भारत में जब रगंमचं की बात होती तो ऐसा माना जाता है कि छत्तिसगढ में स्थित रामगढ़ के पहाड पर महाकवि कालिदास द्वारा निर्मित एक प्राचीनतम नाट्यशाला मौजुद है। महाकाव्य मेघदुतम् की रचना कवि कालिदास जी ने रामगढ़ पहाड पर की थी ऐसी मान्यता है। इस आधार पर यह भी कहा जाता है कि मध्यप्रदेश के अम्बिकापुर जिले के रामगढ़ पहाड पर स्थित कालिदास के द्वारा निर्मित नाट्यशाला भारत के सबसे पहला नाट्यशाला है, जो सीतावंगा गुफा के नाम से परिचित है। सीतावंगा की गुफा को देखने से भारतीय के पुराने नाटय मंडपों के स्वरुप का कुछ अनुमान हो जाता है। यह गुफा 13.8 मीटर लंबी तथा 7.2 मीटर चौड़ी है। भीतर रंगमंच में प्रवेश करने के लिए बाईं ओर से सीढ़ियां है, जिससे संभवत अभिनेता प्रवेश करते थे। भीतरी भाग में रंगशाला की व्यवस्था थी। यह 2.3 मीटर चौड़ी तीन सीढ़ियों से बना है, जो एक-दुसरे से 76 से.मी ऊंची है। सीढ़ियों के सामने उपर दो छेद हैं, जिसमे शायद बांस की लकड़ी के सहारे पर्दे लगाए जाते होंगे। सामने दर्शको के लिए बैठने का स्थान है जो सीढ़ीनुमा के रुप मे ग्रीक एफिथिएटर की भांति है, जो लगभग 60 व्यक्ति बैठ सकते हैं। यह थी हमारे सीतावंगा गुफा के बारे में थोडी जानकारी जो हमारे भारतीय प्राचीन काल के नाट्यशाला या रंगशाला की ओर संकेत करता है।