सैयद अली शाह गिलानी

भोसड़ीवाला चाचा
(सैयद अली शा गिलानी से अनुप्रेषित)

सैय्यद अली शाह गिलानी (29 सितंबर 1929 – 01 सितंबर 2021) एक पूर्व कश्मीरी अलगाववादी हुर्रियत नेता थे जो भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में हैं।[1] वह पहले जमात-ए-इस्लामी कश्मीर का सदस्य था, लेकिन बाद में तहरीक-ए-हुर्रियत के नाम से अपनी पार्टी की स्थापना की। उन्होंने जम्मू और कश्मीर में अलगाववादी दलों के समूह, ऑल पार्टीज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वह जम्मू और कश्मीर के सोपोर निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार (1972,1977 और 1987) विधायक रहे। वो कश्मीर में लोकप्रिय रहे और वहाँ की जनता उन्हे बाबा कहती थी। गीलानी का ताल्लुक़ बारामूला ज़िले के क़स्बे सोपोर से था।

सैय्यद अली शाह गिलानी
سید علی شاہ گیلانی
जन्म 29 सितम्बर 1929
दुरु, सोपोर, बारामूला, कश्मीर, भारत
मौत 1 सितम्बर 2021(2021-09-01) (उम्र 91 वर्ष)
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनैतिक पार्टी तहरीक-ए-हुर्रियत , हुर्रियत काँफ़्रेंस
जीवनसाथी जवाहिरा बेगम
बच्चे 6

वेबसाइट
http://www.huriyatconference.com

http://www.syedaligeelani.info

प्रारंभिक जीवन

सैयद अली शा गीलानी का जन्म २९ सितंबर १९२९ में जम्मू कश्मीर के सोपोर जनपद के दुरु गांव में हुआ था। इन्होने अपनी प्राथमिक शिक्षा सोपोर में प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिये यह लाहोर गये जहां इन्होने कुरान और् धर्मशास्त्र सीखा। कश्मीर लौट कर यह अध्यापक बन गये और इसि दौरान यह सोपोर में जमात ए इस्लामी के प्रमुख कार्यकर्ता भी बन गये।

राजनीतिक सक्रियता

गीलानी ने अपना राजनीतिक जीवन १९५० में शुरु किया और अब तक उन्होने जेल में एक दशक से भी अधिक काल व्यतीत किया है। उन्होने कहा है कि भारतीय अधिकारी अक्सर अक्सर उन्हे चुनाव से पहले गिरफ्तार करते हैं। नवम्बर २०११ में, गीलनी जी ने सामाजिक नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर कथित' आपत्तिजनक इस्लाम विरोधी 'सामग्री के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया। इस कारण् कश्मीर घाटी के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुप्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच मामूली झड़पें हुइ।

व्यक्तिगत जीवन

गिलानी अपनी पत्नी जवाहिरा बेगम के साथ हैदरपोरा श्रीनगर, कश्मीर में रहते हैं।[2] गिलानी के छह बच्चे हैं- दो बेटे नईम और नसीम और चार बेटियां अनीशा, फरहत जबीन, ज़मशीदा और चमशिदा।[3] अनीशा और फरहत गिलानी की दूसरी शादी से बेटियां हैं। नईम और उनकी पत्नी, दोनों डॉक्टर हैं, जो रावलपिंडी पाकिस्तान में चिकित्सा करते थे और अभ्यास करते थे, लेकिन वे 2010 में भारत लौट आए।[4] गिलानी का छोटा बेटा, नसीम श्रीनगर में एक कृषि विश्वविद्यालय में काम करता है।[5] गिलानी के पोते इज़हार भारत में एक निजी एयरलाइन में चालक दल के सदस्य हैं। गिलानी की बेटी फरहत सऊदी अरब के जेद्दा में एक शिक्षक है और उसका पति वहां एक इंजीनियर है।[6][7] गिलानी के दूसरे पोते भारत के प्रमुख स्कूलों में पढ़ रहे हैं। उनके चचेरे भाई गुलाम नबी फई वर्तमान में लंदन में हैं।[8] रुवा शाह, कश्मीरी अलगाववादी अल्ताफ अहमद शाह (एसएएस गिलानी के दामाद) की बेटी, एक पत्रकार।[9][10][11] उन्होंने पहले 2014 से हिंदुस्तान टाइम्स,[12] आईएएनएस, क्विंट और द इंडियन एक्सप्रेस सहित संगठनों के साथ भारत में एक पत्रकार के रूप में काम किया।[13][14]

