साँचा:आज का आलेख २८ मई २००९
गांधार कला एक प्रसिद्ध प्राचीन भारतीय कला है। गान्धार कला का उल्लेख वॅदिक तथा बाद के संस्कृत साहित्य में मिलता है। सामान्यतया गान्धार शैली की मूर्तियों का समय पहली शती ई० से चौथी शती ई० के मध्य का है तथा इस शैली की श्रेष्ठतम रचनअएँ ५० ई० से १५० ई० के मध्य की मानी जा सकती हैं। गांधार कला की विषय-वस्तु भारतीय थी, परन्तु कला शैली यूनानी और रोमन थी। इसलिए गांधार कला को ग्रीको-रोमन, ग्रीको बुद्धिस्ट या हिन्दू-यूनानी कला भी कहा जाता है। इसके प्रमुख केन्द्र जलालाबाद, हड्डा, बामियान, स्वात घाटी और पेशावर थे। इस कला में पहली बार बुद्ध की सुन्दर मूर्तियाँ बनायी गयीं। इनके निर्माण में सफेद और काले रंग के पत्थर का व्यवहार किया गया। गांधार कला को महायान धर्म के विकास से प्रोत्साहन मिला। इसकी मूर्तियों में मांसपेशियाँ स्पष्ट झलकती हैं और आकर्षक वस्त्रों की सलवटें साफ दिखाई देती हैं। विस्तार से पढ़ें