होक्काइदो (जापानी: 北海道) जापान का दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है और जापान के प्रान्तों में से सबसे बड़ा तथा सबसे उत्तरी प्रांत है। यह होन्शू द्वीप से उत्तर में है और इन दोनों के बीच त्सुगारू जलडमरू का समुद्री क्षेत्र आता है।[1] आधुनिक काल में इन दोनों द्वीपों के बीच समुद्र के फ़र्श के नीचे से निकलने वाली सेइकान सुरंग है जिसमें एक रेलमार्ग बना हुआ है। होक्काइदो का सब से बड़ा शहर सप्पोरो (札幌市) उसकी राजधानी भी है।

होक्काइदो का नक़्शा
मध्य होक्काइदो में स्थित शोवा-शिंज़न ज्वालामुखीय चट्टान
सप्पोरो हिम त्यौहार के दौरान ओदोरी उद्यान का दृश्य

होक्काइदो का कुल क्षेत्रफल ८३,४५३ वर्ग कि॰मी॰ है (यानि लगभग भारत के अरुणाचल प्रदेश राज्य के बराबर और सन् २०१० में इसकी आबादी ५५,०७,४५६ थी।[2] इसपर ६८ ज़िले स्थित हैं।

होक्काइदो पर आइनू, गिलयक और ओरोक जातियों के पूर्वज लगभग २०,००० वर्ष पूर्व आकर बस गए थे। ऐतिहासिक रूप से इस द्वीप का सबसे पहला ज़िक्र सन् ७२० ईसवी में पूरी की गई "निहोन शोकी" (日本書紀, अर्थ: "जापान के इतिहास-वृत्तांत") नामक ग्रन्थ में मिलता है। इस पुस्तक में होन्शू से बड़ी सेना लेकर आबे नो हिराफ़ू (阿部 比羅夫) नाम का एक राज्यपाल वातारिशिमा नामक स्थान पर गया और वहाँ उसका पाला एमिशी नामक जाति से पड़ा। बहुत से इतिहासकारों का मानना है कि वातारिशिमा वास्तव में होक्काइदो था और एमिशी लोग आधुनिक आइनू जाति के पूर्वज थे। धीरे-धीरे जापान के लोग होक्काइदो जाकर बसने लगे। आइनूओं और उनमें झड़पें हुई और जापानी जीतते गए। जापानियों ने आइनूओं को एक ज़मीनदारी व्यवस्था में निचले दर्जे पर कर दिया। १६६९-१६७२ के काल में शाकुशाइन नामक मुखिये के नेतृत्व में आइनूओं ने विद्रोह किया जो कुचला गया।

इस काल में रूस पूर्वी दिशा में फैलकर साइबेरिया का मालिक हो गया और होक्काइदो से उत्तर में स्थित कमचातका प्रायद्वीप पर भी आ गया। जापान को इस से ख़तरा लगा और होक्काइदो पर जापानी की केन्द्रीय सरकार ने अपना नियंत्रण बढ़ा दिया। उस समय होक्काइदो को ऍज़ोची बुलाया जाता था। १८६८ में एक जापानी गुट ने इसे "ऍज़ो गणराज्य" के नाम से स्वतन्त्र घोषित कर दिया लेकिन मई १८६९ में इस प्रयास को कुचल दिया गया। रूस का ख़तरा देखते हुए जापान ने ऍज़ोची पर अपना क़ब्ज़ा संगठित करने की ठानी। इसमें कुछ अमेरिकी कृषि विशेषज्ञों की भी मदद ली गई। १८७० से १८८० के दशक में इस द्वीप में बहुत जापानी आ बसे और द्वीप की जनसंख्या ५८,००० से बढ़कर २४०,००० हो गई। १८६८ में बहाल हुई मेइजी सरकार ने इस द्वीप को नया नाम देने की सोची। कई नाम प्रस्तावित हुए, लेकिन "होक्काइदो" चुना गया, जिसका अर्थ "उत्तरी घेरा" था।[1]

विश्वविद्यालय 

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होक्काइदो जापान के सुदूर उत्तर में स्थित है और रूस के समीप है। इसके तट प्रशांत महासागर, ओख़ोत्स्क सागर और जापान सागर से मिलते हैं। द्वीप के केंद्र में बहुत से पहाड़ और ज्वालामुखीय पठार हैं जो ढलान के बाद तटवर्ती मैदान बन जाते हैं। इसके उत्तर में कुरील द्वीप समूह स्थित है। होक्काइदो दुनिया का २१वा सब से बड़ा द्वीप है।

होक्काइदो ग्रीष्मऋतु में काफ़ी ठंडा रहता है और इसकी शीतऋतु बहुत सर्द होती है। अगस्त के महीने का औसत तापमान १७ से २२ सेंटीग्रेड और जनवरी का औसत तापमान -१२ से -४ सेंटीग्रेड होता है। सर्दियों बर्फ़ बहुत पड़ती है लेकिन लगातार हिमपात की बजाए यहाँ समय-समय पर आने वाले भारी बर्फ़ीले तूफ़ानों से हिम अधिक पड़ता है। बर्फ़ से ढके हुए पहाड़ों पर स्की और अन्य हिम-खेल लोकप्रीय है। हर साल फ़रवरी में होने वाला "सप्पोरो हिम त्यौहार" विश्व भर में मशहूर है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. Nussbaum, Louis-Frédéric. (2005). "Hokkaido" in Japan Encyclopedia, p. 343, p. 343, गूगल बुक्स पर.
  2. "National Census 2010 Preliminary Results". मूल से 3 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 अगस्त 2011.