आलोचना

जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कश्मीर में आतंकवाद और रक्तपात में वृद्धि के लिए गीलनी को दोषी ठहराया है और उन्के पिता और केंद्रीय मंत्री फारूक अब्दुल्ला ने गीलानी से आग्रह किया है कि वह ऐसा मार्ग अपनाए जो कश्मीर के लोगों को विनाश से बचाए। उनपे आरोप लगाया गया है कि वह पूर्व 1990 जम्मू एवं कश्मीर विधान सभा में अपनी सदस्यता के लिए अभी भी सरकार की ओर से पेंशन प्राप्त करते हैं। अक्टूबर 2010 में आयोजित नई दिल्ली में एक संगोष्ठी में दिए गये अपने भाशण के लिए इन्कि आलोचना भी हुइ।

बीमारी

गीलानी को गुर्दे के कैंसर से निदान किया गया है और इलाज के लिए डॉक्टरों द्वारा सिफारिश की गई है कि वह विदेश जाए। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के हस्तक्षेप के बाद, भारतीय सरकारी एजेंसियों ने गीलानी का पासपोर्ट पतन कर दिया। उनका यह कहना था कि १९८१ में "भारत विरोधी गतिविधियों" के कारण पहले भी उनका पासपोर्ट जब्त किया जा चुका है और इस कारण उन्हें भारत छोड़ने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। उन्हें केवल २००६ में हज तीर्थयात्रा के लिए भारत छोड्ने की अनुमती दी गई थी। चार साल पहले एक संक्रमण के कारण डॉक्टरों को उनका बायां गुर्दा निकालना पडा। अपोलो अस्पताल, मुम्बई के डॉक्टरों ने यह सुझाव दिया कि उन्को इलाज के लिए अमेरिका भेजा जाए लेकिन ऐसा हो न पाया क्युन्कि उन्को अमेरिका से विसा नहीं मिला। इसका कारण यह था कि गीलानी ने पहले इराक युद्ध में अमेरिकी नीति की आलोचना की थी।

सन्दर्भ

  1. "Syed Ali Shah Geelani: The Man who Hates India".
  2. "A day in the life of Kashmiri separatist". मूल से 2 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2020.
  3. "14 properties of Geelani, kin worth Rs 150 crore under NIA lens". मूल से 12 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2020.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 जून 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2020.
  5. "NIA grills Geelani's sons, JKLF chief's aide in terror funding case". मूल से 11 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2020.
  6. "As Valley kids suffer, separatists' wards thrive in safe havens". The Tribune. 19 September 2010. मूल से 9 सितंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 April 2015.
  7. "Children of Hurriyat: A life of luxury, here's the list". मूल से 26 मई 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2020.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 6 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2020.
  9. "Geelanis granddaughter to hold anti-India show on Jan 7".
  10. "Kashmiri separatist leader Altaf Ahmad Shah's daughter says denied". मूल से 17 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जून 2020.
  11. "I fear for my father imprisoned in pandemic-stricken India".
  12. "ruwa shah profile". मूल से 20 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2020.
  13. "Is Kashmir Safe for Women? You're Wrong, Madam Mufti".
  14. "Ruwa Shah is a student of cinema and TV in Turkey". मूल से 6 जून 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2020.

बाहरी कड़ियाँ

  • ibnlive.in.com/newstopics/syed-ali-shah-geelani.html‎