हृदय रोग या हृदयनलिका रोग ऐसे रोगों का एक समूह है, जो हृदय या रक्त नलिकाओं (धमनियां और शिराएं) को ग्रस्त करते हैं.[1] हालांकि इस शब्द का संबंध ऐसे किसी भी रोग से है जो हृदयनलिका तंत्र (MeSH C14 में प्रयोग) को प्रभावित करता हो, सामान्यतः इसका प्रयोग मेदकाठिन्य या एथेरोस्क्लेरोसिस (धमनी के रोग) से संबंधित रोगों के लिये किया जाता है. इन तंत्र और उपचार शर्तों के समान होता है.

Cardiovascular disease
वर्गीकरण एवं बाह्य साधन
सूक्ष्मछवि के दिल साथ में फाइब्रोसिस (पीला) तथा अमाइलॉइड (भूरा). मूवमेंट का दाग
आईसीडी-१० I51.6
डिज़ीज़-डीबी 28808
एम.ईएसएच D002318

व्यवहार में, हृदयनलिका रोग का उपचार हृदयरोगतज्ञों, वक्ष के शल्यचिकित्सकों, रक्तनलिकाओं के शल्यचिकित्सकों, नाड़ीरोगतज्ञों और व्यवधानी रेडियोलाजिस्टों द्वारा किया जाता है, जिनका कार्यक्षेत्र उपचाराधीन अवयव तंत्र पर निर्भर करता है. विभिन्न विशेषज्ञताओं के बीच काफी आपसी आच्छादन होता है और यह आम बात है कि एक ही अस्पताल में कतिपय प्रक्रियाएं भिन्न प्रकार के विशेषज्ञों द्वारा की जाती हैं.

अधिकांश देश हृदयनलिका रोग की उच्च और बढ़ती दरों का सामना कर रहे हैं. प्रति वर्ष कैंसर की अपेक्षा हृदय रोग से कहीं अधिक अमेरिकियों की मृत्यु होती है. पिछले कुछ वर्षों में स्त्रियों में हृदयनलिका रोग का जोखम बढ़ने लगा है और स्तन कैंसर की अपेक्षा अधिक स्त्रियों की मृत्यु इससे हुई है.[2] एक बड़े ऊतकवैज्ञानिक अध्ययन (पीडीएवाई) में देखा गया है कि रक्तनलिकीय विक्षति किशोरवय से जमा होती रहती है, जिससे प्राथमिक रोकथाम के प्रयास बाल्यावस्था से ही किया जाना आवश्यकता हो गया है.[3][4]

जिस समय तक हृदय की समस्याओं का पता चलता है, इसका मूल कारण (मेदकाठिन्य) सामान्यतः काफी बढ़ चुका होता है, क्योंकि वह कई दशकों से उन्नत हो रहा होता है. इसलिये, मेदकाठिन्य की रोकथाम के लिये जोखम कारकों में फेर-बदल लाने पर जोर दिया जा रहा है, जैसे, स्वस्थ भोजन और व्यायाम करके तथा धूम्रपान का त्याग करके.


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रोग-शरीरक्रियाविज्ञान

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युवा जनसमुदाय पर आधारित अध्ययनों में पाया गया है कि, हृदय रोग के पूर्वगामी किशोरावस्था में प्रारंभ होते हैं. मेदकाठिन्य की प्रक्रिया कई दशकों में विकसित होती है और बचपन में ही शुरू हो जाती है. युवाओं में मेदकाठिन्य के रोगजीववैज्ञानिक नियामकों के अध्ययन में देखा गया कि 7-9 वर्षों के युवाओं की सभी महाधमनियों और आधी से अधिक दायीं करोनरी धमनियों में अंतःस्तर की विक्षतियां प्रकट होने लगती हैं. फिर भी अधिकांश किशोर अन्य जोखमों जैसे, एचआईवी, दुर्घटनाओं और कैंसर के बारे में हृदयनलिका रोग की अपेक्षा अधिक चिंतित रहते हैं.[5]

यह बात का अत्यंत महत्वपूर्ण इसलिये है क्यौंकि हर 3 में से 1 लोग मेदकाठिन्य से उत्पन्न समस्याओं से मर जाते हैं. हृदयनलिका रोग की लहर को रोकने के लिये, प्राथमिक रोकथाम की आवश्यकता है. प्राथमिक रोकथाम इस बात की शिक्षा और जागृति से शुरू होती है कि हृदयनलिका रोग सबसे बड़ा खतरा है और इस रोग की रोकथाम के उपाय किये जाने चाहिये.

