होशियार सिंह

भारतीय सेना अधिकारी

मेजर (बाद में ब्रिगेडियर) होशियार सिंह दहिया (5 मई 1937 - 6 दिसम्बर 1998), परमवीर चक्र से सम्मानित भारतीय सैनिक थे। इनका जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के सिसाणा गांव में हिंदू जाट परिवार में चौधरी हीरा सिंह के यहाँ हुआ था। उन्होंने भारतीय सेना में समर्पण के साथ सेवा की और ब्रिगेडियर के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। 6 दिसंबर 1998 को प्राकृतिक कारणों से उनका निधन हो गया।

मेजर (बाद में ब्रिगेडियर)
होशियार सिंह
परमवीर चक्र
जन्मजात नाम होशियार सिंह दहिया
जन्म 5 मई 1936[1]
सिसाना,[2] सोनीपत, ब्रिटिश भारत
(वर्तमान हरियाणा, भारत
देहांत 6 दिसम्बर 1998(1998-12-06) (उम्र 61 वर्ष)
निष्ठा भारत भारत
सेवा/शाखा भारतीय थलसेना
सेवा वर्ष 1963-1996
उपाधि मेजर (बाद में ब्रिगेडियर)
दस्ता 3 ग्रेनेडियर्स
युद्ध/झड़पें भारत-पाकिस्तान युद्ध 1965
१९७१ का भारत-पाक युद्ध
बसंतसर का युद्ध
सम्मान परमवीर चक्र

प्रारम्भिक जीवन

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रोहतक के जाट कॉलेज में अपनी स्कूली शिक्षा और एक वर्ष का अध्ययन करने के बाद होशियार सिंह दहिया सेना में शामिल हो गए। उन्हें 30 जून 1963 को भारतीय सेना के ग्रेनेडियर रेजिमेंट में कमीशन किया गया था।

सैन्य जीवन

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उनकी पहली तैनाती नेफ़ा (नॉर्थ-ईस्ट फ़्रंटियर एजेंसी) (NEFA) में थी । 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में, उन्होंने राजस्थान क्षेत्र से भाग लिया।

1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध

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1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान तीसरे ग्रेनेडियर को 15-17 दिसम्बर 1971 से शकगढ़ सेक्टर में बसंतर नदी में एक पुल का निर्माण करने का कार्य दिया गया था। नदी दोनों तरफ से गहरी लैंड माइन से ढकी हुई थी और पाकिस्तानी सेना द्वारा अच्छी तरह से संरक्षित थी। कमांडर 'सी' कंपनी मेजर होशियार सिंह को जर्पाल के पाकिस्तानी इलाके पर कब्जा करने का आदेश दिया गया था। पाकिस्तानी सेना ने प्रतिक्रिया करते हुए जवाबी कार्यवाही की। हमले के दौरान मेजर होशियार सिंह एक खाई से दूसरी खाई में अपने सैनिकों का हौसला बढ़ने के लिए भागते रहे तेजी से खड़े होने के लिए प्रोत्साहित करते रहे परिणामस्वरूप उनकी कंपनी ने पाकिस्तानी सेना के भारी हमलों के बावजूद दुश्मन को बहुत क्षति पहुंचाई और उनके सभी हमलों को विफल कर दिया। गम्भीर रूप से घायल होने के बावजूद मेजर होशियार सिंह ने युद्धविराम तक पीछे हटने से मना कर दिया। इस अभियान के दौरान मेजर होशियार सिंह ने सेना की सर्वोच्च परंपराओं में सबसे विशिष्ट बहादुरी, अतुलनीय लड़ाई भावना और नेतृत्व को प्रदर्शित किया।

उन्हें अपनी बहादुरी और नेतृत्व के लिए भारत सरकार द्वारा गणतंत्र दिवस 1972 को परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया जो 17 दिसम्बर 1971 से प्रभावी हुआ।

  1. "Param Vir Chakra winners since 1950". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. 25 January 2008. मूल से 11 April 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 April 2016.
  2. "Bravery award winners honoured". The Tribune (Chandigarh). 18 May 2010. मूल से 11 April 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 April 2016.