हरिचरण बोरो
हरिचरण बोरो बोडो भाषा के एक प्रसिद्ध लेखक थे। उन्हें उनके साहित्यिक योगदान के कारण 2012 में साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार प्रदान किया गया था।
हरिचरण बोरो | |
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जन्म | 01 अप्रेल 1946 |
मौत | नवम्बर 29, 2016 | (उम्र 70 वर्ष)
भाषा | बोडो |
निवास | बगनसाली, कोकराझार |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
विधा | बाल साहित्य |
खिताब | साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार, 2012 |
बच्चे | एक पुत्र |
जीवन
संपादित करेंबोरो का जन्म 01 अप्रेल 1946 को हुआ था। उन्होंने प्रारंभ में सिम्बारगाँव हाई स्कूल में पढ़ाया था, फिर वह असम राज्य के अर्थशास्त्र और सांख्यिकी विभाग में काम किए। सेवानिवृत्ति के समय वे विभाग के संयुक्त निर्देशक थे। बाद का समय उन्होंने अपनी भाषा बोडो के साहित्यिक योगदान में बिताया।[1]
कृतियाँ
संपादित करेंबोरो ने निम्न लिखित को लिखा था:
- अखराँगमा इसिनगाव (ब्रह्माण्ड में)
- इज़राईल
- इजिप्ट अरौ अरिमु (मिस्र का इतिहास और कला)
- पिरामिड
- ऐल्बर्ट आईंस्टाइन
- गुबुन हद्व्राव दावबैनाई (पर्यटन पर बोडो भाषा की एक आधुनिक किताब)[1]
पुरस्कार
संपादित करेंबोरो को अखराँगमा इसिनगाव (ब्रह्माण्ड में) के लिए 2012 में साहित्य अकादमी का बाल साहित्य पुरस्कार दिया गया।[1]
देहान्त
संपादित करेंहरिचरण बोरो का 29 नम्बर 2016 को देहान्त हुआ। उस समय उनके एक पुत्र उनके साथ थे। बोरो की पत्नी उनके जीवन में ही कोकराझार में एक बम धमाके में मारी गई थी।[1]