हेनरिक पोंटोपिदां
नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार
हेनरिक पोंटोपिदां (1857-1943) स्वीडिश उपन्यासकार एवं कहानीकार थे। 1917 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता।
हेनरिक पोंटोपिदां | |
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जन्म | 24 जुलाई, 1857 फ्रेडरिका, जटलैण्ड |
मौत | 21 अगस्त, 1943 ई०[1] |
पेशा | साहित्य |
राष्ट्रीयता | डेनिश |
काल | आधुनिक |
विधा | उपन्यास, कहानी |
जीवन-परिचय
संपादित करेंहेनरिक पोंटोपिदां का जन्म 24 जुलाई, 1857 ई० में जटलैंड के फ्रेडरिका नामक स्थान में हुआ था। उनके पितामह और पिता पादरी रह चुके थे। आरंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने कोपेनहेगेन में पॉलिटेक्निक स्कूल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।
रचनात्मक परिचय
संपादित करेंपोंटोपिदां की रचनाओं में डेनमार्क के ग्राम्य जीवन का सुंदर चित्रण है। महायुद्ध के दिनों में लिखे गये 'मृतकों का साम्राज्य' में देशभक्ति के साथ-साथ एक विशेष आदर्श के प्रति निष्ठा उत्पन्न करके युद्ध से विरक्ति का संदेश है। पोंटोपिदां ने डेनमार्क के ग्रामों और नगरों का इतना तथ्यपूर्ण और सजीव चित्रण किया है कि उन्हें साहित्य जगत में डेनिश जीवन का फोटोग्राफर कहा जाता है।[2]
प्रकाशित पुस्तकें
संपादित करें- दि प्रामिस्ड लैंड
- लकी पीटर
- मृतकों का साम्राज्य
- दि अपाथेकैरीज़ डाॅटर
- क्लिप्ड विंग्स
- इमैनुएल
- चिल्ड्रन ऑफ दि स्वायल
सन्दर्भ
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंहेनरिक पोंटोपिदां से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |