स्वामी अछूतानन्द 'हरिहर'(1879 - 1933) दलित चेतना प्रसारक साहित्यकार तथा समाजसुधारक थे। उनका मूल नाम 'हीरालाल' था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में हुआ था। उन्होने 'आदि-हिन्दू' आन्दोलन चलाया।[1] और भारत में ब्रिटिश साम्राज्य विरोधी आन्दोलन का विरोध किया।

अछूतानन्द का जन्म उन्नीसवीं सदी के आठवें दशक में हुआ था। जीवन की शुरुआत में ही सामंतवादियो से उनका झगड़ा हुआ और फर्रुखाबाद के अपने गांव को उन्हें छोड़ना पड़ा था। बाद में आर्य समाज के सम्पर्क में आकर वे 'हरिहरानन्द' हो गए। उनकी भाषण कला अद्भुत थी। जल्दी ही वे आर्य समाज के लोकप्रिय प्रचारक बन गए लेकिन शीघ्र ही आर्य समाज से भी अलग हो गए। उनका यह विश्वास पक्का हो गया कि 'शूद्र' कही गयी समस्त जातियां ही 'आदि हिन्दू' हैं और उनकी सांस्कृतिक ऐतिहासिक पहचान पुन: स्थापित होनी चाहिए।[2][3]

इसके बाद वे अपने लेखन और भाषणों के माध्यम से लंबी यात्राएं करते हुए आमजन को सम्बोधित करने लगे। अपनी बात को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अब स्वामी हरिहरानंद के बजाय स्वामी अछूतानंद होकर कविता, लेख, नाटक आदि के माध्यम से समाज को सम्बोधित करने लगे।[4][5]उसी श्रेणी मे 40 के दशक में बिहारी लाल हरित ने दलितों की पीड़ा को कविता-बद्ध ही नहीं किया, अपितु अपनी भजन मंडली के साथ दलितों को जाग्रत भी किया

  1. https://hindi.theprint.in/opinion/in-uttar-pradesh-bsp-ideological-foundation-laid-by-swami-achhootananda-harihar/59862/
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 25 अप्रैल 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2020.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 जुलाई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2020.
  4. http://sablog.in/tag/%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AE%E0%A5%80-%E0%A4%85%E0%A4%9B%E0%A5%82%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%82%E0%A4%A6-%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B9%E0%A4%B0/
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 5 सितंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 जून 2020.