सिंहल लिपि ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न हुई लिपि है। यह सिंहल भाषा को लिखने के लिये प्रयुक्त होती है, जो कि श्रीलंका की राजभाषा है। इसके अतिरिक्त यह लिपि पालि तथा संस्कृत लिखने के लिये प्रयुक्त होती है।

सिंहल लिपि में लिखा विज्ञापन

अनेक भारतीय भाषाओं की लिपियों की तरह सिंहल भाषा की लिपि भी ब्राह्मी लिपि का ही परिवर्तित विकसित रूप है।

सिंहल भाषा को दो रूप मान्य हैं -

(1) शुद्ध सिंहल (या एलु सिंहल), तथा
(2) मिश्रित सिंहल

शुद्ध सिंहल द्वारा सभी स्थानीय स्वनिम निरूपित किए जा सकते हैं। इस वर्णमाला में केवल बत्तीस अक्षर मान्य रहे हैं-

(ච) අං
(च) अं

मिश्रित सिंहल, शुद्ध सिंहल का विस्तारित रूप है। यह पालि तथा संस्कृत लिखने के लिए आवश्यक है। अतः वर्तमान मिश्रित सिंहल ने अपनी वर्णमाला को न केवल पाली वर्णमाला के अक्षरों से समृद्ध कर लिया है, बल्कि संस्कृत वर्णमाला में भी जो और जितने अक्षर अधिक थे, उन सब को भी अपना लिया है। इस प्रकार वर्तमान मिश्रित सिंहल में अक्षरों की संख्या चौवन है। अट्ठारह अक्षर "स्वर" तथा शेष छत्तीस अक्षर व्यंजन माने जाते हैं। शुद्ध सिंहल, मिश्रित सिंहल का उपसमुच्चय (एक भाग) है।

वर्णमाला संपादित करें

व्यंजन संपादित करें

क /ka/ ख /ka/ ग /ga/ घ /ga/ ङ /ŋa/ ंग /ⁿga/
च /ʧa/ छ /ʧa/ ज /ʤa/ झ /ʤa/ ञ /ɲa/
ट /ʈa/ ठ /ʈa/ ड /ɖa/ ढ /ɖa/ ण /ɳa/ ण्ड /ⁿḍa/
त /ta/ थ /ta/ द /da/ ध /da/ न /na/ न्द /ⁿda/
प /pa/ फ /pa/ ब /ba/ भ /ba/ म /ma/ म्ब /mba/
य /ja/ र /ra/ ल /la/ व /ʋa/ ळ /la/
श /sa/ ष /sa/ स /sa/ ह /ha/ fa /fa/

स्वर संपादित करें

अ /a/, /ə/
आ /a:/ කා का
ऍ /ɛ/ කැ कॅ
ǣ /ɛ:/ කෑ दीर्घ कॅ
इ /i/ කි कि
ई /i:/ කී की
उ /u/ කු कु
ऊ /u:/ කූ कू
ऋ /ru/, /ur/ කෘ कृ
ॠ /ruː/, /uːr/ කෲ कॄ
लृ /li/ කෟ कॢ
लॄ /liː/ කඐ कॣ
ऎ /e/ කෙ कॆ
ए /e:/ කේ के
ऐ /ai/ කෛ कै
ऒ /o/ කො कॊ
ओ /o:/ කෝ को
औ /au/ කෞ कौ

सिंहल यूनिकोड संपादित करें

सिंहल यूनिकोड को U+0D80 से U+0DFF तक का स्थान दिया गया है।

0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 A B C D E F
D80
D90
DA0
DB0 ඿
DC0
DD0
DE0
DF0 ෿

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें