सांस्कृतिक-ऐतिहासिक मनोविज्ञान
सांस्कृतिक-ऐतिहासिक मनोविज्ञान (Cultural-historical psychology), मनोविज्ञान की एक शाखा है जिसका विकास लिव वाइगोत्सकी, अलेक्सांद्र लूरिया तथा उनके मण्डल द्वारा १९२० और १९३० के दशकों के मध्य प्रतुत किया गया। यद्यपि वाइगोत्सकी के लेखन में 'सांस्कृतिक-ऐतिहासिक मनोविज्ञान' कहीं भी नहीं आता, किन्तु उनके मण्डल तथा अनुयायियों ने इसी नाम से उनके सिद्धान्त को आगे बढ़ाया। वाइगोत्सकी-लूरिया परियोजना का लक्ष्य एक 'नये मनोविज्ञान' की स्थापना करना था जो मन, मस्तिष्क और संस्कृति के अपृथक्करणीय एकता को की भूमिका को समझा सके।