सीताराम अग्रहरि 'प्रकाश' (जन्म: १९५७) नेपाल के कवि, साहित्यकार एवं प्रख्यात पत्रकार हैं।[1] वे नेपाल के सबसे पुराने समाचार पत्र गोरखापत्र के प्रधान संम्पादक हैं।[2][3][4][5]

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

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इनका जन्म सन् १९५७ में नेपाल के दुहबी, सुनसरी में हुआ। आपकी माता की नाम स्वर्गीय गणपति देवी और पिता का नाम स्वर्गीय लखनराम अग्रहरि हैं। इन्होंने राजनीति विज्ञान में एम. ए. , हिन्दी में एम. ए. और बी.ए. (ऑनर्स) किया है। आपने इंडियन इन्स्टिट्यूड ऑफ मास कम्युनिकेशन, नई दिल्ली से डिप्लोमा इन जर्नालिज़्म किया है और थॉमसन फाउंडेशन, लंदन से पत्रकारिता संबंधित शिक्षण प्राप्त किया हैं।

साहित्यिक जीवन

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मैं ही कोशी, मैं ही काशी
मैं कावा कैलाश रे
मैं सिजियाड, सिन्धु, नाइल, मिसिसिपी
क्यों मन में अविश्वास रे!

सीताराम अग्रहरि का एक काव्य


जिन्दा है इसलिए हैं जिन्दा आदमी की तरह
मुर्दा होते तो कब के मर गए होते
मेरे ऩज्मों ने झेले है जमाने के ज़ख्म
वरना हम तो कब के उजड़ गए होते

सीताराम अग्रहरि के काव्य संग्रह "तुम्हीं से कहता हूँ" से

सीताराम अग्रहरि लगभग तीन दशक से लेखन व पत्रकारिता से जुड़े हैं। इनकी हजारो लेख, रचनाएं विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओ में प्रकाशित हो चुके है। वर्ष १९७७ में सीताराम प्रकाश की पहली कथा संग्रह 'कथाद्वीप' प्रकाशित हुआ। इनका काव्य संग्रह 'जिये स्वाभिमान भी' फरवरी १९९६ में नेपाल-भारत साँस्कृतिक समाज, काठमांडू द्वारा प्रकाशित हुआ। अप्रैल २०११ में सीताराम अग्रहरि की दूसरी कविता संग्रह 'तुम्हीं से कहता हुँ' प्रकाशित हुआ, जिसके लिए इनको राजर्षि जनक प्रतिभा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इन्होंने स्पेन, इटली, सिंगापुर, चीन, मलेशिया, हडकड व अन्य कई देशों का भ्रमण किया हैं।

पत्रकारिता

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नेपाल के सबसे पुरानी समाचार पत्र 'गोरखापत्र दैनिक' का प्रधान संपादक होने का गौरव प्राप्त करने वाले सीताराम अग्रहरि पत्रकारिता से पिछले तीस साल से जुड़े है। नेपाली, हिन्दी, मैथली और भोजपुरी में इनके लेख, रचनाए अकसर प्रकाशित होती रहती है। वें युवा मंच (मासिक) व मनोरम अप्सरा (मासिक) के पूर्व प्रधान संपादक और नेपाल पत्रकार महासंघ, गोरखापत्र शाखा के पूर्व अध्यक्ष रह चुके हैं। अग्रहरि नेपाल खेलकूद पत्रकार मंच के संस्थापक संयोजक और स्पोर्ट्स जर्नालिस्ट फोरम के संस्थापक अध्यक्ष हैं।

प्रकाशित कृतियाँ

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कथा संग्रह

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  • कथाद्वीप, १९७७

कविता संग्रह

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  • जिये स्वाभिमान भी, १९९६
  • तुम्हीं से कहता हूँ, २०११

सम्मान व पुरस्कार

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  • राजर्षि जनक प्रतिभा पुरस्कार, २०११[6]
  • राजस्थान पत्रिका पुरस्कार
  1. "PM urges media to play constructive role". Ekantipur.com. May 30, 2011. मूल से 11 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 फ़रवरी 2015.
  2. "SC reinstates Agrahari at Gorakhapatra". My Reputation]. Jul 8, 2014. मूल से 11 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित.
  3. "Appointing Sitaram Agrahari As Acting General Manager of Gorkhapara Corporation". Kathmandu Metro (अंग्रेज़ी में). May 12, 2012. मूल से 11 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 फ़रवरी 2015.
  4. "Krishna meets scribes from 17 nations". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. Jul 14, 2014. मूल से 24 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि Apr 5, 2002.
  5. "Gorkhapatra dishonored order of Supreme Court". Madhesh Vani. February 14, 2014. मूल से 11 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 फ़रवरी 2015.
  6. "Literateur Agrahari to be awarded". The Himalayan Times. March 30, 2011. मूल से 12 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 फ़रवरी 2015.