स्वामीनारायण सम्प्रदाय

सनातन धर्म का एक भाग

स्वामीनारायण सम्प्रदाय (पूर्वा नाम: उद्धव सम्प्रदाय) [[ हिन्दू धर्म]] का एक भाग है। इसे गोंडा जिला उत्तरप्रदेश में जन्मे घनश्याम पांडे जिन्हें कालांतर में अनुयायियों ने स्वामीनारायण घोषित कर दिया, ने स्थापित किया था। गुरु रामानन्द स्वामी ने विशिष्टाद्वैयता की सीख को बढ़ाने के लिए स्वामीनारायण (तब सहजननद स्वामी) को उऊद्धव सम्प्रदाय का आचार्या बनाया। स्वामीनारायण सम्प्रदाय के प्रवर्तक स्वामी नारायण जी का जन्म उत्तर प्रदेश के गोण्डा जनपद के अन्तर्गत 'छपिया' नामक गाँव, में हुआ था। आज भी यहाँ स्वामीनारायण मन्दिर है जहाँ मेला लगता है। वर्तमान में यह गाँव स्वामीनारायण छपिया के नाम से जाना जाता है।

श्री स्वामीनारायण मन्दिर, अहमदाबाद
श्री स्वामीनारायण मन्दिर, लन्दन

स्वामीनारायण के पश्चात सम्प्रदाय को अपनाने वालों की संख्या में वृद्धि हुई और १८ लाख लोग इसके अपना चुके हैं। स्वामीनारायण सम्प्रदाय को वेद के ऊपर स्थापित करने का दुष्प्रचार किया गया है। शिक्षापतरी और वचनमृत स्वामीनारायण सम्प्रदाय की मूल सीखें हैं। स्वामीनारायण ने छः मन्दिर बनाए थे। मृत्यु के पहले स्वामीनारायण ने स्वामीनारायण सम्प्रदाय के दो विभाग बनाए, पहला, नर-नारायण देव गाड़ी, जो अहमदावाद से चलई जाती हैं और दूसरा, लक्ष्मी नारायण देव गाड़ी, जो वाड़ताल से चलाई जाती हैं। इन दोनो विभाग के मुख्या, स्वामीनारायण ने अपने दो भंजो को एक पत्र, देश विभाग लेख के शक्ति से बनाया जिससेअविवाहित होनेसे सम्पत्ति काअधिकार भांजे को दे दिया, जिसे बम्बई उच्च न्यायालय ने स्वामीनारायण की वसीयत माना हैं। इन दोनो की पीढ़ी इन दोनो विभागों के आचार्या के रूप में चलते हैं और पारिवारिक नियंत्रण बना हुआ है[1]ब्रम्हवैवर्त पुराण, भविष्य पुराण और अन्य शास्त्र में कलियुग में दंभ अहंकार से उपजे अज्ञान से कई पंथों के उभरने का बताया गया है जो वेद शास्त्र विरुद्ध या मानव निर्मित पृथक आचरण करेंगे। किसी भी वेद शास्त्र वेद भागवत पुराण हरिवंश पुराण, भविष्य पुराण में गया बिहार मे क्षत्रिय राजवंश मे अवतरित विष्णु अवतार बुद्ध के बाद कलियुग के अंत मे पूर्ण अवतार कल्कि भगवान के पहले किसी अवतार का उल्लेख नहीं परन्तु दिव्य संत महात्मा आते रहते हैं।

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "Introduction to Swaminarayan Hinduism, Raymond Brady Williams, 2001".