हरनौलगढ़ की लड़ाई
'हरनौलगढ़ की लड़ाई सिख साम्राज्य के सिख मिस्ल और पश्तून दुर्रानी साम्राज्य के बीच मई १७६२ में लड़ा गया था।
हरनौलगढ़ की लड़ाई | |||||||||
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योद्धा | |||||||||
सिख मिस्लें | दुर्रानी साम्राज्य | ||||||||
सेनानायक | |||||||||
जस्सा सिंह अहलुवालिया चरत सिंह |
अहमद शाह दुर्रानी ज़ैन खान सरहिंदी |
लड़ाई
संपादित करेंमई १७६२ में सिख मिस्लें इकट्ठे हुए और मुगल साम्राज्य के सरहिंद के गवर्नर, ज़ैन खान सरहिंदी का सामान लूट लिया।[2][3] इसके बाद सिख सेना ने दुर्रानी साम्राज्य के सेना पर हरनौलगढ़ में सरहिंद से ३० मील की दूरी पर आक्रमण किया और वहां एक भीषण लड़आई लड़ी। पश्तूनो को भगाकर हरनौलगढ़ में सिखों ने एक निर्णायक जीत हासिल की और सरहिंद के पराजित राज्यपाल ज़ैन खान सरहिंदी को ५०००० रुपये की श्रद्धांजलि देने के लिए मजबूर किया।[4]
संदर्भ
संपादित करें- ↑ Raj Pal Singh (2004). The Sikhs : Their Journey Of Five Hundred Years. Pentagon Press. पृ॰ 115. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9788186505465.
- ↑ Ganḍā, Singh (1959). Ahmad Shah Durrani: Father of Modern Afghanistan. Asia Pub. House. पृ॰ 285. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4021-7278-6. अभिगमन तिथि 2010-08-25.
- ↑ Bhagata, Siṅgha (1993). A History of the Sikh Misals. Publication Bureau, Punjabi University. पृ॰ 181.
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- ↑ Gupta, Hari Ram (2007). History of Sikhs Vol. 2 - Evolution of Sikh Confederacies (1707-69). Rani Jhansi Road, New Delhi, 110055: ||Munshiram Manoharlal Publishers Pvt. Ltd||. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-215-0248-1.सीएस1 रखरखाव: स्थान (link)