सीरमविज्ञान (Serology) के अन्तर्गत सीरम एवं अन्य शारीरिक तरल पदार्थों का अध्ययन किया जाता है। व्यवहार में, निदान के उद्देश्य से सीरम में मौजूद प्रतिपिंडों की पहचान को ही प्रायः सीरमविज्ञान कहा जाता है।[1] जब शरीर को किसी सूक्ष्मजीव का कोई संक्रमण होता है, या कोई बाहरी प्रोटीन शरीर में प्रविष्ट कराया जाता है (जैसे गलत रक्त चढ़ाने से) तो शरीर की प्रतिक्रिया-स्वरूप ये प्रतिपिण्ड बनते हैं।

सीरम का परीक्षण (Serological tests) कई स्थितियों में किए जाते हैं, जैसे-

सीरम के परीक्षण से यह भी पता चलता है कि कोई व्यक्ति किसी प्रकार की प्रतिरक्षा के अभाव (mmune deficiency) से ग्रस्त तो नहीं है। सीरम के परीक्षण की अनेक विधियाँ प्रचलित हैं। कौन सी विधि प्रयोग की जाएगी, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किस प्रतिपिंड (एन्टीबॉडी) का अध्ययन करना है।

कुछ सीरमी परीक्षण केवल रक्त-सीरम तक ही सीमित नहीं रहते बल्कि शरीर के अन्य तरल पदार्थों (वीर्य, लार, मस्तिष्क-मेरु तरल आदि) पर भी किए जाते हैं क्योंकि इनमें भी प्रतिपिंड पाए जाते हैं।

  1. Ryan KJ, Ray CG, eds. (2004). Sherris Medical Microbiology (4th ed.). McGraw Hill. pp. 247–9. ISBN 978-0-8385-8529-0.

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