हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी
हाफ़िज़ महमूद ख़ान शीरानी (1880 - 1946, नस्तालीक़: حافظ محمود خان شیرانی) बर्तानवी काल के एक भारतीय शोधकर्ता और कवि थे।[1] 1921 में उन्होंने इस्लामिया कॉलेज, लाहौर में उर्दू भाषा का शिक्षण देना शुरू किया था।[2] 1928 में वे वहाँ से ओरिएंटल कॉलेज, लाहौर आए। वे अपनी शोधपुस्तक "पंजाब में उर्दू" के लिए प्रसिद्ध है। उर्दू का मशहूर शायर अख़्तर शीरानी इनका पुत्र है।
उर्दू के उद्भव के बारे में सिद्धांत
संपादित करेंहाफ़िज़ महमूद शीरानी ने सिद्धांत दिया कि उर्दू का जन्म पंजाब में हुआ था। उनका कहना था कि महमूद ग़ज़नवी ने लाहौर पर क़ब्ज़ा किया और सिर्फ़ लगभग 200 साल के बाद ही दिल्ली पर मुसलमानों का क़बज़ा हुआ। उनके मुताबिक़ उर्दू का जन्म इसी काल में शुरू हुआ और एक तरीक़े से यह उर्दू का जन्म पंजाबी भाषा में से हुआ था। इसके साथ ही उन्होंने पंजाबी और उर्दू में समानताओं का ज़िक्र किया था।[3]
प्रख्यात भाषाविद् मसूद हुसैन ख़ान ने इस सिद्धांत को ग़लत सिद्ध किया। उनका कहना था कि दोनों भाषाओं में कुछ समानताएँ मौजूद होने के बावजूद इनमें कई ज़्यादा वाक्यविन्यास और रूपात्मक भिन्नताएँ मौजूद है। इसलिए उन्होंने यह सिद्ध किया कि पंजाबी उर्दू की माँ नहीं है।
देहांत
संपादित करेंअपने मूल शहर टोंक में ही उनका देहांत हुआ।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Internet archive books. "Punjab Mein Urdu Hafiz Mehmood Khan Shirani".
- ↑ By Mohan Lal. Encyclopaedia of Indian Literature: Sasay to Zorgot. Sahitya Akademi. पृ॰ 4020.
- ↑ Dildār ʻAlī Farmān Fatiḥpūrī, Dild−ar ʻAl−i Farm−an Fatiḥp−ur−i. Pakistan movement and Hindi-Urdu conflict. Sang-e-Meel Publications, 1987 - Foreign Language Study - 406 pages. पृ॰ Page 24.
बाहरी कड़ियाँ
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