संबंधित नैदानिक मार्कर

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  • कम-घनत्व वाले लाइपोप्रोटीन
  • लाइपोप्रोटीन (ए)
  • एपोलाइपोप्रोटीन ए1
  • एपोलाइपोप्रोटीन बीएचओ (Bho)

कुछ बायोमार्कर हृदयनलिका रोग के अधिक विस्तृत जोखम प्रस्तुत करते माने जाते हैं. फिर भी, इन बायोमार्करों का नैदानिक मूल्य संदेहास्पद है.[6] फिलहाल, हृदयनलिका रोग के अधिक जोखम के बारे में सूचित करने वाले बायोमार्करों में शामिल हैं:

  • फाइब्रिनोजन और पीएआई-1 के रक्त में उच्च स्तर
  • होमोसिस्टीन के बढ़े हुए या सामान्य के ऊपरी आधे से भी अधिक स्तर
  • असमरूपी डाईमिथाइलआर्जीनीन के बढ़े हुए रक्त स्तर
  • सी-रिएक्टिव प्रोटीन से मापा गया उच्च शोथ
  • ब्रेन नैट्रियूरेटिक पेप्टाइड के बढ़े हुए रक्त स्तर (बी-टाइप के नाम से भी जाने गए) (बीएनपी (BNP))[7]

सबूतों से पता चला है कि भूमध्यसागरीय आहार हृदयनलिका रोगों के परिणामों को बेहतर बनाता है.[8] 2010 तक की स्थिति में विटामिनों को किसी भी तरह से हृदयनलिका रोग की रोकथाम में प्रभावकारी नहीं पाया गया है.[9]

मेदकाठिन्य को ठीक करने या उसकी रोकथाम करने के लिये फेर-बदल करने योग्य जोखम कारकों में शामिल हैं – सब्जियों से प्राप्त रेशों से भरा लेकिन संतृप्त वसा और कॉलेस्ट्राल की कम मात्रा वाला आहार, तंबाखू के सेवन से परहेज और अप्रत्यक्ष धूम्रपान से बचाव, रक्तचाप के बढ़े होने पर उच्चरक्तचाप विरोधी औषधियों से उसे कम करना, मधुमेह का कड़ा नियंत्रण, यदि वजन अधिक हो या मोटापा हो तो बीएमआई में कमी लाना, दैनिक गतिविधि को 30 मिनट के मध्यम से प्रबल व्यायाम तक बढ़ाना और दिन ब दिन के जीवन में भावनात्मक दबाव को कम करना. (स्रोत: www.americanheart.org, www.world-heart-federation.org/cardiovascular-health/cardiovascular-disease-risk-factors/)

हृदयनलिका रोग का उपचार संभव है और प्रारंभिक इलाज प्राथमिक रूप से आहार और जीवनशैली में व्यवधानों पर केन्द्रित होता है. [10] [11] [12]रोकथाम में दवाइयां भी उपयोगी हो सकती हैं.

जानपदिकरोगविज्ञान

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2004 में हृदय रोगों के लिए डिसैब्लिटी-एड्जस्टेड जीवन वर्ष प्रति 100.000 निवासी.[13][28][29][30][31][32][33][34][35][36][37][38][39][40]

हृदयनलिका स्वास्थ्य पर पहले अध्ययन 1949 में जेरी मॉरिस द्वारा व्यावसायिक स्वास्थ्य की जानकारी का प्रयोग करके किये गए और 1958 में प्रकाशित हुए.[14] सभी प्रकार के हृदयनलिका रोगों के कारण, रोकथाम और या उपचार जैवचिकित्सा शोध के सक्रिय क्षेत्र रहे हैं और सैकड़ों वैज्ञानिक अध्ययनों का प्रकाशन हर सप्ताह किया जा रहा है. विशेषकर 2000 के दशक में एक प्रवृति उभरी है, जिसमें असंख्य अध्ययनों में फास्ट फुड और हृदय रोग में वृद्धि के बीच संबंध दर्शाया गया है. इन अध्ययनों में रयान मैकी मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, हार्वर्ड युनिवर्सिटी और सिडनी सेंटर फार कार्डियोवैस्कुलार हैल्थ द्वारा किये गए अध्ययन शामिल हैं. अनेक प्रमुख फास्ट फुड श्रंखलाओं ने, खासकर मैकडोनाल्ड्स ने इन विधियों का विरोध किया है और अधिक स्वास्थ्यकर मीनू विकल्प पेश करके अपनी प्रतिक्रिया जताई है.

हाल ही में मेदकाठिन्य में होने वाले कम-दर्जे के शोथ और इसके संभावित व्यवधानों के बीच संबंध पर जोर दिया गया है. सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी (CRP)) एक आम शोथजन्य मार्कर है जिसके बढ़े हुए स्तर हृदयनलिका रोग के जोखम से ग्रस्त रोगियों में पाए गए हैं.[15] साथ ही आस्टियोप्रोटेजेरिन भी एक मार्कर है, जो 20447527 </ref> नामक एक मुख्य शोथकारक ट्रांसक्रिप्शन कारक के नियमन में भाग लेता है.

