सत्यानन्द सरस्वती

(स्वामी सत्यानन्द से अनुप्रेषित)

स्वामी सत्यानन्द सरस्वती (24 दिसम्बर 1923 – 5 दिसम्बर 2009), संन्यासी, योग गुरू और आध्यात्मिक गुरू थे। उन्होने अन्तरराष्ट्रीय योग फेलोशिप (1956) तथा बिहार योग विद्यालय (1963) की स्थापना की। उन्होंने ८० से भी अधिक पुस्तकों की रचना की जिसमें से 'आसन प्राणायाम मुद्राबन्ध' नामक पुस्तक विश्वप्रसिद्ध है।

सत्यानंद सरस्वती
धर्म हिन्दू
व्यक्तिगत विशिष्ठियाँ
जन्म 25 दिसम्बर 1923
अलमोड़ा, उत्तराखंड
निधन 5 दिसम्बर 2009(2009-12-05) (उम्र 85 वर्ष)

स्वामी सत्यानन्द का जन्म 23 दिसम्बर 1923 को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में मार्गशीर्ष की पूर्णिमा को हुआ था। उनके पिताजी ब्रिटिश शासन में पुलिस अधिकारी थे तथा उनकी माँ नेपाल के राजघराने की थीं। अपने माता-पिता की एकलौती संतान सत्यानन्द ने बचपन से ही धर्म और अध्यात्म में गहरी दिलचस्पी दिखाना प्रारम्भ कर दिया था। उन्हें अपने आध्यात्मिक गुरु की प्रबल तलाश थी और वह इसके लिए काफी घूमा करते थे।[1]

१८ वर्ष में उन्होने घर छोड़ दिया, १९ वर्ष की आयु में उन्हें अपने गुरु शिवानन्द सरस्वती के दर्शन हुए। १९४७ में उन्हें गुरु ने परमहंस सन्यास में दीक्षित किया। उन्होंने १२ साल गुरु की सेवा की। उसके बाद वे परिव्राजक के रूप में घूमते रहे - भारत, अफ़ग़ानिस्तान, बर्मा, नेपाल एवम श्रीलंका में। इस दौरान उन्होंने यौगिक तकनीकों को प्रतिपादित तथा परिष्कृत किया।

योग की अति प्राचीन पद्धति को विज्ञान के सम्मत और इसके परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करने की आवश्यकता का अनुभव होने पर उन्होंने १९५६ में अंतर्राष्ट्रीय योग मित्र मण्डल तथा १९६३ में बिहार योग विद्यालय की स्थापना की। इसके बाद विदेशों और स्वदेश में कई यौगिक भ्रमण तथा प्रवचन किये। १९८८ में सब त्याग कर संन्यास ले लिया। १९८९ में उन्हें रिखिया (झारखंड में देवघर के निकट) आकर आसपास के लोगों की मदद करने का दैवीय आदेश आया। यहाँ उन्होंने एकान्तवास करते हुए उच्च वैदिक साधनाएँ कीं। ५ दिसम्बर २००९ की मध्यरात्रि में अपने शिष्यों की उपस्थिति में वे महा समाधि में लीन हो गए।

  1. महायोगी स्वामी सत्यानंद का महाप्रयाण

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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