सियाचिन ग्लेशियर के लिये देखें सियाचिन ग्लेशियर

सियाचिन विवाद
the Indo-Pakistani wars and conflicts and the Kashmir conflict का भाग
India Jammu and Kashmir location map UN view.svg
संपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर सहित भारतीय जम्मू और कश्मीर राज्य का वर्तमान मानचित्र. Siachen Glacier lies in the Karakoram range. Its snout is less than 50 कि॰मी॰ (31 मील) north of the Ladakh range.
तिथि 13 अप्रैल 1984 (1984-04-13) – 25 नवम्बर 2003 (2003-11-25)[1][2]
(19 साल, 7 माह, 1 सप्ताह और 5 दिन)
स्थान सियाचिन ग्लेशियर, कश्मीर
परिणाम भारतीय विजय
क्षेत्रीय
बदलाव
भारत ने ग्लेशियर क्षेत्र में 2,500 कि॰मी2 (970 वर्ग मील)[3] क्षेत्र पर नियंत्रण प्राप्त किया, इसे जम्मू और कश्मीर राज्य (अब लद्दाख) में शामिल किया
योद्धा
 भारत  पाकिस्तान
सेनानायक
Col. Narendra Kumar
Lt. Gen. P. N. Hoon
Lt. Gen. M. L. Chibber
Maj. Gen. Shiv Sharma
Brigadier V. R. Raghavan
Brig. C. S. Nugyal
Brig. R. K. Nanavatty
Brig. V. K. Jaitley
ब्रिगेडियर परवेज़ मुशर्रफ़

Brigadier TM Shaheed Major Muhammad Aslam Khan Bangash

शक्ति/क्षमता
3,000+[4] 3,000[4]
मृत्यु एवं हानि
प्रारंभिक संघर्ष के दौरान 36 लोग हताहत[5][6]

प्रारंभिक संघर्ष के बाद 1,100+ लोग मारे गए (गैर-लड़ाकू मौतें भी शामिल)[7][8][9][10][11]

प्रारंभिक संघर्ष के दौरान 200 लोग हताहत[6][10][12][13]

प्रारंभिक संघर्ष के बाद हताहतों की संख्या अज्ञात (आंकड़े उपलब्ध नहीं)

सियाचिन ग्लेशियर या सियाचिन हिमनद हिमालय पूर्वी कराकोरम रेंज में भारत-पाक नियंत्रण रेखा के पास लगभग देशान्तर: ७७.१० पूर्व, अक्षांश: ३५.४२ उत्तर पर स्थित है।[14][15] यह काराकोरम के पांच बड़े हिमनदों में सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा हिमनद है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई इसके स्रोत्र इंदिरा कोल पर लगभग 5753 मीटर और अंतिम छोर पर 3620 मीटर है। यह लगभग ७० किमी लम्बा है। निकटवर्ती क्षेत्र बाल्टिस्तान की बोली बाल्टी में "सिया" का अर्थ है एक प्रकार का "जंगली गुलाब" और "चुन" का अर्थ है "बहुतायत", इसी से यह नाम प्रचलित हुआ।

सियाचिन को दर्शाता नक्शा

सामरिक रूप से यह भारत और पाकिस्तान के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र है। इस पर सेनाएँ तैनात रखना दोनों ही देशों के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है। सूत्रों का कहना है कि सियाचिन में भारत के १० हजार सैनिक तैनात हैं और इनके रखरखाव पर प्रतिदिन ५ करोड़ रुपये का खर्च आता है। टाइम पत्रिका के अनुसार, सियाचिन में सैन्य अभियानों के कारण भारत ने 2500 किमी से अधिक क्षेत्र पर नियंत्रण प्राप्त किया।[3]

सियाचीन समुद्र तल से करीब 5,753 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। कश्मीर क्षेत्र में स्थित इस ग्लेशियर पर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद है। सियाचिन विवाद को लेकर पाकिस्तान, भारत पर आरोप लगाता है कि 1989 में दोनों देशों के बीच यह सहमति हुई थी कि भारत अपनी पुरानी स्थिति पर वापस लौट जाए लेकिन भारत ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। पाकिस्तान का कहना है कि सियाचिन ग्लेशियर में जहां पाकिस्तानी सेना हुआ करती थी वहां भारतीय सेना ने 1984 में कब्जा कर लिया था।[16] उस समय पाकिस्तान में जनरल जियाउल हक का शासन था। पाकिस्तान तभी से कहता रहा है कि भारतीय सेना ने 1972 के शिमला समझौते और उससे पहले 1949 में हुए करांची समझौते का उलंघन किया है। पाकिस्तान की मांग रही है कि भारतीय सेना 1972 की स्थिति पर वापस जाए और वे इलाके खाली करे जिन पर उसने कब्जा कर रखा है।

