साँचा:आज का आलेख १२ मार्च २०१०
एक कहानी यह भी पुस्तक में लेखिका मन्नू भंडारी ने अपने लेखकीय जीवन की कहानी उतार दी हैं। यह उनकी आत्मकथा तो नहीं है, लेकिन इसमें उनके भावात्मक और सांसारिक जीवन के उन पहलुओं पर भरपूर प्रकाश पड़ता है जो उनकी रचना-यात्रा में निर्णायक रहे। यह आत्मस्मरण मन्नूजी की जीवन-स्थितियों के साथ-साथ उनके दौर की कई साहित्यिक-सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर भी रोशनी डालता है और नई कहानी दौर की रचनात्मक बेकली और तत्कालीन लेखकों की ऊँचाइयों-नीचाइयों से भी परिचित करता है। साथ ही उन परिवेशगत स्थितियों को भी पाठक के सामने रखता है जिन्होंने उनकी संवेदना को झकझोरा। ये उनकी लेखकीय यात्रा के कोई छोटे मोटे उतार चढ़ावों की ही कहानी नहीं है, अपितु जीवन के उन बेरहम झंझावातों और भूकम्पों की कहानी भी है, जिनका एक झोंका, एक झटका ही व्यक्ति को तहस नहस कर देने के लिए काफ़ी होता है। विस्तार में...