सिख साम्राज्य

भूतपूर्व सिख साम्राज्य

सिख साम्राज्य (पंजाबी: ਸਿੱਖ ਸਲਤਨਤ, सिख सल्तनत; साधारण नाम: खालसा राज) का उदय, उन्नीसवीं सदी की पहली अर्धशताब्दी में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तर में एक ताकतवर महाशक्ती के रूप में हुआ था। महाराज रणजीत सिंह के नेत्रित्व में उसने, स्वयं को पश्चिमोत्तर के सर्वश्रेष्ठ रणनायक के रूप में स्थापित किया था, जन्होंने खाल्सा के सिद्धांतों पर एक मज़बूत, धर्मनिर्पेक्ष हुक़ूमत की स्थापना की थी जिस की आधारभूमि पंजाब थी। सिख साम्राज्य की नींव, सन् १७९९ में रणजीत सिंह द्वारा, लाहौर-विजय पर पड़ी थी। उन्होंने छोटे सिख मिस्लों को एकत्रित कर एक ऐसे विशाल साम्राज्य के रूप में गठित किया था जो अपने चर्मोत्कर्ष पर पश्चिम में ख़ैबर दर्रे से लेकर पूर्व में पश्चिमी तिब्बत तक, तथा उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में मिथान कोट तक फैला हुआ था। यह १७९९ से १८४९ तक अस्तित्व में रहा था।

सरकार'ए खाल्सा
امپراطوری سیک
ਸਿੱਖ ਸਲਤਨਤ
सिख साम्राज्य

 

 

 

१७९९–१८४९
Flag कुलांक
राष्ट्रगान
देगो तेगो फ़तह
महाराजा रणजीत सिंह का साम्राज्य अपने शिखर पर
राजधानी लाहौर
भाषाएँ
धार्मिक समूह सिख धर्म, सनातन धर्म, इस्लाम, बौद्ध धर्म
शासन संघिय राजतंत्र
महाराजा
 -  1801–1839 रणजीत सिंह
 -  1839 खड़क सिंह
 -  1839–1840 नौनिहाल सिंह
 -  1840–1841 चंद कौर
 -  1841–1843 शेर सिंह
 -  1843–1849 दलीप सिंह
वज़ीर
 -  1799–1818 जमादार खुशल सिंह[2]
 -  1818–1843 धियान सिंह डोगरा
 -  1843–1844 हीरा सिंह डोगरा
 -  1844–1845 जवाहर सिंह औलाख
ऐतिहासिक युग प्रारंभिक आधूनिक काल
 -  रणजीत सिंह द्वारा लाहौर पर विजय 7 जुलाई १७९९
 -  द्वितीय आंग्ल-सिख युद्ध का अन्त 29 मार्च १८४९
मुद्रा नानकशाही रुपय
आज इन देशों का हिस्सा है:  अफ़ग़ानिस्तान
 चीन
 भारत
 पाकिस्तान
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महाराजा रणजीत सिंह

सन्दर्भसंपादित करें

  1. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 15 सितंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 नवंबर 2015.
  2. Grewal, J.S. (1990). The Sikhs of the Punjab. Cambridge University Press. पृ॰ 107. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0 521 63764 3. मूल से 24 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 April 2014.

इन्हें भी देखेंसंपादित करें