सामग्री प्रबंधन
सामग्री प्रबंधन (Materials management) में स्पेयर पार्ट्स का प्रापण (acquision), खराब हुए अवयवों के प्रतिस्थापन, क्रय का गुणवत्ता नियंत्रण तथा क्रयादेश, शिपिंग एवं भंडारण के मानकों का निर्धारण आदि से संबन्धित विषय है। यह लॉजिस्टिक्स का वह भाग है जो आपूर्ति शृंखला (सप्लाई चेन) के अदृष्य अवयवों से संबन्धित है।
परिचय
संपादित करेंमनुष्य के जीवनयापन के लिए सामग्री की आवश्यकता उतनी ही पुरानी है जितना कि मानव इतिहास। फिर भी द्वितीय विश्वयुद्ध के पूर्व तक सामग्री प्रबन्धन को इतना महत्व नहीं प्राप्त हुआ जितना कि यह विषय अब महत्वपूर्ण है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका एवं यूरोपीय देशों में रक्षा सामग्री के योजनाबद्ध तरीके से प्रापण एवं प्रबन्धक की बात की गयी जिसमें रक्षा उपकरणों एवं युद्ध के समय प्रयोग में आने वाली सामग्री का योजनाबद्ध रूप से उत्पादन, प्रापण निरीक्षण, भंडारण, प्रेषण एवं रख रखाव के विषय में गहन रूप से विचार किया गया। धीरे-धीरे सामग्री प्रबंधन ऐसा व्यापक विषय बन गया जिसके अंतर्गत सामग्री प्रापण की योजना से लेकर उसके अंतिम उपयोग तक गहन अध्ययन का विषय बन गया।
भारत में बीसवीं सदी के छठे दशक तक सामग्री प्रंबधन विषय का कोई विशेष महत्व नहीं रहा। सातवें दशक से इसकी उपयोगिता पर ध्यान दिया जाने लगा और आज उन्नत देशों में ही नहीं हमारे देश में भी इसके विकास में सामग्री प्रबंधन का विशेष महत्वपूर्ण स्थान है।
सामग्री प्रबन्धन को तीन भागों में वगीकृत किया जा सकता है।
१. सामग्री प्रबंधन योजना एवं नियंत्रण
२. सामग्री क्रय प्रबंधन
३. भंडार प्रबंधन
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- टैण्डर व्यवस्था का विस्तृत विवेचन[मृत कड़ियाँ]
- क्रय और भडार निदेशालयपरमाणु, ऊर्जा विभाग
- निमार्ण कार्यों के प्रापण (procurement) के लिए नीतियों एवं प्रक्रियाओं पर नियम पुस्तक (भारत सरकार, वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग)
- Maintenance Online
- Best Management Practice
- Plant maintenance
- Indian Institute of Materials Management
- Association for Healthcare Resource & Materials Management (AHRMM)
- Organizational Level Fields