स्थलरूप
स्थलरूप अथवा स्थलाकृति (अंग्रेज़ी: Landform) भूगोल और अन्य पृथ्वी विज्ञानों में प्रयुक्त शब्द है जिसका आशय एक भू-आकृतिक इकाई से है जिसे सामान्यतः उसकी धरातलीय बनावट अर्थात आकृति के द्वारा पहचाना जाता है। सामान्य भाषा में जमीन की ऊँचाई-निचाई द्वारा जो आकृतियाँ बनती हैं उन्हें स्थलरूप कहते हैं।[1]
![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/f/fc/Uluru_%28Helicopter_view%29-crop.jpg/250px-Uluru_%28Helicopter_view%29-crop.jpg)
![](http://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/thumb/2/23/Cono_de_Arita%2C_Salta._%28Argentina%29.jpg/250px-Cono_de_Arita%2C_Salta._%28Argentina%29.jpg)
वर्गीकरण
संपादित करेंइनको इनके आकार के आधार पर कई श्रेणियों में बाँटा जाता है:
- प्रथम क्रम के स्थलरूप में महाद्वीप और महासागर आते हैं,
- द्वितीय क्रम के स्थलरूप में पर्वत, मैदान और पठार, तथा
- तृतीय क्रम के स्थलरूप में अत्यधिक छोटे स्थलरूप जैसे घाटी, शिखर, प्रपात, बालुका स्तूप, गोखुर झील इत्यादि।
स्थलरूप स्थायी नहीं होते बल्कि इनमें सतत् परिवर्तन होता रहता है।
इनका अध्ययन करने वाला विज्ञान भू-आकृति विज्ञान कहलाता है जो भूगोल की एक शाखा है। भूगर्भशास्त्र या भूविज्ञान में इस तरह के अध्ययन को पर्यावरणीय भूगर्भशास्त्र/पर्यावरणीय भूविज्ञान कहते हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "इण्डिया वाटर पोर्टल". मूल से 24 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जून 2014.
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