किसी भाषा के वाचिक और लिखित (शास्त्रसमूह) को साहित्य कह सकते हैं। दुनिया में सबसे पुराना वाचिक साहित्य हमें संस्कृत भाषा में मिलता है। इस दृष्टि से संस्कृत साहित्य सभी साहित्यों का मूल स्रोत है। साहित्य - स+हित+य के योग से बना है।

भारतीय साहित्य संपादित करें

भारतीय वाङ्मय को काल की दृष्टि से निम्नलिखित भागों में विभक्त किया गया है -

भारतीय वाङ्ममय के भाग
साहित्य वसंतसंपात् काल अवधि काल
ऋग्वेद मृगशिरा ६०००-४००० BC प्राचीन
शतपथ ब्राह्मण रोहिणी २५०० BC प्राचीन
अथर्ववेद तैत्तरीयसंहिता बौधायन श्रौतसूत्र कृत्तिका १३३०-८०० BC प्राचीन
महाभारत कृत्तिका १३३०-८०० BC प्राचीन
वेदांग ज्योतिष भरणी १२०० BC प्राचीन
वैशेषिक दर्शन - ६०० BC मध्य
बुद्धावतार - ५०० BC मध्य
कौटिल्य अर्थशास्त्र - ३०० BC मध्य
आर्यभट वराहमिहिर रेवती ४९९ AD मध्य
भास्कर द्वितीय - १११४ AD मध्य
समरांगण सूत्रधार - ११०० AD मध्य
२०वीं शताब्दी पूर्वाभाद्रपदा १९०० AD अर्वाचीन

भारत का संस्कृत साहित्य ऋग्वेद से आरम्भ होता है। व्यास, वाल्मीकि जैसे पौराणिक ऋषियों ने महाभारत एवं रामायण जैसे महाकाव्यों की रचना की। भास, कालिदास एवं अन्य कवियों ने संस्कृत में नाटक लिखे।

भक्ति साहित्य में अवधी में गोस्वामी तुलसीदास, ब्रज भाषा में सूरदास तथा रविदास, मारवाड़ी में मीराबाई, खड़ीबोली में कबीर, रसखान, मैथिली में विद्यापति आदि प्रमुख हैं। अवधी के प्रमुख कवियों में रमई काका सुप्रसिद्ध कवि हैं।

हिन्दी साहित्य में कथा, कहानी और उपन्यास के लेखन में प्रेमचन्द का महान योगदान है।

ग्रीक साहित्य में होमर के इलियड और ऑडसी विश्वप्रसिद्ध हैं। अंग्रेज़ी साहित्य में शेक्स्पियर का नाम कौन नहीं जानता।

इन्हें भी देखें संपादित करें


बाहरी कड़ियाँ संपादित करें