ओष्ठ या ओठ मनुष्य तथा कई अन्य जंतुओं के मुँह का बाहरी दिखने वाला भाग होता है। वे कोमल, लचीले तथा चलायमान होते हैं और आहार ग्रहण छिद्र (मुँह) का द्वार होते हैं। इसके अलावा वह ध्वनि का उच्चारण करने में सहायक हैं जिसके कारण मनुष्य गले से निकली ध्वनि को वार्तालाप में परिवर्तित कर पाने में सक्षम हो सका है।[1] मनुष्यों में ओष्ठ्य स्पर्श संवेदी अंग होता तथा पुरुष तथा नारी के अंतरंग समय में कामुकता बढ़ाने का काम भी करता है।

ओष्ठ
धमनी inferior labial, superior labial
शिरा inferior labial, superior labial
तंत्रिका frontal, infraorbital

रचना संपादित करें

ओष्ठ दो भागों में विभाजित होता है-ऊपरी होंठ और निचला ओष्ठ। विज्ञान की भाषा में इनको क्रमशः लेबिअम सुपीरिअस ऑरिस तथा लेबिअम इन्फ़ीरिअस ऑरिस भी कहा जाता है। जिस हिस्से में होंठ त्वचा के साथ मिलते हैं उस हिस्से को वर्मिलियन बॉर्डर कहते है। उसी प्रकार होंठों की लाल खाल को वर्मिलियन ज़ोन कहलाता है। यही वर्मिलियन ज़ोन मुँह के अन्दर की श्लेष्मी झिल्ली और शरीर के ऊपर की त्वचा के बीच का परिवर्तन क्षेत्र है।[1] होंठों में न तो बाल होते हैं और न ही पसीने की ग्रन्थियाँ। इसलिए उन्हें पसीने तथा शारीरिक तैल की सुरक्षा नहीं मिल पाती जिससे वह अपनी ऊपरी सतह को चिकना रख सकें, तापमान नियंत्रित कर सकें तथा रोगाणुओं से बच सकें। इसी कारणवश होंठ जल्दी सूख जाते हैं और कट-फट जाते हैं।

ज्योतिष शास्त्र में संपादित करें

हमारे ज्योतिष शास्त्र भी होंठ को अहमियत दी गई है। ज्योतिषी व्यक्ति के होंठों को देखकर उसके व्यक्तित्व के बारे में जान लेते हैं।[2]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "lips (anatomy)". Encyclopædia Britannica©. मूल से 14 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २० जुलाई २०१२.
  2. "साहसी व स्‍वस्‍थ्‍य होते हैं लाल होंठ वाले पुरुष". One India Hindi. ०६ नवम्बर २०११. मूल से 22 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि २० जुलाई २०१२. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)