हींग
हींग (अंग्रेजी: Asafoetida) सौंफ़ की प्रजाति का एक ईरान मूल का पौधा (ऊंचाई 1 से 1.5 मी. तक) है। ये पौधे भूमध्यसागर क्षेत्र से लेकर मध्य एशिया तक में पैदा होते हैं। भारत में यह कश्मीर और पंजाब के कुछ हिस्सों में पैदा होता है। हींग एक बारहमासी शाक है। इस पौधे के विभिन्न वर्गों (इनमें से तीन भारत में पैदा होते हैं) के भूमिगत प्रकन्दों व ऊपरी जडों से रिसनेवाले शुष्क वानस्पतिक दूध को हींग के रूप में प्रयोग किया जाता है। कच्ची हींग का स्वाद लहसुन जैसा होता है, लेकिन जब इसे व्यंजन में पकाया जाता है तो यह उसके स्वाद को बढा़ देती है। इसे संस्कृत में 'हिंगु' कहा जाता है।
हिंग का पौंधा | |
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Ferula scorodosma syn. हींग | |
वैज्ञानिक वर्गीकरण | |
जगत: | Plantae |
विभाग: | Magnoliophyta |
वर्ग: | Magnoliopsida |
गण: | Apiales |
कुल: | Apiaceae |
वंश: | Ferula |
जाति: | F. assafoetida |
द्विपद नाम | |
Ferula assafoetida L. |
हींग दो प्रकार की होती हैं- एक हींग काबूली सुफाइद (दुधिया सफेद हींग) और दूसरी हींग लाल। हींग का तीखा व कटु स्वाद है और उसमें सल्फर की मौजूदगी के कारण एक अरुचिकर तीक्ष्ण गन्ध निकलता है। यह तीन रूपों में उपलब्ध हैं- 'टियर्स ' , 'मास ' और 'पेस्ट'। 'टियर्स ', वृत्ताकार व पतले, राल का शुध्द रूप होता है इसका व्यास पाँच से 30 मि.मी. और रंग भूरे और फीका पीला होता है। 'मास' - हींग साधारण वाणिज्यिक रूप है जो ठोस आकारवाला है। 'पेस्ट ' में अधिक तत्व मौजूद रहते हैं। सफेद व पीला हींग जल विलेय है जबकि गहरे व काले रंग की हींग तैल विलेय है। अपने तीक्ष्ण सुगन्ध के कारण शुद्ध हींग को पसंद नहीं किया जाता बल्कि इसे स्टार्च ओर गम (गोंद) मिलाकर संयोजित हींग के रूप में, ईंट की आकृति में बेचा जाता है। यह पहली बार भारत के हिमांचल प्रदेश में इसकी खेती की जाएगी।। [1]
उपयोग
संपादित करेंहींग का उपयोग करी, सॉसों व अचारों में सुगन्ध लाने के लिए होता है। इसके प्रतिजैविकी गुण के कारण इसे दवाइयों में भी प्रयुक्त किया जाता है।
भारतीय नाम
संपादित करेंहिन्दी - हींग, बंगला - हींग, गुजराती - हींग, कन्नड - हींगर, कश्मीरी - यांग, साप ; मलयालम- कायम , मराठी - हींग, उडिया - हेंगु, तेलुगु - इंगुवा, उर्दू - हींग, संस्कृत -हिंगु
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ हींग Archived 2016-06-13 at the वेबैक मशीन (मसाला बोर्ड)
बाहरी कड़ियाँ
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