सरिय्या ज़ैद बिन हारिसा (ईस)

सरिय्या ज़ैद बिन हारिसा रज़ि० (ईस) या सरिय्या ईस(अंग्रेज़ी: Expedition of Zayd ibn Harithah (Al-Is) प्रारंभिक इस्लाम में ज़ैद बिन हारिसा का सैन्य अभियान था जो सितंबर, 627, इस्लामी कैलेंडर के 6 हिजरी में हुआ था। इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद के द्वारा अपने दत्तक पुत्र और आज़ाद किये गये ग़ुलाम ज़ैद बिन हारिसा के नेतृत्व में 170 घुड़सवारों की एक पलटन को विरोधियों के कारवां को रोकने के लिए अल-ईस नामक स्थान की तरफ भेजा गया था।

सरिय्या ज़ैद बिन हारिसा रज़ि० (ईस)
मुहम्मद की सैन्य उपलब्धियाँ का भाग
तिथि सितम्बर 627AD, 5वाँ महीना 6AH
स्थान en:Al-Is
परिणाम सफल छापेमारी, बहुत लूट का माल बरामद[1]
सेनानायक
ज़ैद बिन हारिसा अबूल आस बिन रबी
शक्ति/क्षमता
170 घुड़सवार अनजान
मृत्यु एवं हानि
0 अज्ञात नंबर पकड़ा गया

कारवां पर धावा संपादित करें

ज़ैद बिन हारिसा 6 हिजरी में, एक 170 घुड़सवारों के साथ कुरैश के एक कारवां को रोका और माले ग़नीमत में उनके ऊंटों पर कब्जा कर लिया। .

कैदियों में मुहम्मद की सबसे बड़ी बेटी ज़ैनब बिन्त मुहम्मद के पति मुहम्मद के दामाद अबूल आस बिन रबी भी थे। वो हज़रत खदीजा बिन्त खुवायलद (मुहम्मद की पहली पत्नी) का भतीजा था और मक्का का एक समृद्ध व्यापारी था। जब मुहम्मद को पैगंबर का पद मिला, तो अबू अल-अस ने इस्लाम अपनाने से इनकार कर दिया। और कुरैश के आग्रह पर उनकी बेटी ज़ैनब को तलाक देने से इनकार कर दिया था।

क़ैद से अबुल-अस भाग निकला और ज़ैनब के घर में शरण ली। उसने उससे मुहम्मद से अपने धन की बहाली के लिए विनती की। मुहम्मद ने सिफारिश की, लेकिन बिना किसी दबाव के, कि लोग ऐसा करें। उन्होंने तुरंत उस आदमी को उसकी सारी दौलत वापस दे दी। उसने देनदारों को लोटा दिया, इस उदारता से अबू अल-अस बहुत आगे बढ़ गया; मक्का लौटे, वहां अपने मामलों को पूरा किया, फिर मदीना लौट आए और इस्लाम कबूल कर लिया । इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी ज़ैनब को फिर से अपने साथ कर लिया।

मुस्लिम विद्वान सैफुर रहमान अल मुबारकपुरी के अनुसार मुस्लिम महिलाओं और अविश्वासियों के बीच शादी के निषेध से संबंधित आयत का तब तक अवतरण नहीं हुआ था। इस अभियान में पूरे कारवां का माले ग़नीमत मिला, और सफ़वान बिन अमय की बहुत सी चांदी पकड़ी गई और कुछ क़ैदी भी बनाए गए । [2]

सराया और ग़ज़वात संपादित करें

 

अरबी शब्द ग़ज़वा [3] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया, इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[4] [5]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Mubarakpuri, Saifur Rahman Al (2002), When the Moon Split, DarusSalam, पृ॰ 205, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9960-897-28-8 (online Archived 2011-06-23 at the वेबैक मशीन)
  2. सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "सरिय्या ईस". पृ॰ 647. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.
  3. Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
  4. siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
  5. ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

  • अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ), पैगंबर की जीवनी (प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित पुस्तक), हिंदी (Pdf)