सर्वास्तिवाद ('सर्व + अस्ति + वाद' ; चीनी: 說一切有部; फीनयीन: Shuō Yīqièyǒu Bù), बौद्ध दर्शन का एक सम्प्रदाय था जिनका मत था कि तीनों कालों (वर्तमान, भूत, भविष्यत्) में संसार की सभी वस्तुओं का अस्तित्व है। सर्वास्तिवाद को वैभाषिक भी कहते हैं।

तृतीय संगीति के बाद से भारत में सर्वास्तिवाद, थेरवाद से अलग हो गया तथा थेरवाद का ह्रास और सर्वास्तिवाद का विकास होने लगा। कनिष्क के समय में प्रथम या द्वितीय शती में चतुर्थ बौद्ध संगीति में सर्वास्तिवाद के त्रिपिटक का निर्धारण हुआ। सर्वास्तिवाद का त्रिपिटक संस्कृत में था जो मूल में नष्ट हो गया है। इसके कुछ अंश मिले हैं। किन्तु चीनी अनुवाद में पूरा प्राप्य है। बाद में इसी की एक शाखा 'सौत्रान्तिक' नाम से कुछ मतभेदों के कारण अलग हो गई। थेरवाद (स्थविरवाद), वैभाषिक (सर्वास्तिवाद) और सौत्रान्तिक, ये हीनयान के तीन प्रमुख सम्प्रदाय हैं। हीनयान के विरोध में महायान का उदय हुआ।