सीरियाई (ܠܫܢܐ ܣܘܪܝܝܐ, लेश्शाना सुरयाया) आरामाई भाषा की एक उपभाषा है जो किसी ज़माने में मध्य पूर्व में उर्वर अर्धचंद्र (फ़र्टाइल क्रॅसॅन्ट) के अधिकतर इलाक़े में बोली जाती थी। इसके एक जीवित भाषा के रूप के बोले जाने के अंत के ५०० साल बाद भी यह पहली सदी ईसवी में एक लिखित भाषा के रूप में उभरी और इस क्षेत्र में चौथी से आठवीं शताब्दी तक साहित्य और धर्म की एक महत्वपूर्ण भाषा बन गई।[1][2] इस काल में सीरियाई इसाई धर्म और संस्कृति जहाँ-जहाँ भी फैली यह भाषा वहाँ पहुँच गई। इसमें भारत का केरल राज्य और पूर्वी चीन शामिल थे।[3] अरबों और कुछ हद तक ईरानियों द्वारा भी, इस भाषा का प्रयोग धर्म से असम्बंधित ज्ञान को फैलाने में भी किया गया। आठवी सदी ईसवी के बाद इस्लाम के आने से इस क्षेत्र में अरबी भाषा का प्रभाव बढ़ा और सीरियाई का प्रयोग ख़त्म होने लगा। भाषावैज्ञानिकों का मानना है कि सीरियाई का अरबी भाषा के विकास पर भी गहरा असर पड़ा।[4] सीरियाई भाषा को सीरियाई वर्णमाला के प्रयोग से लिखा जाता है जो आरामाई लिपि से विकसित हुई थी।

सीरियाई कभी पूरे उर्वर अर्धचन्द्र में बोली जाती थी लेकिन अब केवल कुछ इक्के-दुक्के इलाक़ों में ही समझी जाती है

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  • कन्दीसा, यू-ट्यूब पर भारतीय संगीत गुट 'इन्डियन ओशन' द्वारा सीरियाई भाषा में गाया हुआ एक गीत
  1. "Ancient Scripts: Syriac". मूल से 12 अगस्त 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 अप्रैल 2012.
  2. The Aramaic language, its distribution and subdivisionsGottinger Universitatsschriften - Serie C: Kataloge, Klaus Beyer, Vandenhoeck & Ruprecht, 1986, ISBN 978-3-525-53573-8
  3. Encounters Between Chinese Culture and Christianity: A Hermeneutical Perspective Archived 2017-10-14 at the वेबैक मशीन, Jingyi Ji, LIT Verlag Münster, 2008, ISBN 978-3-8258-0709-2
  4. Arabic Literature to the End of the Umayyad Period Archived 2017-10-14 at the वेबैक मशीन, Alfred Felix Landon Beeston, Cambridge University Press, 1983, ISBN 978-0-521-24015-4, ... To understand how Syriac came to exercise its important influence on Arabic literature it is necessary to have a clear picture of the development of Syriac literature itself ...