अनुभव कर सकें. इसलिए, युवाओं पर स्वयं को बेहतर करने का दबाव पड़ता है जो कि लंबे समय में उनके भविष्य के लिए एक अच्छी बात है। यह उन युवाओं में अधिक आम है जो खेलकूद तथा अन्य रचनात्मक गतिविधियों में सक्रिय हैं जहां अपने साथियों के समूह का अनुकरण करने की भावना सबसे अधिक बलवान होती है। .

जोखिम व्यवहार

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हालांकि सामाजिक रूप से स्वीकृत बच्चों का स्कूल में प्रदर्शन सबसे अच्छा रहता है क्योंकि उनके पास सबसे अधिक संसाधन, सबसे अधिक अवसर और सबसे सकारात्मक अनुभव मौजूद रहते हैं, शोध से पता चलता है कि लोकप्रिय भीड या समूह में रहना हल्के-फुल्के से लेकर मध्यम स्तर तक के गलत व्यवहार के लिए जोखिम कारक भी हो सकती है। चूँकि लोकप्रिय किशोर अपने समूह के अन्य सदस्यों के साथ काफी हिले-मिले रहते हैं इसलिए उनके द्वारा समकक्ष दबाव में आने की संभावना भी सबसे अधिक रहती है; जैसे कि नशीली दवाओं के सेवन जैसी गतिविधियां जिन्हें आमतौर पर अधिक परिपक्व तथा समझदार लोगों से संबंधित समझा जाता है। किशोरावस्था नई पहचान और अनुभवों के साथ प्रयोग का एक समय होता है। अक्सर हाई स्कूल की संस्कृति के अपने ही सामाजिक मानदंड होते हैं जो बाह्य संस्कृति से काफी अलग होते हैं। संभव है कि इन मानदंडों में से कुछ विशेष रूप से सकारात्मक या लाभकारी न हों. सामाजिक रूप से स्वीकृत बच्चों को अक्सर केवल इसलिए भी स्वीकार किया जाता है क्योंकि वे किशोरों की संस्कृति के मानदंडों के सभी पहलूओं (अच्छे और बुरे दोनों) का काफी अच्छी तरह अनुकरण करते हैं। लोकप्रिय किशोरों द्वारा अपने साथियों के समूह के साथ अधिक मजबूती से जुड़े होने के कारण साथ मिलकर शराब, सिगरेट तथा नशीली दवाओं के सेवन करते होने की संभावना अधिक होती है। हालांकि कुछ जोखिम कारक लोकप्रियता के साथ सहसंबद्ध हैं, गलत व्यवहार अक्सर केवल हल्के-फुल्के या मध्यम स्तर तक ही सीमित रहता है। इन सबके बावजूद, सामाजिक स्वीकृति कुल मिलाकर जोखिम कारकों की बजाय सुरक्षात्मक कारक अधिक प्रदान करती है।[1]

थर्ड वेव, फासीवाद के आकर्षण का प्रदर्शन करने के लिए किया गया एक प्रयोग था; इस प्रयोग को इतिहास के शिक्षक रॉन जोन्स द्वारा नाजी जर्मनी के अध्ययन के एक हिस्से के रूप में उनके समकालीन इतिहास विषय में भाग लेने वाले सौफोमोर हाई स्कूल के छात्रों के साथ किया गया था। यह प्रयोग अप्रैल 1967 के प्रथम सप्ताह के दौरान पालो अल्टो, कैलिफोर्निया के कबरली हाई स्कूल में किया गया। जोन्स अपने छात्रों को यह समझा पाने में असमर्थ रहे थे कि जर्मन लोग यहूदियों के नरसंहार के बारे में अपनी अनभिज्ञता का दावा किस प्रकार कर सकते हैं, इसलिए उन्होंने इसका प्रदर्शन करने का निर्णय किया। जोन्स ने "थर्ड वेव (तीसरी लहर)" नामक एक आंदोलन शुरू किया और अपने छात्रों को विश्वास दिला दिया कि यह आंदोलन लोकतंत्र का खात्मा करने के लिए है। लोकतंत्र द्वारा व्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर दिए जाने को लोकतंत्र की खामी माना गया और जोन्स ने अपने आदर्श वाक्य में आंदोलन के इस मुख्य बिंदु पर जोर दिया: "अनुशासन के माध्यम से शक्ति, क्रिया के माध्यम से शक्ति, गर्व के माध्यम से शक्ति". थर्ड वेव प्रयोग, तानाशाही तथा समकक्ष दबाव वाली परिस्थितियों में व्यवहार संबंधी जोखिम का एक उदाहरण है।[2][3]

साथियों का हल्का-फुल्का दबाव

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प्रबंधन क्षेत्र में 'साथियों का हल्का-फुल्का दबाव' एक ऐसे तरीके को कहा जाता है जिसका इस्तेमाल टीम के सदस्यों के उत्साह, आगे बढ़कर काम करने तथा लक्ष्यों का स्वनिर्धारण करने की प्रवृत्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह नेतृत्व का एक उपयोगी तरीका है। काम को सीधे तौर पर बाँटने तथा परिणाम की मांग करने की बजाय यहां पर कर्मचारियों से उनके साथियों के साथ तुलना के माध्यम से अपने प्रदर्शन को स्वयं ही सुधारने पर जोर दिया जाता है। कार्य स्थल पर समकक्ष दबाव को कई तरीकों से लागू किया जा सकता है। उदाहरण - प्रशिक्षण, टीम मीटिंग. प्रशिक्षण ; क्योंकि टीम का सदस्य अन्य संगठनों में समान भूमिका निभाने वाले लोगों के साथ संपर्क में रहता है। टीम मीटिंग; क्योंकि टीम के प्रत्येक सदस्य के बीच यहां तुलना किये जाने की संभावना रहती है, खासकर यदि मीटिंग की कार्यसूची में परिणाम तथा लक्ष्य स्थिति को पेश करना शामिल हो.[4]

