हाइपरटेक्स्ट
हाइपरटेक्सट कंप्यूटर या किसी इलैक्ट्रॉनिक उपकरण में दिखाई देने वाला टेक्स्ट या पाठ है जिसका कि किसी अन्य पाठ से सन्दर्भ (हाइपरलिंक) जुड़ा रहता है, ताकि पाठक तुरंत उसतक पहुँच सकें। प्रायः ऐसा करने के लिए उसपर क्लिक किया जाता है या कुंजी दबाई जाती है। चालू पाठ के अलावा टेबलें, आकृतियाँ तथा अन्य प्रदर्शनात्मक युक्तियाँ भी हाइपरटेक्स्ट का काम कर सकती हैं। वर्ल्ड वाइड वेब की संरचना को परिभाषित करने में हाइपरटेक्स्ट मूल अवधारणा रही है।[1] यह इन्टर्नेट पर सूचना साझा करने का एक सुगम और लचीला प्रारूप है।
व्युत्पत्ति संपादित करें
उपसर्ग हाइपर- ग्रीक मूल के "υπερ-" से आया है, जिसका मतलब है ऊपर या परे। जो कि लिखित पाठ के रेखीय रूप की सीमा को पार करने का प्रतीक है। 1992 में, लेखक टेड नेल्सन, जिन्होंने 1963 में यह शब्द गढ़ा, ने यह लिखा:
अब तक हाइपरटेक्स्ट शब्द शब्द पाठ शाखायुक्त और प्रतिक्रियाकारी पाठ के लिए आमतौर पर स्वीकृत हो चुका है, लेकिन संगत शब्द हाइपरमीडिया, जिसका मतलब होता है शाखायुक्त और प्रतिक्रियाकारी ग्राफ़िक्स, चलचित्र, ध्वनि (और पाठ भी) बहुत कम प्रयुक्त होता है। इसके बदले वे अजीब सा पद "अन्तःक्रियाकारी मल्टीमीडिया (interactive multimedia)" प्रयोग करते हैं: यह चार शब्दांश बड़ा है और हाइपरटेक्सट के विस्तार के विचार को व्यक्त नहीं करता है।— Nelson, Literary Machines, 1992
आलोचक और सिद्धान्तप्रतिपादक संपादित करें
इत्यादि।
सन्दर्भ संपादित करें
- ↑ "Internet legal definition of Internet". West's Encyclopedia of American Law, edition 2. Free Online Law Dictionary. July 15, 2009. मूल से 8 सितंबर 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि November 25, 2008.
अधिक अध्ययन संपादित करें
- (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
- Bolter, Jay David (2001). Writing Space: Computers, Hypertext, and the Remediation of Print. New Jersey: Lawrence Erlbaum Associates. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-8058-2919-9.
- Buckland, Michael (2006). Emanuel Goldberg and His Knowledge Machine. Libraries Unlimited. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-31331-332-6.
- (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
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- Ensslin, Astrid (2007). Canonizing Hypertext: Explorations and Constructions. London: Continuum. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-8264-95583.
- Heim, Michael (1987). Electric Language: A Philosophical Study of Word Processing. New Haven: Yale University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-300-07746-7.
- Landow, George (2006). Hypertext 3.0 Critical Theory and New Media in an Era of Globalization: Critical Theory and New Media in a Global Era (Parallax, Re-Visions of Culture and Society). Baltimore: The Johns Hopkins University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-8018-8257-5.
- Nelson, Theodor H. (September 1965). "Complex information processing: a file structure for the complex, the changing and the indeterminate". ACM/CSC-ER Proceedings of the 1965 20th national conference. http://portal.acm.org/citation.cfm?id=806036.
- (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
- Nelson, Theodor H. (1973). "A Conceptual framework for man-machine everything". AFIPS Conference Proceedings VOL. 42. pp. M22–M23.
- Nelson, Theodor H. (1992). Literary Machines 93.1. Sausalito CA: Mindful Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-89347-062-7.
- (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
- (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
External links संपादित करें
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- Hypertext: Behind the Hype
- Reviving Advanced Hypertext (whether and how concepts from hypertext research can be used on the Web)
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