साँचा:आज का आलेख १३ दिसंबर २०१०

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शेख अबु अल-फ़ैज़, प्रचलित नाम:फ़ैज़ी (२४ सितंबर १५४७, आगरा–५ अक्तूबर, १५९५, लाहौर[1]) मध्यकालीन भारत का फारसी कवि था। १५८८ में वह अकबर का मलिक-उश-शु‘आरा (विशेष कवि) बन गया था।[2] फ़ैज़ी अबुल फजल का बड़ा भाई था। सम्राट अकबर ने उसे अपने बेटे के गणित शिक्षक के पद पर नियुक्त किया था। बाद में अकबर ने उसे अपने नवरत्नों में से एक चुना था। फ़ैज़ी के पिता का नाम शेख मुबारक नागौरी था। ये सिंध के सिविस्तान, सहवान के निकट रेल नामक स्थान के एक सिन्धी शेख, शेख मूसा की पांचवीं पीढ़ी से थे।[2] इनका जन्म आगरा में ९५४ हि. (१५४७ ई.) में हुआ। पूरी शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की। शेख मुबारक सुन्नी, शिया, महदवी सबसे सहानुभूति रखते थे। फ़ैज़ी तथा अबुल फ़ज़ल इसी दृष्टिकोण के कारण अकबर के राज्यकाल में सुलह कुल (धार्मिक सहिष्णुता) की नीति को स्पष्ट रूप दे सके। हुमायूँ के पुन: हिंदुस्तान का राज्य प्राप्त कर लेने पर ईरान के अनेक विद्वान भारत पहुँचे। वे शेख मुबारक के मदरसे, आगरा में भी आए। फैज़ी को उनके विचारों से अवगत होने का अवसर मिला।  विस्तार में...
  1. ओर्सिनी, फ़्रांन्सेस्का (संपा.) (२००६). लव इन साउथ एशिया: अ कल्चरल हिन्स्ट्री. कैम्ब्रिज: कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय प्रेस. पपृ॰ ११२-११४. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0521856787.
  2. ब्लॉक्मैन, एच. (ट्र.) (१९२७, पुनर्मुद्रण १९९३)। द आइन-ए-अकबरी बाय अबुल-फ़ज़्ल अल्लामी, खण्ड-१, कलकत्ता:द एशियाटिक सोसायटी, पृ. ५४८-५०