'स्वामी अछूतानन्द 'हरिहर'(1879 - 1933) उनका मूल नाम 'हीरालाल' था । उनका जन्म 1879 उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ था।भारतीय समाज सुधारक, संत और दलित चेतना के प्रबल समर्थक थे। वे दलित समुदाय के उत्थान के लिए समर्पित थे और जीवनकाल उन्होने जाती-आधारित भेदभाव के खिलाफ आदि-हिन्दू' आन्दोलन चलाया।[1]

अछूतानन्द का जन्म उन्नीसवीं सदी के आठवें दशक में हुआ था। 1917 में, उन्होंने "अछुतान्नद हरिजन सेवक संघ", की स्थापना की जिसका मुख्य उद्देश्य दलित समाज में शिक्षा, समानता और सामाजिक अधिकारों की रक्षा करना था । वे डॉ. भीमराव अंबेडकर के साथ जुड़े रहे और दलित आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका रही।[2] स्वामी अछूतान्नद जी ने अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से दलित समाज में जागरूकता फैलाना का कार्य किया। वे एक कवि और लेखक भी थे और उन्होंने ने अनेक पुस्तकों की रचना की , जिसमें "अछूतों की शिकायत " और "अछूतों की पुकार " प्रमुख हैं । उनके साहित्यिक योगदान ने दलित समाज के संघर्ष और अधिकारों को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई।

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इसके बाद वे अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से लंबी यात्राएं करते हुए आमजन को सम्बोधित करने लगे। अपनी बात को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अब स्वामी हरिहरानंद के बजाय स्वामी अछूतानंद होकर कविता, लेख, नाटक आदि के माध्यम से समाज को सम्बोधित करने लगे।1933 में उनके निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान आज भी दलित समाज आंदोलन और सामाजिक सुधार के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माना जाता है। [4][5]

  1. https://hindi.theprint.in/opinion/in-uttar-pradesh-bsp-ideological-foundation-laid-by-swami-achhootananda-harihar/59862/
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 अप्रैल 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2020.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2020.
  4. http://sablog.in/tag/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%85%E0%A4%9B%E0%A5%82%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6-%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%B0/
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2020.