हरिकृष्ण जैन
हरिकृष्ण जैन (जन्म २८ मई १९३०) भारतीय कायटोजेनेटिक्स के विशेषज्ञ है। वे केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक रह चुके है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने, जो भारत की सर्वोच्च विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की अनुसंधान एवं विकास संबंधी संस्थान है, इन्हे १९६६ में जीव विज्ञान श्रेणी का शांति स्वरूप भटनागर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कार प्रदान किया।[1] इन्हे भारत सरकार ने १९८१ में चौथे उच्चतम नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानीत किया।
हरिकृष्ण जैन | |
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जन्म |
28 मई 1930 गुरुग्राम, हरियाणा, भारत |
आवास | भारत |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
संस्थान | |
शिक्षा | |
प्रसिद्धि |
कायटोजेनेटिक्स पौध प्रजनन आनुवंशिक पुनर्संयोजन |
उल्लेखनीय सम्मान |
1966 शांति स्वरूप भटनागर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पुरस्कार 1982 नॉर्मन बोरलॉग पुरस्कार 1986 ओम प्रकाश भसीन पुरस्कार |
जीवन
संपादित करेंजैन का जन्म २८ मई १९३० को हरियाणा राज्य के गुरुग्राम में हुआ। रामजस स्कूल, दिल्ली में उन्होंने अध्ययन किया और १९४७-४९ में वे दिल्ली विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की।[2]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Brief Profile of the Awardee: Dr Hari Krishan Jain". शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार. २० सितंबर २०१७. मूल से 13 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २० सितंबर २०१७.
- ↑ "Dr. Hari Krishan Jain - National Academy of Agricultural Sciences". राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी. अभिगमन तिथि २० सितंबर २०१७.[मृत कड़ियाँ]