स्कूल में 'साथियों के हल्के-फुल्के दबाव' का संदर्भ स्कूली अनुशासन तथा आंतरिक आत्म-अनुशासन को लोकतांत्रिक तरीके से प्राप्त करने से होता है। यह माना जाता है कि स्कूली शिक्षा का उचित सिद्धांत तथा शैक्षणिक धारणा, स्कूल में हिंसा को रोकने तथा शिक्षण, व्यवस्था और अनुशासन को बढ़ावा देने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। बच्चों को भी वयस्कों के सामान मानवाधिकार तथा स्वतंत्रता दी जानी चाहिए; उन्हें अपने मामलों के संचालन की जिम्मेदारी प्रदान की जानी चाहिए; और उन्हें पूर्ण रूप से अपने सामुदायिक जीवन का हिस्सा बनने के छूट होनी चाहिए. सभी उम्र के बच्चे (बिना किसी अपवाद के) स्कूल को प्रभावित करने वाले सभी फैसलों में भाग लेने के हकदार हैं। खर्च, सभी कर्मचारियों (शिक्षकों सहित) को रखने और निकालने, तथा समुदाय के नियमों को बनाने और उनको लागू करने संबंधी सभी निर्णयों में उनका पूर्ण और समान मत होना चाहिए. आमतौर पर, साप्ताहिक स्कूल बैठकों में नियमों को बनाया जाता है और कार्य की विवेचना की जाती है, जहां स्कूल के प्रत्येक सदस्य की ही तरह प्रत्येक छात्र के पास भी एक मत होता है: व्यक्तिगत अधिकार संबंधी मामलों की स्वतंत्रता तथा साथियों का न्याय.[5][6][7]

न्यूरल मेकेनिज्म (तंत्रिका तंत्र)

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न्यूरोइमेजिंग, एंटीरियर इन्सुला तथा एंटीरियर सिंगुलेट की पहचान मस्तिष्क के उन प्रमुख क्षेत्रों के रूप में करती है जो इस बात का निर्धारण करते हैं कि लोग अपनी वरीयता (पसंद) को अपने साथियों के समूह के भीतर उसकी लोकप्रियता के अनुसार परिवर्तित करते हैं या नहीं.[8]

  1. एलन, पोर्टर, मैकफ़ारलैंड, मार्श और मैकएल्हेनी (2005). दी टू फेसेज़ ऑफ ऐडलेसन्टस सक्सेस विथ पीयर्स: ऐडलेसन्ट पॉपुलेरिटी, सोशल एडेप्टेशन, एंड डेविएन्ट बिहेवियर. चाईल्ड डेवलपमेंट.. मेघा एंड दीक्षा, 76, 757-760.
  2. वेंफिल्ड, एल (1991). रिमेम्ब्रिंग दी 3rd वेव Archived 2011-07-19 at the वेबैक मशीन. 6 मार्च 2010 को प्राप्त किया गया।
  3. जोन्स, रॉन (1972). THE THIRD WAVE. 6 मार्च 2010 को प्राप्त किया गया।
  4. साल्वाडोर, जोस (2009). एमबीए कुकबुक.
  5. दी सुड्बरी वैली स्कूल (1970). लॉ एंड ऑर्डर: फाउन्डेशन्स ऑफ डिसिप्लिन, दी क्राइसिस इन अमेरिकन एजुकेशन - एन एनालाइसिस एंड ए प्रपोजल. (पी. 49-55). 8 मार्च 2010 को प्राप्त किया गया।
  6. ग्रीनबर्ग, डी. (1987). विथ लिबर्टी एंड जस्टिस फॉर ऑल Archived 2011-05-11 at the वेबैक मशीन, फ्री एट लास्ट, सुड्बरी वैली स्कूल. 8 मार्च 2010 को प्राप्त किया गया।
  7. ग्रीनबर्ग, डी. (2000). आर-ई-एस-पी-ई-सी-टी (R-E-S-P-E-C-T) - वॉट चिल्ड्रेन गेट इन डेमोक्रेटिक स्कूल्स Archived 2011-07-25 at the वेबैक मशीन. 8 मार्च 2010 को प्राप्त किया गया।
  8. बर्न्स जीएस, केप्रा सीएम, मूर एस, नौसेर सी. (2010). किशोरों द्वारा की जाने वाली संगीत की रेटिंग पर लोकप्रियता के प्रभाव का न्यूरल मेकेनिज्म. न्यूरोइमेज. 49:2687-2696. doi:10.1016/j.neuroimage.2009.10.070 पीएमआईडी 19879365

इन्हें भी देखें

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सामाजिक मानदंडों का विपणन

बाहरी कड़ियाँ

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