हंगामा (2003 फ़िल्म)
हंगामा 2003 में बनी हिन्दी भाषा की कॉमेडी फ़िल्म है। इसका निर्देशन प्रियदर्शन ने किया। इसमें परेश रावल, आफ़ताब शिवदासानी, अक्षय खन्ना और रिमी सेन हैं। यह प्रियदर्शन की 1984 की मलयालम फिल्म की रूपांतर थी।
हंगामा | |
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हंगामा का पोस्टर | |
निर्देशक | प्रियदर्शन |
लेखक | नीरज वोरा (संवाद) |
पटकथा | प्रियदर्शन |
कहानी | प्रियदर्शन |
निर्माता | गणेश जैन |
अभिनेता |
अक्षय खन्ना, आफ़ताब शिवदासानी, रिमी सेन, परेश रावल, राजपाल यादव, टीकू तलसानिया, शक्ति कपूर, शोमा आनन्द, उपासना सिंह, मनोज जोशी |
छायाकार | थीरू |
संगीतकार | नदीम-श्रवण |
वितरक | वीनस मूवीज |
प्रदर्शन तिथियाँ |
1 अगस्त, 2003 |
लम्बाई |
146 मिनट |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
लागत | ₹6 करोड़[1] |
कुल कारोबार | ₹20.2 करोड़[1] |
संक्षेप
संपादित करेंअंजलि (रिमी सेन) नौकरी की तलाश में मुंबई आती है, ताकि वो अपने परिवार को कर्ज से मुक्त कर सके और कर्जदाता के बेटे से उसे शादी न करनी पड़े। उसे शहर में नौकरी तो नहीं मिलती, पर पैसे खत्म होते चले जाते हैं। इस कारण वो कोई सस्ता रहने का मकान ढूंढते रहती है। वहीं, नंदू (आफताब शिवदासनी) एक संगीतकार बनने की चाह में मुंबई आता है, वो उस जगह के दूधवाले, भोलु (अमीन गज़ी) से मदद मांगता है। वो नंदू और अंजलि की सस्ते मकान किराये पर लेने में मदद करता है, पर दोनों ही एक दूसरे से मिले नहीं रहते हैं। मकान मालिक अपना मकान सिर्फ शादीशुदा लोगों को ही किराये देता है। वे दोनों मजबूरी में पति-पत्नी का नाटक कर मकान किराये में ले लेते हैं।
वहीं, जीतू (अक्षय खन्ना) अपना एक कंपनी खोलना चाहते रहता है, पर उसे पैसों की जरूरत होती है। वो अपने पिता से जब पैसे मांगता है, तो उसका पिता उसे मना तो करता ही है, साथ ही पैसों के लिए चोरी, डकेती या लूटपाट करने का आइडिया भी देता है। वो जब अपनी परेशानी अपने दोस्त अनिल (संजय नार्वेकर) को बताता है तो वो कहता है कि अमीर बनने का सबसे आसान तरीका किसी पैसे वाले इंसान की बेटी से शादी करना है। वो बताता है कि वो इस कारण ही कचरासेठ (शक्ति कपूर) की बेटी से शादी करने वाला है। वो अपने आप को अमीर दिखाने के लिए राधेश्याम तिवारी का बेटा बन जाता है और उस घर के नौकर, पांडु के साथ मिल कर ये खेल खेलता है। इस तरह कचरासेठ की बेटी के साथ उसकी सगाई हो जाती है। उसे लगता है कि शादी के बाद उसकी सच्चाई पता लगने पर उसका ससुर कुछ नहीं करेगा। वहीं अपने पिता के कहे अनुसार, जीतू अपने ही घर चोरी कर लेता है और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान खोल लेता है।
करोड़पति व्यापारी, राधेश्याम तिवारी (परेश रावल) गाँव में अपनी पत्नी अंजलि तिवारी (शोमा आनंद) के साथ गाँव की जिंदगी गुजारते रहता है। वो कुछ दिन शहर में गुजारने का फैसला करता है। जब पांडु को ये बात पता चलती है तो उसके तोते उड़ जाते हैं, और वो अनिल से भागने और कचरासेठ को शादी टालने के लिए कोई बहाना बनाने कहता है।
जब राधेश्याम मुंबई आता है तो नौकरी के तलाश में अंजलि उसके घर आती है, पर उसकी पत्नी उसे काम पर नहीं रखती, और वो राधेश्याम के वापस लौटने का इंतजार करते रहती है, कि तभी जीतू वहाँ आता है, उसे लगता है कि अंजलि उसकी बेटी है।
