समतापी प्रक्रम

उन ऊष्मागतिकीय प्रक्रमों को समतापी प्रक्रम कहते हैं जिनके अन्तर्गत निकाय का तापमान

उन ऊष्मागतिकीय प्रक्रमों (या परिवर्तनों) को समतापी प्रक्रम (isothermal process) कहते हैं जिनके अन्तर्गत निकाय का तापमान अपरिवर्तित रहे (ΔT = 0)। ऐसी स्थिति तब आती है जब निकाय किसी ऊष्मीय भण्डार (heat bath) के सम्पर्क में हो तथा प्रक्रिया इतनी धीमी गति से हो कि हीट-बाथ के साथ ऊष्मा का आदान-प्रदान करते हुए निकाय अपना तापमान लगभग नियत बनाए रख सके।

आदर्श गैस का नियत ताप पर पर p-v आरेख

समतापी प्रक्रम किसी भी ऐसे तंत्र में सम्भ्व है जिसमें ताप को नियंत्रित रखने की कोई व्यवस्था हो, जैसे जीवित कोशिकाएँ, अत्यधिक व्यवस्थित मशीनें आदि।

ऊष्मा इंजनों के अन्दर होने वाले चक्रीय प्रक्रमों के कुछ भाग एक नियत ताप पर होते हैं। उदाहरण के लिए, कार्नो चक्र में । जब रासायनिक अभिक्रियाओं का विश्लेषण किया जाता है तो प्रायः उस अभिक्रिया को 'समतापी' मानते हुए उसका विश्लेषण किया जाता है और उसके बाद ताप के परिवर्तन को स्वीकारते हुए उस अभिक्रिया का अध्ययन किया जाता है और ताप-परिवर्तन का प्रभाव देखा जाता है। प्रावस्था परिवर्तन (जैसे क्वथन, द्रवण) तो समतापी प्रक्रम ही हैं।

इन्हें भी देखें

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