सिद्धिनरसिंह मल्ल नेपाल के मल्ल राजवंश के प्रसिद्ध राजा थे। वे हरिहरसिंह मल्ल के पुत्र थे। वे गुण, बुद्धिमान एवं दयालुहृदय राजा थे। वे कवि भी थे। उन्होने अनेकों जलाशय, धर्मशालाएँ, मन्दिर, और मठों का निर्माण कराया। पाटन का प्रसिद्ध कृष्ण मन्दिर उन्होने ही बनवाया था।

सिद्धिनरसिंह मल्ल पाटन की गद्दी पर विक्रम संवत १६७५ में बैठे। उस समय पाटन और काठमाण्डू के सम्बन्ध अच्छे नहीं थे। उन्होने काठमाण्डू के शासकों को पाटन के साथ सन्धि करने पर विवश किया।

वे अत्यन्त तपस्वी जीवन व्यतीत करते थे। ग्रीष्म ऋतु में वे पंचाग्नि (पाँच अग्नियों) के बीच आसन जमा लेते थे और शीत ऋतु में वे अपने राजमहल के बाहर खुले में एक ठण्डे पत्थर पर बैठते थे। उन्होने धार्मिक नृत्य आरम्भ करवाए। उनके शासनकाल में पाटन में व्यापार विकसित हुआ। तिब्बत के साथ उनके व्यापारिक समब्न्ध थे। उन्होने अपने सिक्के चलवाए। वे एक विद्वान व्यक्ति थे और कला, कविता एवं नाटक में रुचि लेते थे।

उन्होने अपना राजकाज छोड़कर सन्यास ले लिया और काशी चले गए। विक्रम सम्वत १७६७ में उनका देहान्त हो गया।

बाहरी कड़ियाँ

संपादित करें