भारतीय प्राणि विज्ञानी सुंदरलाल होरा (1896-1955) का जन्म पश्चिमी पंजाब (अब पाकिस्तान) के हाफिज़ाबाद नामक कस्बे में हुआ था। पंजाब विश्वविद्यालय की एम. एस-सी. परीक्षा में आपने प्रथम स्थान प्राप्त किया तथा आपको मैकलैगेन पदक और अन्य सम्मान प्राप्त हुए। सन् 1919 में आप भारत के जूलॉजिकल सर्वे विभाग में नियुक्त हुए। सन् 1922 में पंजाब विश्वविद्यालय और सन् 1928 में एडिनबरा विश्वविद्यालय से आपने डी. एस-सी. की उपाधियाँ प्राप्त कीं।

सुन्दरलाल होरा

आपके जैविक तथा मत्स्य विज्ञान संबंधी अनुसंधान बहुत महत्वपूर्ण थे और इनके लिए आपको भारतीय तथा विदेशी वैज्ञानिक संस्थानों से सम्मानित उपाधियाँ तथा पदक प्राप्त हुए। आपके लगभग 400 मौलिक लेख भारतीय तथा विदेशी वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। प्राणि विज्ञान के लगभग सभी पक्षों पर आपने लेख लिखे हैं। प्राचीन भारत में मत्स्य तथा मत्स्यपालन विज्ञान संबंधी आपके अनुसंधान विशेष महत्व के थे। आपने भारत के जूलॉजिकल सर्वे विभाग को मत्स्य संबंधी अनुसंधान कार्य का केंद्र बना दिया।

आप एडिनबरा की "रॉयल सोसायटी", लंदन की "जूलॉजिकल सोसायटी", लंदन के :"इंस्टिट्यूट ऑव बायलॉजी", तथा अमरीका की "सोसायटी ऑव इक्थियोलॉजिस्ट्स ऐंड हृपेंटोलॉजिस्ट्स" के सदस्य थे। आप "एशियाटिक सोसायटी" के वरिष्ठ सदस्य निर्वाचित हुए। इस संस्था ने आपको "जयगोविंद विधि" पदक प्रदान किया तथा कई वर्ष तक आप इस संस्था के उपाध्यक्ष रहे। भारत के "नेशनल इंस्टिट्यूटऑव सायंस" के आप संस्थापक सदस्य तथा सन् 1951 और 1952 में उसके अध्यक्ष रहे। ये भारत की "नेशनल जिऑग्रैफिकल सोसायटी" के सदस्य तथा उसके जवाहरलाल पदक के प्राप्तकर्ता, "भारतीय जूलॉजिकल सोसायटी" के सदस्य तथा इसके सर दोराबजी ताता पदक के प्रापक थे। "बॉम्बे नैचुरल हिस्ट्री सोसायटी" के भी आप सदस्य निर्वाचित हुए। इन वैज्ञानिक संस्थानों के अलावा आप अनेक अन्य वैज्ञानिक और समुद्र विज्ञान तथा मत्स्य विज्ञान से संबंधित संस्थाओं के सम्मानित सदस्य थे।

आप "भारतीय विज्ञान कांग्रेस" के प्राणिविज्ञान अनुभाग के सन् 1930 में तथा सायंस कांग्रेस के सन् 1954 में अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। इस संस्था द्वारा प्रकाशित "भारतीय क्षेत्र विज्ञानों की रूपरेखा" (An Outline of Field Sciences in India) के आप संपादक भी थे।