हिन्दी सेवी सम्मान योजना
हिंदी सेवी सम्मान योजना का आरम्भ 1989 में आगरा स्थित केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा की गई थी। प्रतिवर्ष हिंदी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए सात विभिन्न श्रेणियों में 14 विद्वानों को ये सम्मान दिया जाता है। सम्मानस्वरूप एक लाख रुपया और प्रमाणपत्र भेंट किया जाता है।
पुरस्कार | क्षेत्र | संख्या |
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गंगाशरण सिंह पुरस्कार | हिंदी प्रचार-प्रसार एवं हिंदी प्रशिक्षण | 4 |
गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार | हिंदी पत्रकारिता तथा रचनात्मक साहित्य | 2 |
आत्माराम पुरस्कार | वैज्ञानिक एवं तकनीकी साहित्य तथा उपकरण विकास के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए | 2 |
सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार | हिंदी के विकास से संबधित सर्जनात्मक / आलोचनात्मक क्षेत्रों में उल्लेखनीय सेवाओं के लिए | 2 |
महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार | हिंदी में खोज और अनुसंधान करने तथा यात्रा आदि के लिए | 2 |
डॉ॰ जॉर्ज ग्रियर्सन पुरस्कार | विदेशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय कार्य के लिए | 1 |
पद्मभूषण डॉ॰ मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार | भारतीय मूल के विद्वानों को विदेशों में हिंदी प्रचार-प्रसार में उल्लेखनीय कार्य के लिए | 1 |
पुरस्कृत विद्वानों को संस्थान की ओर से भारत के राष्ट्रपति द्वारा एक लाख रुपए, शॉल तथा प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाता है। सन् 1989 से 2011 तक इस योजना के अंतर्गत कुल 332 विद्वानों को सम्मानित किया जा चुका है।[1]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "हिंदी सेवी सम्मान योजना". मूल से 4 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अप्रैल 2016.