सोमेश्वर चौहान

12 वीं शताब्दी के भारतीय राजा

सोमेश्वर चौहान अजमेर के स्वामी अर्णोराज चौहान का कनिष्ठ पुत्र[1] थें । वह सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पिता थे | अपने पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने जीवन का कुछ भाग चौलुक्य राजा कुमारपाल के दरबार में व्यतीत किया। उस नाना सिद्धराज जयसिंह के समय गुजरात में ही उसका जन्म हुआ था और वहीं पर राजकुमारी कर्पूरीदेवी से उसका विवाह हुआ। जब कुमारपाल ने कोंकण देश के स्वामी मल्लिकार्जुन पर आक्रमण किया, तो सोमेश्वर ने शत्रु के हाथी पर कूदकर उसका वध किया था ।

नक्शा

उधर अजमेर में एक के बाद दूसरे राजा की मृत्यु हुई। अपने पिता अर्णोराज की हत्या करनेवाले जगद्देव को बीसलदेव ने हराया। बीसलदेव की मृत्यु के बाद उसके पुत्र को हटाकर जगद्देव का पुत्र गद्दी पर बैठा किंतु दो वर्षों के अंदर ही सिंहासन फिर शून्य हो गया और चौहान सामंत और मंत्रियों ने गुजरात से लाकर सोमेश्वर को गद्दी पर बैठाया। सोमेश्वर ने लगभग आठ वर्ष (वि. सं. 1226-1234) तक राज्य किया।

सोमेश्वर का राज्य प्राय: सुख और शांति का था। उसने अर्णोराज के नाम से एक नगर बसाया और अनेक मंदिर बनवाए जिनमें से एक भगवान्‌ त्रिपुरुष देव का और दूसरा वैद्यनाथ देव का था। ब्राह्मण और अब्राह्मणों सभी संप्रदायों को उसकी संरक्षा प्राप्त थी। सोमेश्वरीय द्रम्मों का प्रचलन भी इसके राज्य के ऐश्वर्य को द्योतित करता है।

सोमेश्वर ने प्रतापलंकेश्वर की पदवी धारण की। पृथ्वीराजरासो के अनुसार उसका विवाह दिल्ली के तंवर राजा अनंगपाल की पुत्री कमला देवी से हुआ[2] और पृथ्वीराज इसका पुत्र था।[3] इसी काव्य में गुजरात के राजा भीम के हाथों उसकी मृत्यु का उल्लेख है। ये दोनों बातें असत्य हैं। पृथ्वीराज कर्पूरीदेवी के पुत्र थेें और सोमेश्वर की मृत्यु के समय भीम गुजरात का राजा नहीं बना था। किंतु गुजरात से उसकी कुछ अनबन अवश्य हुई थी। उसकी मृत्यु के समय पृथ्वीराज चौहान केवल दस साल केे थें । [4]

सन्दर्भ

  1. Chandramouli, A. (२०१७). Prithviraj Chauhan: The Emperor of Hearts (अंग्रेजी भाषा में). Penguin Random House India Private Limited. पृ॰ १५. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-87326-35-4. अभिगमन तिथि २४ मार्च २०२०.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. Mehara, J. (१९९२). Rājasthāna ke itihāsa kā sarvekshaṇa. Rājasthānī Granthāgāra. अभिगमन तिथि २४ मार्च २०२०.
  3. Jośī, K. (१९९४). Śrīpāda Śāstrī Hasūrakara, vyakti evaṃ abhivyakti. Pratibhā Prakāśana. अभिगमन तिथि २४ मार्च २०२०.
  4. Dasharatha Sharma 1959, पृ॰प॰ 69-70.