वर्तमान में शोध किये जाने वाले कुछ क्षेत्रों में क्लेमाइडोफाइला निमोनिये से संक्रमण और करोनरी धमनी रोग के बीच संभावित कड़ियां शामिल हैं. क्लेमाइडिया कड़ी की संभावना एंटीबायोटिक प्रयोग के बाद सुधार न होने से कम हो गई है.[16]

इन्हें भी देखें

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  • शराब और हृदय रोग
  • ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन
  • कार्डीओवैस्क्यलर सेल थेरेपी अनुसंधान नेटवर्क (सीसीटीआरएन (CCTRN))
  • स्वास्थ्य कनाडा सोडियम कार्यकारी समूह
  • दिल की विफलता
  • हार्टस्कोर
  1. Maton, Anthea (1993). Human Biology and Health. Englewood Cliffs, New Jersey: Prentice Hall. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-13-981176-1.
  2. United States (1999). "Chronic Disease Overview". United States Government. गायब अथवा खाली |url= (मदद)
  3. Rainwater DL, McMahan CA, Malcom GT; एवं अन्य (1999). "Lipid and apolipoprotein predictors of atherosclerosis in youth: apolipoprotein concentrations do not materially improve prediction of arterial lesions in PDAY subjects. The PDAY Research Group". Arterioscler Thromb Vasc Biol. 19 (3): 753–61. PMID 10073983. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)[मृत कड़ियाँ]
  4. McGill HC, McMahan CA, Zieske AW; एवं अन्य (2000). "Associations of coronary heart disease risk factors with the intermediate lesion of atherosclerosis in youth. The Pathobiological Determinants of Atherosclerosis in Youth (PDAY) Research Group". Arterioscler Thromb Vasc Biol. 20 (8): 1998–2004. PMID 10938023. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)[मृत कड़ियाँ]
  5. Vanhecke TE, Miller WM, Franklin BA, Weber JE, McCullough PA (2006). "Awareness, knowledge, and perception of heart disease among adolescents". Eur J Cardiovasc Prev Rehabil. 13 (5): 718–23. PMID 17001210. डीओआइ:10.1097/01.hjr.0000214611.91490.5e. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  6. Wang TJ, Gona P, Larson MG, Tofler GH, Levy D, Newton-Cheh C, Jacques PF, Rifai N, Selhub J, Robins SJ, Benjamin EJ, D'Agostino RB, Vasan RS (2006). "Multiple biomarkers for the prediction of first major cardiovascular events and death". N. Engl. J. Med. 355 (25): 2631–billy bob joe9. PMID 17182988. डीओआइ:10.1056/NEJMoa055373.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  7. Wang TJ, Larson MG, Levy D; एवं अन्य (2004). "Plasma natriuretic peptide levels and the risk of cardiovascular events and death". N Engl J Med. 350 (7): 655–63. PMID 14960742. डीओआइ:10.1056/NEJMoa031994. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  8. Walker C, Reamy BV (2009). "Diets for cardiovascular disease prevention: what is the evidence?". Am Fam Physician. 79 (7): 571–8. PMID 19378874. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  9. "Vitamins and minerals: not for cancer or cardiovascular prevention". Prescrire Int. 19 (108): 182. 2010. PMID 20939459. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)
  10. Ornish, Dean; एवं अन्य (1990). "'Can lifestyle changes reverse coronary heart disease?' The Lifestyle Heart Trial". Lancet. 336 (8708): 129–33. PMID 1973470. डीओआइ:10.1016/0140-6736(90)91656-U. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद); Explicit use of et al. in: |author= (मदद)
  11. Ornish, D., Scherwitz, L. W., Doody, R. S., Kesten, D., McLanahan, S. M., Brown, S. E.; एवं अन्य (1983). "Effects of stress management training and dietary changes in treating ischemic heart disease". JAMA. 249 (54): 54. डीओआइ:10.1001/jama.249.1.54. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  12. Ornish, D., Scherwitz, L. W., Billings, J. H., Brown, S. E., Gould, K. L., Merritt, T. A.; एवं अन्य (1998). "Intensive lifestyle changes for reversal of coronary heart disease". JAMA. 280 (280): 2001. PMID 9863851. डीओआइ:10.1001/jama.280.23.2001. Explicit use of et al. in: |author= (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  13. [27]
  14. जे.एन. मॉरिस और मार्गरेट डी. करौफोर्ड द्वारा कोरोनरी हृदय रोग और फिजिकल एक्टिविटी ऑफ़ वर्क, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल 1958 ; 2(5111): 1485–1496 [1] Archived 2013-08-01 at आर्काइव डॉट टुडे
  15. PMID:20024640
  16. Andraws R, Berger JS, Brown DL (2005). "Effects of antibiotic therapy on outcomes of patients with coronary artery disease: a meta-analysis of randomized controlled trials". JAMA. 293 (21): 2641–7. PMID 15928286. डीओआइ:10.1001/jama.293.21.2641. नामालूम प्राचल |month= की उपेक्षा की गयी (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)

बाहरी कड़ियाँ

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सूचनात्मक

सार्वजनिक सूचना

साँचा:Certain conditions originating in the perinatal period