हिन्दू विधि
ऐतिहासिक सन्दर्भ में हिन्दू विधि (Hindu Law) से आशय कानूनों से है जो ब्रिटिशकालीन भारत में हिन्दुओं, बौद्धों, जैनों, और सिखों पर लागू होते थे।[1][2][3] किन्तु 'हिन्दू विधि' का सामान्य अर्थ प्राचीन एवं मध्यकालीन भारत ग्रन्थों में पाए जाने वाले विधिक सिद्धान्तों, न्यायशास्त्र एवं विधि की प्रकृति से है।[4] यह विश्व की प्राचीनतम न्याशास्त्र-सिद्धान्तों में से एक है। [4][5]
प्राचीन भारतीय साहित्य में कनून या विधि के लिए 'धर्म' शब्द का उपयोग होता था जो 'कानून' की अपेक्षा अधिक व्यापक था। वस्तुतः "हिन्दू विधि" या 'हिन्दू लॉ' शब्द उपनिवेशी शासन की देन है।[6] इसकी शुरुआत १७७२ ई में तब हुई जब ब्रिटिश अधिकारियों ने यह निर्णय लिया कि भारत में 'कॉमन लॉ' लगाने के बजाय हिन्दुओं के लिए हिन्दू विधि और मुसलमानों के लिए मुस्लिम विधि' (शरियत) लागू की जाएगी। [7][8]
इस प्रकार हिन्दू विधि का अध्ययन निम्नलिखित तीन शीर्षकोंके अन्तर्गत किया जा सकता है-
- शास्त्रीय हिन्दू विधि (क्लासिकल हिन्दू लॉ)
- आंग्ल-हिन्दू विधि (ऐंग्लो-हिन्दू लॉ)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ William Musyoka (2010), A Casebook on the Law of Succession, ISBN 978-9966744852, page 12
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नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ Werner Menski (2003), Hindu Law: Beyond tradition and modernity, Oxford University Press, ISBN 978-0-19-569921-0, Chapter 1
- ↑ अ आ सन्दर्भ त्रुटि:
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का गलत प्रयोग;donalddavisjuris
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ सन्दर्भ त्रुटि:
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नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है। - ↑ P Bilimoria (2011), The Idea of Hindu Law, Journal of the Oriental Society of Australia, Volume 43, pages 103-130
- ↑ Ludo Rocher (1978), Hindu Conceptions of Law, Hastings Law Journal, Volume 29, pages 1283-1297
- ↑ Marc Gaborieau (June 1985). "From Al-Beruni to Jinnah: Idiom, Ritual and Ideology of the Hindu-Muslim Confrontation in South Asia". Anthropology Today. 1 (3): 7–14. JSTOR 3033123. डीओआइ:10.2307/3033123.