सोनी सोरी (जन्म : १९७५ ई॰) छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित जबेली गाँव की एक आदिवासी विद्यालय शिक्षिका हैं।सन् 2011 में पुलिस द्वारा यह इल्जाम लगाया गया कि वे नक्सलियों को सूचनाएं उपलब्ध करवाती हैं। सोनी सोरी को दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया गया और छत्तीसगढ़ पुलिस को सौंप दिया गया। कोर्ट में पेशी से पहले इन्हें दो दिन की पुलिस हिरासत में रखा गया, जहां छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा उन्हें नंगा किया गया और बिजली के झटके लगाए गए। थर्ड डिग्री टार्चर की वजह से कोर्ट में पहले दिन पेशी के दौरान वे चल भी नहीं पा रहीं थीं। बाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतंत्र जाँच करवाए जाने पर उनके यौनांग में तीन पत्थर पाए गए। सोनी सोरी को कोर्ट में पेशी के बाद जेल भेज दिया गया। ढाई साल की यातनापूर्ण कैद के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें स्थाई जमानत प्रदान कर दी। छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा लगाए गए आठ आरोपों में सात झूठे निकले जबकि एक में उन्हें जमानत मिल गई।

सोनी सोरी
जन्म c. 1975
Bade Bedma, छत्तीसगढ़
राष्ट्रीयता Indian
नागरिकता Indian
शिक्षा Higher Secondary
शिक्षा की जगह माता रुक्मणी कन्या आश्रम, डिमरा पल, जगदलपुर
पेशा Labourer
संबंधी मुंडा राम (पिता), रामदेव (भाई)[1]

वर्तमान में सोनी सोरी छत्तीसगढ़ के आदिवासियों पर हो रहे क्रूर हमलों का विरोध कर आदिवासियों को न्याय दिलाने की दिशा में काम कर रही हैं। बस्तर में फर्जी मुठभेड़ों, आदिवासियों महिलाओं के साथ सुरक्षाकर्मियों द्वारा बलात्कार समेत तमाम आदिवासी उत्पीडऩ के मुद्दों को सोनी सोरी ने राष्ट्रीय स्तर पर उठाया है, जिससे वह छत्तीसगढ़ पुलिस और प्रशासन के निशाने पर हैं।

पिछले दो दशकों से बस्तर के आदिवासी, पुलिस और नक्सलियों के बीच पिस रहे हैं। कभी पुलिस द्वारा तो कभी नक्सलियों द्वारा आदिवासियों को मारने की खबरें अक्सर प्रकाश में आती रहती हैं। भय के कारण हजारो आदिवासी बस्तर छोडऩे पर मजबूर हो गए हैं। बस्तर एक युद्धक्षेत्र बन गया है, जहां पुलिस और नक्सलियों की गोलियां चलती हैं और मरता है सिर्फ आदिवासी।

बस्तर में आदिवासियों के लिए जो भी कुछ करता है, वह पुलिस और प्रशासन के निशाने पर आ जाता है। शायद यहीं कारण है कि सोनी सोरी भी निशाने पर हैं।