क़रीब 18000 फुट की ऊँचाई पर स्थित दुनिया के सबसे ऊँचे रणक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर सैन्य गतिविधियाँ बंद करने के मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच क़रीब सात साल बाद एक बार फिर बातचीत हुई है। इस बातचीत में भारतीय रक्षा सचिव अजय विक्रम सिंह भारतीय दल के मुखिया थे जबकि पाकिस्तानी शिष्टमंडल का नेतृत्व वहाँ के रक्षा सचिव सेवानिवृत्त लैफ़्टिनेंट जनरल हामिद नवाज़ ख़ान ने किया। उजाड़, वीरान और बर्फ़ से ढका यह ग्लेशियर यानी हिमनद सामरिक रूप से दोनों ही देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन इस पर सेनाएँ तैनात रखना दोनों ही देशों के लिए महंगा सौदा साबित हो रहा है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच 1989 तक सात दौर की वार्ता हुई थी लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।

जून 1958 में, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण का पहला अभियान सियाचिन ग्लेशियर पर गया।[17] यह 1947 के बाद भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण द्वारा सियाचिन ग्लेशियर का पहला आधिकारिक भारतीय सर्वेक्षण था और यह 1958 में अंतर्राष्ट्रीय भूभौतिकीय वर्ष मनाने के लिए किया गया था। इस अध्ययन में सियाचिन, मैमोस्टोंग, चोंग कुमदान, किचिक कुमदान और लद्दाख क्षेत्र में अकताश ग्लेशियर- पांच ग्लेशियरों का थूथन सर्वेक्षण शामिल था। 5Q 131 05 084 अभियान द्वारा सियाचिन ग्लेशियर को सौंपा गया नंबर था। 1972 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद जब शिमला समझौता हुआ तो सियाचिन के ऍनजे9842 नामक स्थान पर युद्ध विराम की सीमा तय हो गई।[18] इस बिंदु के आगे के हिस्से के बारे में कुछ नहीं कहा गया। अगले कुछ वर्षों में बाक़ी के हिस्से में गतिविधियाँ होने लगीं। पाकिस्तान ने कुछ पर्वतारोही दलों को वहाँ जाने की अनुमति भी दे दी। कहा जाता है कि पाकिस्तान के कुछ मानचित्रों में यह भाग उनके हिस्से में दिखाया गया।[19][20][21] इससे चिंतित होकर भारत ने 1984 में ऑपरेशन मेघदूत के ज़रिए ऍनजे9842 के उत्तरी हिस्से पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया।[22]

रिटायर्ड लेफिटनेंट जनरल शंकर प्रसाद उस अभियान के बारे में बताते हैं, "भारत ने ऍनजे9842 के जिस हिस्से पर नियंत्रण किया है, उसे सालटोरो कहते हैं। यह वाटरशेड है यानी इससे आगे लड़ाई नहीं होगी।" वे कहते हैं, "सियाचिन का उत्तरी हिस्सा-कराकोरम भारत के पास है। पश्चिम का कुछ भाग पाकिस्तान के पास है। सियाचिन का ही कुछ भाग चीन के पास भी है। ऍनजे9842 ही दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल यानी वास्तविक सीमा नियंत्रण रेखा है।"

इन उजड़े और वीरान हिस्सों का किसी के क़ब्जे में होना कितना सामरिक महत्व रखता है? रक्षा विशेषज्ञ मनोज जोशी मानते हैं कि यहाँ सैनिकों का रहना ज़रुरी नहीं है पर अगर किसी दुश्मन का क़ब्जा हो तो फिर दिक़्क़त हो सकती है।"

"यहाँ से लेह, लद्दाख और चीन के कुछ हिस्सों पर नज़र रखने में भारत को मदद मिलती है। अगर यह किसी के हिस्से में न हो तो दोनों देशों के लिए कोई नुक़सान नहीं है।" मनोज जोशी कहते हैं, "चूँकि पाकिस्तान पिछले कुछ वर्षों के दौरान पूरे सियाचिन को अपना हिस्सा बताता रहा है इसलिए इस पर अपनी सेना की वास्तविक स्थिति रिकॉर्ड पर लाने में उसे दिक़्क़त हो सकती है।"

