सिट्रिक अम्ल (Citric acid) एक दुर्बल कार्बनिक अम्ल है। नींबू, संतरे और अनेक खट्टे फलों में सिट्रिक अम्ल और इसके लवण पाए जाते हैं। जांतव पदार्थों में भी बड़ी अल्प मात्रा में यह पाया जाता है। नींबू के रस से यह तैयार होता है। नींबू के रस में ६ से ७ प्रतिशत तक सिट्रिक अम्ल रहता है। नींबू के रस को चूने के दूध से उपचारित करने से कैल्सियम सिट्रेट का अवक्षेप प्राप्त होता है। अवक्षेप को हल्के सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ उपचारित करने से सिट्रिक अम्ल उन्मुक्त होता है। विलयन के उद्वाष्पन से अम्ल के क्रिस्टल प्राप्त होते हैं जिनमें जल का एक अणु रहता है। शर्करा के किण्वन से भी सिट्रिक अम्ल प्राप्त होता है। रसायनशाला में सिट्रिक अम्ल का संश्लेषण भी हुआ है।

यह वस्तुत: २-हाइड्रोक्सि-प्रोपेन १: २: ३ ट्राइकार्बोसिलिक अम्ल है।

सिट्रिक अम्ल बड़े-बड़े समचतुर्भुजीय प्रिज्म का क्रिस्टल बनाता है। यह जल और ऐल्कोहॉल में घुल जाता है पर ईथर में बहुत कम घुलता है। क्रिस्टल में क्रिस्टल जल रहता है। गरम करने से १३०° सें. पर यह अजल हो जाता है और तब १५३° सें. पर पिघलता है। इससे ऊँचे ताप पर यह विघटित होना शुरू करता है। सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल से सावधानी से तपाने पर भी विघटित होता है। यह त्रिक्षारक अम्ल है और तीन श्रेणियों का लवण बनाता है। कुछ लवण जल में विलेय, कुछ अल्प विलेय और कुछ अविलेय होते हैं। सिट्रिक अम्ल का उपयोग रंगबंधक के रूप में, रंगसाजी में, लेमोनेड सदृश पेयों को बनाने में और खाद्यों में होता है। इसका अणुसूत्र और संरचना सूत्र यह है:

  • सिट्रिक अम्ल प्राकृतिक संरक्षक (natural preservative) है।
  • यह भोजन एवं मृदु पेयों में खट्टापन लाने के लिये डाला जाता है।
  • जैवरसायन में इसका महत्व इसलिये हैं कि यह सभी सभी जीवों के उपापचय चक्र पैदा होता है।
  • यह पर्यावरण को बिना नुकसान पहुँचाये सफाई का काम करने के लिये उपयुक्त है।
  • जल को मृदु करने के लिये

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