स्वर्गारोहणपर्व
महाभारत की 18वीं पुस्तक
स्वर्गारोहण पर्व में कोई उपपर्व नहीं एवं कुल ५ अध्याय हैं।
पर्व | शीर्षक | उप-पर्व संख्या | उप-पर्व सुची | अध्याय एवम श्लोक संख्या | विषय-सूची |
१८ | स्वर्गारोहणपर्व | ९८ | कोई उपपर्व नहीं। | ५/२०७ |
इस पर्व के अन्त में महाभारत की श्रवणविधि तथा महाभारत का माहात्म्य वर्णित है। इस पर्व के प्रथम अध्याय में स्वर्ग में नारद के साथ युधिष्ठिर का संवाद और द्वितीय अध्याय में देवदूत द्वारा युधिष्ठिर को नरकदर्शन और वहाँ भाइयों की चीख-पुकार सुनकर युधिष्ठिर का वहीं रहने का निश्चय वर्णित है। तृतीय अध्याय में इन्द्र और धर्म द्वारा युधिष्ठिर को सांत्वना प्रदान की जाती है। युधिष्ठिर शरीर त्यागकर स्वर्गलोक चले जाते हैं। चतुर्थ अध्याय में युधिष्ठिर दिव्य लोक में श्रीकृष्ण और अर्जुन से मिलते हैं। पंचम अध्याय में वहीं भीष्म आदि स्वजन भी अपने पूर्व स्वरूप में मिलते है। तत्पश्चात महाभारत का उपसंहार वर्णित है। |
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