दूसरी ओर लैफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद का कहना है कि इस मुद्दे पर समझौता होना आसान है क्योंकि यहाँ पर सैनिक गतिविधियाँ बंद करना दोनों के ही हित में है। उनका कहना है, "दोनों देशों में आपसी भरोसे की कमी है, दोनों को डर रहता है कि कोई चौकी छोड़ी तो दूसरा उस पर क़ब्जा कर लेगा, इसलिए आपसी विश्वास बढ़ाना ज़रुरी है, फिर यह मुद्दा जल्दी सुलझने की उम्मीद की जा सकती है।" राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों देश सियाचिन में सैनिक गतिविधियों पर हो रहा भारी ख़र्च बचाना तो चाहते है लेकिन साथ ही चाहते हैं कि उनकी प्रतिष्ठा को भी कोई ठेस न लगे यानी घरेलू मोर्चे पर नाक भी बची रहे। दोनों देशों के संबंधों में आई नई गरमाहट सियाचिन के बर्फ़ को कितना पिघला पाती है, इसके लिए वक़्त का इंतज़ार करना होगा।

  1. Baruah, Amit. "India, Pak. ceasefire comes into being". The Hindu. 26 November 2003. Archived from the original on 24 नवम्बर 2016. Retrieved 21 अप्रैल 2018.{{cite news}}: CS1 maint: location (link)
  2. The Global Rise of Asian Transformation: Trends and Developments in Economic Growth Dynamics (illustrated ed.). Springer. 2014. p. 37. ISBN 9781137412362. Archived from the original on 25 दिसंबर 2018. Retrieved 24 जून 2020. Siachen conflict (1984—2003)
    Victorious: India / Defeated: Pakistan
    {{cite book}}: Check date values in: |archive-date= (help); Unknown parameter |editors= ignored (help)
  3. Desmond/Kashmir, Edward W. (31 जुलाई 1989). "The Himalayas War at the Top Of the World". Time.com. Archived from the original on 14 जनवरी 2009. Retrieved 11 अक्टूबर 2008.
  4. "War at the Top of the World". Time.com. 7 नवम्बर 2005. Archived from the original on 12 अप्रैल 2012. Retrieved 11 अक्टूबर 2011.
  5. "Army chief to visit Siachen this week". Times of India. 8 January 2020. Archived from the original on 8 जनवरी 2020. Retrieved 24 जून 2020.
  6. The Illustrated Weekly of India – Volume 110, Issues 14–26. Times of India. Pakistani troops were forced out with over 200 casualties as against 36 Indian fatalities
  7. "Defence Minister Rajnath Singh Bonds With Soldiers At Siachen Over Jalebi". NDTV. 4 June 2019. Archived from the original on 12 अगस्त 2019. Retrieved 24 जून 2020.
  8. "Rajnath Singh visits Siachen to review security situation, pays tribute to martyrs - PICS". Times Now News. 3 June 2019. Archived from the original on 7 जून 2019. Retrieved 24 जून 2020. Rajnath Singh also paid tribute to the martyred soldiers who sacrificed their lives while serving in Siachen. He went on to say, "More than 1,100 soldiers have made supreme sacrifice defending the Siachen glacier. The nation will always remain indebted to their service and sacrifice."
  9. 846 Indian soldiers have died in Siachen since 1984 – Rediff.com News Archived 12 सितंबर 2012 at the वेबैक मशीन. Rediff.com. Retrieved on 12 July 2013.
  10. Tewari, B.K. India's Neighbours: Past and Future. Spellbound Publications, 1997. ISBN 9788176000048.
  11. "Six dead after avalanche hits Army positions in Northern Siachen". Times of India (TOI). 19 November 2019. Archived from the original on 21 नवंबर 2019. Retrieved 24 जून 2020. {{cite web}}: Check date values in: |archive-date= (help)
  12. "In Siachen 869 army men died battling the elements". The Hindu. Archived from the original on 19 फ़रवरी 2016. Retrieved 12 December 2015.
  13. Ives, Jack (5 August 2004). Himalayan Perceptions: Environmental Change and the Well-Being of Mountain Peoples. Routledge, 2004. ISBN 9781134369089.
  14. "Kashmir: How Line of Control has changed in 70 years". Archived from the original on 23 जून 2020. Retrieved 4 जुलाई 2020.
  15. "India's clampdown on Kashmir continues. Here's what you need to know". Archived from the original on 5 जून 2020. Retrieved 4 जुलाई 2020.
  16. "cartographic nightmare of Kashmir region explained".
  17. "The first GSI survey of the Siachen".
  18. "How a tiny line on a map led to conflict in the Himalaya".
  19. "Kumar's line vs Hodgson's line: The 'Lakshman rekha' that started an India-Pakistan fight".
  20. "How India got Hodgson's Line erased and won the race to Siachen". Archived from the original on 27 मई 2023. Retrieved 27 मई 2023.
  21. "The 'cartographic nightmare' of the Kashmir region, explained".
  22. "क्या था ऑपरेशन मेघदूत, जिसकी वजह से कारगिल युद्ध हुआ". Archived from the original on 16 मई 2020. Retrieved 4 जुलाई 2020.

बाहरी कड़ियाँ

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बीबीसी - लंबा विवाद है सियाचिन का