नौकरी न मिलने पर वो नौकरी की तलाश में जीतू के दुकान में आ जाती है, वो उसे तिवारी की बेटी सोच कर नौकरी में रख लेता है और सच्चाई पता लगने पर नौकरी हाथ से चले जाने के डर के कारण वो भी झूठ कायम रखती है। जीतू उसे कई बार तिवारी के घर छोड़ने जाते रहता है और कभी कभी उसके बारे में तिवारी से भी पुछने लगता है। तिवारी को लगने लगता है कि उसकी बीवी अंजलि और जीतू के बीच चक्कर चल रहा है, और वहीं उसकी पत्नी को लगता है कि उसके पति का किसी लड़की के साथ चक्कर चल रहा है।
नंदू को अंजलि से प्यार हो जाता है। इसी दौरान अंजलि को घर से खत मिलता है, जिसमें लिखा होता है कि कर्जदार का बेटा, राजा (राजपाल यादव) मुंबई आ रहा है। राजा अगले ही दिन आ जाता है और नंदू उसे अंजलि से मिलने से रोकने के लिए भोलु की मदद से राजा को डराने लगता है। राजा डर कर शहर छोड़कर भागने की सोचने लगता है।
पांडु और अनिल के फरार होने के बाद कचरा सेठ कई बार तिवारी के घर आता है और उससे उसके बेटे के बारे में पूछता है। तिवारी उससे कहता है कि उनका एक ही बेटा है, जो लंदन में पढ़ता है। उससे परेशान हो कर वो अपने बेटे को भी बुला लेता है, पर अब कचरासेठ उससे कहता है कि वो उसके दूसरे बेटे के बारे में बोल रहा है, इससे उन पति-पत्नी के बीच झगड़ा और बढ़ जाता है।
अब जीतू आ कर सीधे सीधे तिवारी से उसकी पत्नी, अंजलि का शादी के लिए हाथ मांगता है। वहीं कचरासेठ उसके लापता बेटे का पता पूछते रहता है। इसी दौरान नंदू की मकान मालकिन का दिल नंदू पे आ जाता है। बाद में सभी के सामने सारी सच्चाई आ जाती है।
अंत में जीतू और नंदू, दोनों ही अंजलि से प्यार का इकरार करते हैं, अब उसे दोनों में से किसी एक को चुनना होता है। वो कागज में उन दोनों का नाम लिख कर एक चिट उठाने कहती है। वो चिट जीतू उठाता है, उसमें नंदू लिखा होता है। इसके बाद नंदू और अंजलि जाते रहते हैं। जीतू वहाँ पड़े चिट को उठाता है तो उसमें फिर नंदू का नाम निकलता है, वो उसे भाग्यशाली समझ कर कुछ और चिट निकालता है, पर सभी में उसे नंदू ही लिखा मिलता है। वो समझ जाता है कि अंजलि को सिर्फ नंदू से प्यार है। वो उन दोनों को चिल्ला कर रोकता है और इशारे से बधाई देता है।
कलाकार
संपादित करें- मुख्य
- अक्षय खन्ना — जीतू
- आफ़ताब शिवदासानी — नंदू
- रिमी सेन — अंजलि
- अन्य
- परेश रावल — राधेश्याम तिवारी
- राजपाल यादव — राजा
- टीकू तलसानिया — पोपट सेठ, अंजलि और नंदू का मकान मालिक
- शक्ति कपूर — कचरा सेठ
- शोमा आनन्द — अंजलि तिवारी, राधेश्याम की बीवी
- नीना कुलकर्णी — रेणुका, जीतू की माँ
- उपासना सिंह — पोपट की बीवी
- मनोज जोशी — इंस्पेक्टर वाघमारे
- रज़ाक ख़ान — बाबू बिस्लेरी
- संजय नार्वेकर — अनिल
- विशेष उपस्थिती
- शान — 'चैन आपको मिला' गाने में स्वयं
- साधना सरगम — 'चैन आपको मिला' गाने में स्वयं
संगीत
संपादित करेंसभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत नदीम-श्रवण द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "चैन आपको मिला" | शान, साधना सरगम | 5:00 |
2. | "हम नहीं तेरे दुशमनों में" | अभिजीत, सोनू निगम, अलका याज्ञिक | 6:01 |
3. | "इश्क जब एक तरफ हो" (महिला संस्करण) | ऋचा शर्मा | 4:51 |
4. | "इश्क जब एक तरफ हो" (पुरुष संस्करण) | कुमार सानु | 4:51 |
5. | "परी परी है एक परी" | बाबुल सुप्रियो | 4:48 |
6. | "तेरा दिल मेरे पास" | उदित नारायण, अलका याज्ञिक | 4:51 |
7. | "हंगामा हंगामा हंगामा" | शान | 2:09 |
नामांकन और पुरस्कार
संपादित करेंवर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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2004 | परेश रावल | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार | नामित |