सी. एम. पूनाचा

भारतीय राजनीतिज्ञ

चेप्पूदिरा मुथाना पूनाचा (1910 -1990), जिन्हें आमतौर पर सी॰ एम॰ पूनाचा के नाम से जाना जाता है, एक स्वतंत्रता सेनानी तथा राजनेता थे।

सी॰ एम॰ पूनाचा

पद बहाल
1 सितम्बर 1982 – 17 अगस्त 1983
मुख्यमंत्री जानकी बल्लभ पटनायक
पूर्वा धिकारी रंगनाथ मिस्रा (कार्यकारी)
उत्तरा धिकारी बिसम्भर नाथ पांडे
पद बहाल
4 नवम्बर 1980 – 24 जून 1982
मुख्यमंत्री जानकी बल्लभ पटनायक
पूर्वा धिकारी एस॰ के॰ रे (कार्यकारी)
उत्तरा धिकारी रंगनाथ मिस्रा (कार्यकारी)
पद बहाल
30 अप्रैल 1980 – 30 सितम्बर 1980
मुख्यमंत्री जानकी बल्लभ पटनायक
पूर्वा धिकारी बी॰ डी॰ शर्मा
उत्तरा धिकारी एस॰ के॰ रे (कार्यकारी)

पद बहाल
17 अगस्त 1978 – 29 अप्रैल 1980
मुख्यमंत्री विरेन्द्र कुमार सखलेचा
सुंदर लाल पटवा
पूर्वा धिकारी एन॰ एन॰ वाञ्चू
उत्तरा धिकारी बी॰ डी॰ शर्मा

पद बहाल
30 मार्च 1967 – 14 फरवरी 1969
प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी
पूर्वा धिकारी एस॰ के॰ पाटिल
उत्तरा धिकारी राम सुभग सिंह

पद बहाल
27 मार्च 1952 – 31 अक्टूबर 1956
मुख्य आयुक्त दया सिंह बेदी
पूर्वा धिकारी कार्यालय स्थापित
उत्तरा धिकारी कार्यालय समाप्त

पद बहाल
15 फरवरी 1969 – 17 मार्च 1971
चुनाव-क्षेत्र मंगलुरू

कार्यकाल
जनवरी 25, 1966-मार्च 12, 1967
चुनाव-क्षेत्र मैसूर राज्य, राज्यसभा

कार्यकाल
1 जनवरी 1966-24 जनवरी 1966
चुनाव-क्षेत्र मैसूर राज्य, राज्यसभा

कार्यकाल
1957-1962
चुनाव-क्षेत्र विराजपेट

कार्यकाल
1956-1962
चुनाव-क्षेत्र विराजपेट

कार्यकाल
1952-1956
चुनाव-क्षेत्र बेरियाथनाड

पद बहाल
1967–1971
पूर्वा धिकारी अधर शंकर अल्वा
उत्तरा धिकारी के॰ के॰ शेट्टी
बहुमत 28522

कार्यकाल
3 अप्रैल 1964-25 फ़रवरी 1967
उत्तरा धिकारी टी॰ सिद्धालिंगया

जन्म 26 सितम्बर 1910
अत्तुर, कूर्ग प्रांत, ब्रिटिश भारत
मृत्यु 7 अगस्त 1990(1990-08-07) (उम्र 79 वर्ष)
जन्म का नाम चेप्पुदिरा मुथन्ना पूनाचा
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
बच्चे सी॰ पी॰ बेल्लियप्पा और कावेरी नाम्बिसन समेत 4
व्यवसाय स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता

जीवन परिचय

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सी॰ एम॰ पूनाचा का जन्म 16 जून 1910 को कूर्ग में हुआ था। उन्होंने कुर्ग में 'मरकरा विराजपेट' तथा 'सेंट अलायसिस कॉलेज', मंगलौर से शिक्षा प्राप्त की। अपने विद्यार्थी जीवन में ही पूनाचा 'भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन' में रुचि होने के कारण अध्ययन छोड़कर सन 1930 में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हो गये। सन 1932 तथा 1933 में उन्हें दो बार कारावास की सज़ा मिली। इसके बाद 1940 - 1941 में व्यक्तिगत रूप से सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें फिर से कारावास की सज़ा काटनी पड़ी। पूनाचा वर्ष 1942 - 1944 में भारत छोड़ो आन्दोलन में नजरबंद रहे।

राजनीति में सक्रियता

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वर्ष 1935 में पूनाचा कूर्ग ज़िला कांग्रेस कमेटी के सेक्रेटरी रहे। 1938 में प्रान्तीय कमेटी की कार्यकारिणी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा कुर्ग ज़िला बोर्ड के लिए निर्वाचित हुए तथा 1941 में इसके अध्यक्ष भी रहे। वे सन 1945-1951 तक परिषद के कांग्रेस विधायक दल के नेता भी रहे। वे 1947-1951 में संविधान सभा के सदस्य तथा अस्थायी संसद के सदस्य रहे।

देश की आज़ादी के बाद सी. एम. पुनाचा (27 मार्च 1952 से 31 अक्टूबर 1956) तक कुर्ग राज्य के मुख्यमंत्री बने। 1 नवम्बर 1956 को कूर्ग राज्य का मैसूर स्टेट (कर्नाटक) में विलय कर दिया गया।

कूर्ग राज्य के विलय के बाद वह मैसूर स्टेट (कर्नाटक) के (1956 - 62) तक उद्योग तथा वाणिज्य मंत्री बनाये गये, तथा (1957 - 62) तक वह मैसूर स्टेट (कर्नाटक) के गृह मंत्री का पदभार संभाला।

1964 में उन्हें मैसूर स्टेट (कर्नाटक) से राज्यसभा के लिए चुना गया। (1 जनवरी 1966 से 24 जनवरी 1966) तक उन्होंने केन्द्र में वित्त (राज्यमंत्री) का पदभार संभाला।

(25 जनवरी 1966 से 12 मार्च 1967) तक वह केन्द्र की सरकार में परिवहन, विमानन, शिपिंग और पर्यटन (राज्यमंत्री) बने। 1967 के संसदीय चुनाव में वह मैंगलोर लोकसभा सीट से विजयी हुए और (30 मार्च 1967 से 14 फरवरी 1969) तक केन्द्र की इन्दिरा गांधी सरकार में उन्होंने भारत के रेलमंत्री तथा (15 फरवरी 1969 से 17 मार्च 1971) तक इस्पात और भारी इंजीनियरिंग मंत्री के रूप में पदभार संभाला।

1971 के संसदीय चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। (17 अगस्त 1978 से 29 अप्रैल 1980) तक उन्होने मध्यप्रदेश के राज्यपाल के रूप में सेवा प्रदान की।

(30 अप्रैल 1980 से 17 अगस्त 1983) तक वह तीन बार उड़ीसा के राज्यपाल नियुक्त किया गया। राजनीति के खिलाड़ी सी. एम. पुनाचा का निधन 3 अगस्त, 1990 को हुआ।