स्वप्नदोष

यह बहुत जादा होने पर आपका पूरा शरीर कमजोर हो जाएगी और आपके कमर में दर्द होगा आपके पैरों के नीचे तलव

अपने नाम के विपरीत स्वप्नदोष (Nocturnal emission) कोई दोष न होकर एक स्वाभाविक दैहिक क्रिया है जिसके अंतर्गत एक पुरुष को नींद के दौरान वीर्यपात (स्खलन) हो जाता है। यह महिने में अगर 1 या 2 बार ही हो तो सामान्य बात कही जा सकती है।और यह कहा जा सकता है कि कोई रोग नहीं है किन्तु यदि यह इससे ज्यादा बार होता है तो वीर्य की या शुक्र की हानि होती है और व्यक्ति को शारीरिक कमजोरी का अहसास होता है। क्योंकि यह शुक्र भी रक्त कणों से पैदा होता है। अतः अत्यधिक शुक्र क्षय व्यक्ति को कमजोर कर देता हैं।

स्वप्नदोष, किशोरावस्था और शुरुआती वयस्क वर्षों में के दौरान होने वाली एक सामान्य घटना है, लेकिन यह उत्सर्जन यौवन के बाद किसी भी समय हो सकता है। आवश्यक नहीं है कि प्रत्येक पुरुष स्वप्नदोष को अनुभव करे, जहां अधिकांश पुरुष इसे अनुभव करते हैं वहीं कुछ पूर्ण रूप से स्वस्थ और सामान्य पुरुष भी इसका अनुभव नहीं करते। स्वप्नदोष के दौरान पुरुषों को कामोद्दीपक सपने आ सकते हैं और यह स्तंभन के बिना भी हो सकता है।

स्वप्नदोष को लेकर कई भ्रांतियां और गलत धारणाएं समाज में प्रचलित हैं। इसे अक्सर कमजोरी या किसी प्रकार की बीमारी का संकेत मान लिया जाता है, जबकि यह शरीर की स्वाभाविक प्रक्रिया है। यह वीर्य की अधिकता को नियंत्रित करने का एक तरीका भी हो सकता है। यदि शरीर में अतिरिक्त शुक्राणु बनते हैं, तो उनका स्वाभाविक रूप से उत्सर्जन होना आवश्यक है। यह शरीर के हार्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है।

यह महत्वपूर्ण है कि स्वप्नदोष को मानसिक तनाव या शर्मिंदगी का कारण न बनाया जाए। अधिकतर मामलों में यह किसी विशेष उपचार की आवश्यकता के बिना अपने आप सामान्य हो जाता है। हालांकि, यदि यह अत्यधिक बार-बार हो रहा हो और व्यक्ति को कमजोरी, तनाव या अन्य किसी समस्या का अनुभव हो रहा हो, तो विशेषज्ञ से सलाह लेना आवश्यक है। सही आहार, नियमित व्यायाम और तनाव प्रबंधन से इस स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है।

स्वप्नदोष को समझने के लिए जागरूकता जरूरी है। यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करता है। सही जानकारी और मार्गदर्शन के अभाव में कई लोग इसे अनावश्यक चिंता का विषय बना लेते हैं, जो उनकी मानसिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। समाज और परिवार को भी चाहिए कि इस विषय पर खुलकर बातचीत करें, ताकि इसे लेकर किसी प्रकार की झिझक या गलतफहमी न रहे।

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